भारत में आबादी हर दिन बढ़ती जा रही है. देश की जनसंख्या ने दुनिया के सबसे ज्यादा आबादी वाले देश को भी इस मामले में पछाड़ दिया है. अर्थव्यवस्था के मामले में देश भले ही धीरे तरक्की कर रहा हो, विकास के मामले में भी रफ्तार धीमी हो रही हो, लेकिन जनसंख्या के मामले में विश्वस्तर पर भारत ने झंडा गाड़े हैं. भारत की इतनी बड़ी आबादी में अब बड़ी संख्या में युवाओं की भी गिनती हो रही है. आबादी में सबसे बड़ा हिस्सा युवाओं का है. बढ़ती युवा आबादी के साथ देश में रोजगार के भी बढ़ाने की शुरुआत होनी चाहिए.
युवाओं के रोजगार के लिए कोई एक राज्य जिम्मेदारी नहीं उठा सकता. हर राज्य में जनसंख्या बढ़ रही है, तो हर राज्य की सरकार को इसके लिए कई बड़े कदम उठाने होंगे. लाखों लाख नौकरियों के वादे और जुमले को सरकार को अब गंभीरता से लेना चाहिए. इनमें पुरुष रोजगार के साथ ही महिला रोजगार के भी बारे में सरकार को सोचना होगा. महिलाओं को सिर्फ सिलाई-कढ़ाई, खाना पकाना, पेंटिंग इत्यादि तक ही सीमित नहीं करना चाहिए, बल्कि इन्हें भी मुख्यधारा में मिलाकर कई तरह के टेक्निकल स्किल्स से जोड़ना चाहिए. गांव-गांव तक जाकर जहां अभी बड़ी युवा आबादी मौजूद है, वहां से सरकार को जमीनी स्तर पर रोजगार के लिए ढांचा और खांचा बनाना चाहिए. जिन राज्यों को सरकार ने सिर्फ खनिज संपदा और मजदूरों की फैक्ट्री घोषित किया है, वहां भी बदलाव के लिए कदम बढ़ने चाहिए. इसमें केंद्र और राज्य सरकार को अपने बीच के पक्ष विपक्ष की लड़ाई को छोड़कर जनसंख्या वृद्धि के साथ जनसंख्या रोजगार की शुरुआत करनी चाहिए.
बिहार जैसे राज्य जहां 58%युवा आबादी(2011 के जनसंख्या के मुताबिक़) बसती है, वहां जातीय सर्वे कराया जाता है. इन राज्यों में जाति आधारित सर्वे के अलावा रोजगार सर्वे होने चाहिए. बिहार से केंद्र सरकार से विशेष राज्य का दर्जा और विशेष पैकेज की मांग की जा रही है, जबकि राज्य में मौजूद 10 लाख नौकरियां के वादे वाले सीएम अभी कछुए की रफ्तार से भी रोजगार बांटने में अक्षम हैं. सीएम कुमार ने पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के साथ मिलकर 10 लाख नौकरियां को बांटने का वादा किया था. इस वादे के अनुसार राज्य में 10 लाख नौकरियां मौजूद है, मगर इस बांटने में राज्य में दो बड़े युवा मंत्री और एक सीएम फ़ेल है.
बिहार की आबादी के 44 प्रतिशत लोग आज भी अपने राज्य को छोड़कर दूसरे राज्य में रोजगार की तलाश के लिए जाते हैं. बढ़ती हुई जनसंख्या के हिसाब से ही अगर बिहार में रोजगार पैदा किया जाए तो राज्य सरकार के विशेष पैकेज वाला राग अलापने पर अंकुश लग सकता है.
बिहार के अलावा पड़ोसी राज्य झारखंड में भी जनसंख्या के हिसाब से अगर योजनाएं तैयार की जाए, तो यह खनिज संपदा वाला राज्य अपने विकास को तेजी के साथ अलग ऊंचाइयों को छू सकता है. इसी तरह अन्य राज्य भी अगर अपने राज्य की आबादी के हिसाब से रोजगार और विकास को ध्यान में रखते हुए काम करेंगे, तो देश की अर्थव्यवस्था पहले पायदान पर अपने इस जनसंख्या के बलबूते पर पहुंचेगी, जिसे कोई टस से मस नहीं कर सकेगा.