भारत में दो घटनाओं ने बताया रोजगार का सच

बढ़ती जनसंख्या में भारत में सबसे ज्यादा यूथ हैं मगर इस आबादी के पास कोई स्किल नहीं है. देश में युवाओं के रोजगार की स्थिति क्या है, यह एक हफ्ते में दो बड़ी घटनाओं से पता चलता है.

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रोजगार का सच

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11 जुलाई को विश्व में जनसंख्या दिवस मनाया गया. इसके बाद 15 जुलाई को विश्व यूथ स्किल दिवस भी मनाया गया. विश्वभर में मनाया गए इन दो दिवसों से भारत की जनसंख्या और यूथ स्किल दोनों पर कई सवाल उठे. यह सवाल जनसंख्या और युद्ध दोनों एक दूसरे से जुड़े हुए हैं. बढ़ती जनसंख्या में भारत में सबसे ज्यादा यूथ हैं मगर इस आबादी के पास कोई स्किल नहीं है.

देश में युवाओं के रोजगार की स्थिति क्या है, यह एक हफ्ते में दो बड़ी घटनाओं से पता चलता है. गुजरात से लेकर महाराष्ट्र सरकार तक के युवा रोजगार उपलब्ध कराने पर बड़ा सवाल खड़ा हुआ है. जहां गुजरात में 10 वैकेंसी के लिए सैकड़ो युवाओं के बीच में मारामारी देखी गई, तो वही आज मुंबई में एयर इंडिया के 2200 खाली पदों के लिए 25000 युवाओं की फौज पहुंची.

केंद्र सरकार ने अपने तीसरे टर्म में इतिहास से रचने का काम तो जरूर किया है. मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल को अमृत काल से अमिट युवा बेरोजगारी काल घोषित कर देना चाहिए. मंगलवार को ही नीति आयोग के नए टीम का गठन हुआ. पीएम मोदी की अध्यक्षता वाली यह टीम सरकार के थिंक टैंक की तरह काम करती है. इस नई टीम में लगभग सभी पुराने राजनीतिक चेहरे प्रमुखता से शामिल है. इनके अलावा टीम में इकोनॉमिस्ट, डॉक्टर और साइंटिस्ट इत्यादि शामिल है. पैनल में स्पेशल इनवाइटिंग सदस्यों के तौर पर युवा मंत्री को भी जगह मिली है. जिसकी मौजूदा समय में सबसे ज्यादा जरूरत है. देश को चलाने वाली सरकार को यह समझना होगा कि युवाओं के लिए अगर रोजगार लाना है, तो युवाओं से ही इसके लिए आइडिया लेना होगा.

अब के युवा हर तरह की नौकरी करने के लिए तैयार है. अब युवाओं में यह सोच मरती जा रही है कि वह इंजीनियर,‌ डॉक्टर,‌ पुलिस ऑफिसर या बड़े रैंक की नौकरी करें. मोदी सरकार के युवा बस किसी तरह का रोजगार मांग रहे हैं, जिसमें उन्हें घर चलाने के लिए कुछ हजार रुपए मिल जाए. देश के कई युवाओं की सोच हायर स्टडीज को लेकर भी बदल रही है. वह हायर स्टडीज में जाने के बजाय नौकरी में किस्मत आजमाना चाहते हैं. इन युवाओं का कहना है कि जब तक पढ़ाई पूरी होगी नौकरी की उम्र निकल जाएगी. नौकरी के लिए परीक्षा देंगे तो पेपर लीक होते हुए उम्र निकलती जाएगी.

युवाओं के अलावा अलग-अलग राज्यों से हर उम्र के लोग भी कमाने की चाहत में कहीं भी जाने के लिए तैयार है. रोजगार के इस भूख के लिए लोग एक राज्य से दूसरे राज्य में पलायन कर जाते हैं. वहीं ज्यादा पैसा कमाने की चाहत में विदेशों में भी मजदूरी करने को मजबूर हो जाते हैं. कई बार इन मजदूरों की मजबूरी का फायदा उठाया जाता है. छोटे राज्यों से निकले मजदूर दुबई, अमेरिका, दक्षिण अफ्रीका जैसे देश में कमाने जाते हैं.

इन मजदूरों को किन हालातो में वहां रखा जाता है, यह ना तो सरकार से छुपा है और ना ही काम करने जाने वाले मजदूरों से. बीते महीने ही कुवैत में 42 मजदूरों की मौत हो गई थी. यह सभी मजदूर इमारत में लगी भीषण आग का शिकार हो गए थे. जांच में पता चला था कि इमारत के अंदर मजदूरों को भरकर खराब हालातो में रखा जाता था.

हालिया मामले में झारखंड में बेरोजगारी झेल रहे करीब 27 प्रवासी मजदूर विदेश में मजदूरी करने चले गए. लेकिन इन मजदूरों को वहां मेहनताना नहीं दिया जाता है. जिसके कारण यह सभी अब अपने वतन वापसी के लिए गुहार लगा रहे हैं. इनकी तरह न जाने और कितने मजदूर अभी विदेश में फंसे होंगे. इनमें से कईयों को पेट पालने के लिए खराब हालातो में गुजारा करना पड़ता होगा. यह मजदूर विदेश जाकर कमाना चाहते हैं. विदेश की साफ, चकाचौंध दुनिया में ज्यादा पैसे का लालच देकर इन्हें ले जाया जाता है. देश-विदेश में कई एसे गिरोह चल रहे हैं, जो मजदूरों को इकट्ठा कर विदेश भेज रहे हैं.

इन मजदूरों और युवाओं के हालात सरकार के संज्ञान में भी आते हैं. मगर कई बार ऐसा लगता है कि सरकार इन्हें अपने खबरों के लिए बचाकर रखती है. क्या सरकारें सिर्फ चुनाव के दौरान नौकरी का पिटारा खोलती हैं और उसके बाद उस पर सालों के लिए ताला लग जाता है. क्या सरकार देश में रोजगार नहीं दे रही है, ताकि प्रवासी होकर मजदूर विदेश जाएं, वहां से मदद मांगें, उन्हें वापस लाया जाए और सरकार की वाह-वाही हो? क्या यह सब भी एक गिरोह की तरह ही है?

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