नगर निगम के सफ़ाई कर्मचारियों द्वारा शनिवार से जारी हड़ताल आज तीसरे दिन भी जारी है. जबकि दो दिन बाद तीज और गणेशोत्सव शुरू होने की वजह से लोग अपने घरों की साफ़-सफ़ाई करने में जुटें हैं. और मजबूरन अपने घरों का कचरा गली और सड़क पर फेंकने लगे हैं. सफ़ाई कर्मचारियों के हड़ताल के कारण शहर में कचरे का अंबार चौक-चौराहे पर लगाना शुरू हो गया है. प्रदेश के सभी नगर निगम, नगर पर्षद और नगर पंचायतों के कर्मी शनिवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गये हैं. इससे पुरे शहर की सफ़ाई व्यवस्था प्रभावित हो गयी है. जबकि नगर निगम के अंचल अधिकारी ने सफ़ाई व्यवस्था प्रभावित नही होने का आश्वासन दिया था.
लेकिन जब 4200 में से 3000 कर्मी हड़ताल पर चले जाएँगे तब सफ़ाई व्यवस्था का चरमराना तो तय है. शहर में न तो सड़क की सफ़ाई हो पा रही है और न ही डोर टू डोर कचरा का उठाव हो रहा है. सड़कें कचरे से पटी हुई हैं. चौक-चौराहे पर कचरे की बदबू के कारण गुजरना मुश्किल हो रहा है. शहर से रोज औसतन 1200 टन कचरा निकलता है ,लेकिन हड़ताल के कारण रविवार को मात्र 700 टन कचरा ही उठाया जा सका.
पहले दिन हड़ताल का असर कम देखने को मिला लेकिन दूसरे दिन यानि रविवार को जब सफ़ाई कर्मी कचरा उठाव के लिए वाहन निकालने गए तब हड़ताली कर्मियों ने यारपुर यार्ड से कचरा वाहनों को निकलने से रोकने का प्रयास किया. नूतन राजधानी अंचल के यारपुर स्थित यार्ड से सुबह कचरा वाहन निकालने के दौरान हड़तालियों ने निगम के अफसरों और कर्मियों के ऊपर पथराव कर दिया. जिसके बाद निगम अधिकारीयों को पुलिस की सहायता लेनी परी. जिसके बाद यार्ड से करीब 85 कचरा वाहनों को दोपहर साढ़े 12 बजे तक निकाला गया. शहर के अन्य अंचलों में भी यही स्थिति देखने को मिली जिसके कारण शहर में सफ़ाई व्यवस्था चरमराई हुई है. पुरे शहर से कचरा उठाव के बाद उसे बैरिया स्थित डंपिंग यार्ड में भेजा जाता है, चूँकि बड़े वाहनों के कर्मचारी भी हड़ताल में शामिल है इसलिए कचरा उठाव के बाद उसे ट्रेंचिंग ग्राउंड तक नही पहुंचाया जा सका है. मोहल्लों के सेंटरों पर ही कचरे को डंप किया जा रहा है, जिससे चौक-चौराहे पर कचरे का अंबार लग गया है.
क्या है निगम के सफ़ाई कर्मचारियों की मांग
बिहार लोकल बॉडीज कर्मचारी संघर्ष मोर्चा और बिहार स्थानीय निकाय कर्मचारी महासंघ ने अपने 11 सूत्री मांगों को लेकर सफ़ाई कर्मचारियों की हड़ताल बुलाई थी. जिसमे प्रमुख रूप से दैनिक मजदूरों के स्थायीकरण और 18 हजार से 21 हजार तक न्यूनतम वेतन, आउटसोर्सिंग समाप्त करने, समान काम का समान वेतन सहित कई मांगे मांगी गयीं हैं.
मोर्चा के अध्यक्ष चंद्रप्रकाश सिंह ने कहा “ हड़ताल सफ़ल रहा है. हमारी कोई भी मांग नई नही है. हमलोगों ने इससे पहले भी अपनी इन्ही मांगो को लेकर हड़ताल किया था, लेकिन कोर्ट के आदेश का सम्मान करते हुए हमने हड़ताल समाप्त कर दिया था. लेकिन सरकार ने इसका लाभ उठाया और हमे वापस हड़ताल पर जाने को मजबूर किया.
बिहार लोकल बॉडीज कर्मचारी संघर्ष मोर्चा के प्रवक्ता का कहना है कि “ जो मजदूर 10 से 12 साल से यहाँ काम कर रहें हैं उन्हें स्थायी तौर पर नौकरी दिया जाए. चतुर्थवर्गीय कर्मचारी का जो पद समाप्त कर दिया गया है उसे वापस बहाल किया जाए. नई सरकार के गठन के साथ सरकार ने आते ही जो 10 लाख रोजगार के वादे किये हैं वो वादे अगर नगर निकाय के कर्मचारियों को रोजगार देने के साथ आरंभ हो तो अच्छी बात होगी. साथ ही सातवाँ वेतन राज्य के सभी नगर निकाय के कर्मचारियों के लिए लागू किया जाए. एक ही काम के लिए किसी को 40 हजार तो किसी 8 हजार वेतन दिया जाता है. हमारी मांग है कि समान काम के लिए समान वेतन दिया जाए. आज तीन दिन हो गये अभी तक कोई अधिकारी हमसे मिलने नही आयें है. जबतक कोई अधिकारी हमसे मिलने नही आता है हमारी हड़ताल ज़ारी रहेगी.”
बिहार लोकल बॉडीज कर्मचारी संघर्ष मोर्चा से राज्य भर के 50 हजार निकाय कर्मचारी जुड़े हैं और पटना नगर निगम में इसकी संख्या छह हजार है.
नगर निगम का आदेश
वहीं पटना नगर निगम का दावा है कि शहर में सफाई व्यवस्था सुचारु रूप से चल रहा है. निगम के सफाई कर्मियों को हड़ताल में शामिल नहीं होने को कहा गया है. ऐसे में शहर की सफाई व्यवस्था को ठप करने वाले कर्मियों पर कठोर कार्रवाई की जायेगी. नगर आयुक्त ने सभी कर्मियों को यह निर्देश दिया है कि वह किसी भी तरह की ऐसी हड़ताल का हिस्सा न बनें. अगर निगम के कर्मी हड़ताल में संलिप्त पाये गये, तो उन्हें चिह्नित कर करवाई किया जाएगा. साथ ही निगम प्रशासन ने संसाधन को क्षति पहुँचाने वाले और सफ़ाई कार्य में बाधा पहुँचाने वालों की वीडियोग्राफी की जा रही है. साथ ही यह भी बताया गया की जो सफ़ाई कर्मी अनुपस्थित पाए गये हैं उनकी जाँच की जाएगी और उनके ऊपर कार्यवाही किया जायेगा.
वही शहर कि सफ़ाई को लेकर जानकारी देते हुए पीआरओ स्वेता भास्कर ने बताया कि “अभी शहर की दो चरणों में सफ़ाई करायी जा रही है. हमारे पास आउटसोर्स के कर्मी मौजूद है, साथ ही कई संगठन भी इस हरताल का समर्थन नही कर रहे हैं हम उन कर्मचारियों कि मदद ले रहे हैं. और जिन मोहल्लों में कचरा वाहन नही पहुंच रहे हैं वहां के लोग हमारे हेल्पलाइन नंबर 155304 पर कॉल कर जानकारी दे सकते हैं.”
हेल्पलाइन नंबर किया जारी
नगर निगम ने शहरवासियों के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी किया है और लोगों से अपील किया है की यदि उनके वार्ड में सफ़ाई, कूड़े के उठाव या इससे सम्बंधित कोई अन्य समस्या है तो वो 155304 पर कॉल कर शिकायत दर्ज करा सकते है. उनकी समस्या का समाधान न्यूनतम समय पर किया जाएगा.
हमने जब इस हेल्पलाइन नंबर पर कॉल किया तो सम्बंधित कर्मचारी ने कॉल उठाया. मैंने अपने वार्ड का नाम बताते हुए कहा की यहाँ तीन दिनों से कचरा वाहन नही आया है और मोहल्ले में कचरे का ढेर लग गया है. समस्या सुनने के बाद कर्मचारी ने समस्या का समाधान करने में अपने को असमर्थ बताया. कर्मचारी का कहना है कि फ़ोन करने के बाद भी कचरा वाहन मोहल्ले में जाने को तैयार नही है. आपको एक दिन और इंतजार करना होगा. साथ ही कर्मचारी ने बताया की यहाँ रोज 15 से 20 कॉल कचरा उठाव और सफ़ाई समस्या को लेकर आ रहें है.
आउटसोर्स कर्मियों के भरोसे है निगम
पटना नगर निगम में 4200 के करीब कर्मचारी हैं जिनमे से तीन हजार से अधिक कर्मचारी हड़ताल पर गए हुए हैं. हर वार्ड में 40 से 50 सफ़ाईकर्मी रहते हैं लेकिन हड़ताल के कारण मात्र 15 कर्मचारियों के द्वारा काम चलाया जा रहा है. जिनमे से ज्यादातर कर्मी आउटसोर्स के हैं.
नगर निगम का दावा है की शहर में सफ़ाई व्यवस्था काम कर रहा है लेकिन गली मोहल्लों और चौक- चौराहों पर परे कचरें, यह बताने के लिए काफ़ी हैं की निगम के सफ़ाई कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने के कारण शहर की सफ़ाई व्यवस्था चरमरा गयी हैं. निगम कर्मियों को जल्द से जल्द इसका ठोस प्रबंधन करना होगा. हड़ताल अगर लंबी खिंची तो शहर की सफाई व्यवस्था बाधित होगी और गंदगी का अंबार लग जाएगा.
वहीं मौर्यालोक काम्प्लेक्स में चल रहें हड़ताल के कारण काम्प्लेक्स के अंदर के दुकानदारों को काफ़ी दिक्कतों का सामना करना पर रहा है. काम्प्लेक्स के अंदर गिफ्ट की दुकान चलाने वाले दुकानदार कहते है “हम दुकानदारों को तो दोहरी परेशानी झेलनी पर रही है. दिनभर हो रहें शोर-शराबे के कारण हमारी दुकानदारी प्रभावित हो रहा है. इतने हो-हल्ले में कौन इधर आना चाहेगा.”
वही आम लोगों का भी मानना है कि नगर निगम के सफाई कर्मचारियों के मांग कि तरफ सरकार को ध्यान देना चाहिए. क्योकि बार-बार इसतरह के हड़ताल के कारण आमलोगों को परेशानियों का सामना करना परता है. जो एसी में बैठते हैं उनका वेतन ज्यादा और जो दुसरो का कचरा साफ़ करने के साथ पुरे शहर का कचरा साफ़ करते हैं उन्हें उनके काम के अनुसार वेतन नही दिया जा रहा है. पुरे शहर में जगह-जगह कूड़ा-कचरा लगा हुआ है. यदि इस बीच बारिश हो गयी तो समझिये शहर नर्क ही बन जायेगा.”
हड़ताल के तीन दिन बीतने के बाद अधिकारी इस हड़ताल को खत्म करने के लिए क्या कदम उठा रहे हैं ? इसपर जानकारी के लिए हमने अतिरिक्त नगर आयुक्त शिला ईरानी से बात करने का प्रयाश किया लेकिन उनसे संपर्क नही हो पाया. वही म्युनिसिपल कमीशनर अनिमेष कुमार ने फ़ोन पर किसी तरह कि जानकारी देने से मना करते हुए अपने कार्यालय बुलाया. डेमोक्रेटिक चरखा कि टीम जब कार्यालय पहुंची तो हमे बताया गया की अधिकारी मौजूद नही है.
वहीं नगर निगम कि पीआरओ स्वेता भास्कर का कहना है कि “निगम ने पहले भी उनके वेतन वृद्धि जैसी मांगों को पूरा किया है. अभी इस पर फैसला कमिशनर और नगर विकास परिषद की बैठक में लिया जाएगा. तभी हम आपको इसपर जानकारी दे पाएंगे.”