15 अगस्त 2024 को भारत आजादी का 77वां दिवस मनाने जा रहा है. स्वतंत्रता दिवस की धूम 1 महीने पहले से ही बच्चों से लेकर बूढ़ों तक, स्कूल से लेकर विश्वविद्यालयों तक, सरकारी संस्थान से लेकर प्राइवेट संस्थानों तक, तमाम राजनीतिक दलों तक दिखने लगती है. जैसे-जैसे स्वतंत्रता दिवस नजदीक आता है, आजादी का जोश और बढ़ता है. 15 अगस्त को तिरंगा हर हाथ में नजर आता हैं. यह तिरंगा बड़े ही जोश के साथ हर गली-मोहल्ले, घर, संस्थान, चौक-चौराहा, पुलिस थाना, अस्पताल, पार्टी कार्यालय सभी जगह लहराता है. झंडा फहरते हुए यह कहता हुआ नजर आता है कि मैं तुम्हारा गौरव हूं. मैं इसी गौरवता के साथ तब तक फहरूगां, जब तक तुम्हारे दिलों में भारत है.
तिरंगे के तीन रंग शौर्य, शांति, प्रकृति का संदेश देते हैं. इस तिरंगे को 22 जुलाई 1947 को आज के दिन ही अपनाया गया था. तिरंगे को अपनाने के पीछे कई लोगों का हाथ था, जिसमें सबसे बड़ा नाम डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद का आता है. इन्होंने ही तिरंगे के लिए कमेटी बनाई थी. देश के प्रथम राष्ट्रपति के दौर में यह तिरंगा तुरंत नहीं अपनाया गया था. उस समय भी तिरंगे को लेकर कई विवाद हुए थे. तिरंगे को व्यवहार में लाने के लिए कई कोशिश से हुई, जिसका परिणाम भी सकारात्मक मिला. हालांकि इन सबके बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ(आरएसएस) ने अपने कार्यालय पर 52 सालों तक तिरंगा नहीं फहराया था.
आरएसएस और राष्ट्रीय ध्वज के बीच तनातनी कई सालों तक चलती रही, जो किसी से छिपी नहीं थी. इसी बीच अगस्त 2022 में देश के पीएम नरेंद्र मोदी ने हर घर तिरंगा अभियान की शुरुआत की थी. आजादी के 75 साल पूरे होने पर अभियान के तहत देशवासियों को अपने घर पर तिरंगा फहराने को कहा गया. इस अभियान को डिजिटली भी काफी प्रमोट किया गया था. पीएम ने अपने सभी सोशल मीडिया अकाउंट पर तिरंगे के साथ डीपी लगाई थी. इस दौरान भी आरएसएस पर तिरंगा विरोधी होने का आरोप लगा था.
तीन रंगों वाला यह राष्ट्रीय ध्वज आजादी के बाद शान से फहरा रहा है. लेकिन इसे आज भी कई जगह पर अपमानित किया जाता है. तिरंगे का अपमान विदेश में ज्यादा देखा जाता है. कनाडा में बीते साल दशहरा के समय राष्ट्रीय ध्वज में पीएम मोदी का पुतला लपेटकर जलाया गया था. देश के अंदर ही एक राज्य अपनी मांगों को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय तिरंगे का अपमान कर रहा है. अमूमन राष्ट्रीय ध्वज को अपमानित करने के लिए एक विशेष समुदाय को दोषी ठहराया जाता है और उसे पाकिस्तान जाने कह दिया जाता है. मगर भारत में सभी समुदायों ने एक होकर आजादी की लड़ाई में हिस्सा लिया था. आजादी के बाद राष्ट्रीय ध्वज को किसी एक पार्टी ने अपना दायित्व समझ लिया. मगर आज के समय वह पार्टी भी राष्ट्रीय ध्वज से भगवा ध्वज का मुकाबला करने की कोशिश में है.
इस तिरंगे में लिपटने के लिए देश की सरहद पर हजारों- लाखों सैनिक खड़े हैं. यह देश के जवान इस तिरंगे की आन-बान और शान बढ़ाने के लिए अपनी जिंदगियों को हंसते-हंसते कुर्बान कर देते हैं. इन जवानों के परिवार की नम आंखें देखकर पत्थर भी पिघल जाते हैं. इन जवानों में राहुल, अफजल, दिलबाग, डेविड होते हैं. इनकी शहादत सिर्फ़ इसलिए होती है ताकि भारत का तिरंगा गर्व से लहराता रहे.