एक बार मेरा गर्भ भारी पानी के बर्तन को उठाने की वजह से गिर गया था. इस बार भी जब हम गर्भवती हुए तो डॉक्टर ने कहा था कि भारी पानी ना उठायें. लेकिन हमारे घर में नल नहीं है, इसलिए हमको चौक पर जाकर पूरे घर का पानी भरना पड़ता है जिससे घर का काम हो सके. अगर नल हमारे घर में ही मौजूद होता तो काफ़ी सुविधा हो जाती. ऐसे में नल-जल योजना का क्या फ़ायेदा?शांति देवी
बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने साल 2016 में ‘सात निश्चय’ के तहत हर घर नल का जल योजना की शुरुआत की थी. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का ये मानना है कि उनकी ये सबसे महत्वपूर्ण योजनाओं से एक है. लेकिन नल-जल योजना में आंकड़ों का खेल एकदम ही उल्ट है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ट्वीट कर कहा था कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ट्वीट करके ये दावा किया था कि उनके मुख्यमंत्री बनने से पहले बिहार में 2% लोगों के घर में नल था लेकिन अब 99.6% लोगों के घर में नल की सुविधा उपलब्ध है. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट के अनुसार बिहार में 98% घरों में स्वच्छ पेय जल मौजूद है. लेकिन जल जीवन मिशन की वेबसाइट पर मजूद आंकड़ों के अनुसार बिहार में 90.08% घरों में स्वच्छ पेय जल मौजूद है. जल जीवन मिशन की वेबसाइट के मुताबिक 1,72,20,634 में से 1,55,12,285 घरों में पेय जल की सुविधा उपलब्ध है.
बिहार की राजधानी पटना में 6,71,995 घरों में से 6,08,124 यानी 90.50% घरों में स्वच्छ पेय जल की सुविधा अभी तक उपलब्ध हुई है. इस मामले में बिहार में सबसे पिछड़ा इलाका अररिया है जहां सिर्फ़ 74.53% घरों में साफ़ पीने लायक पानी मुहैया करवाया गया है. बिहार में नल जल का सबसे सबसे अधिक प्रतिशत अरवल जिला में है. यहां पर 1,22,064 घरों में से 1,21,786 घरों में स्वच्छ पानी पहुंचाया गया है. इस योजना को पूरा करने के लिए ₹8373.54 करोड़ रूपए भी ख़र्च किये गए हैं. (ये आंकड़ें 16 फ़रवरी 2022 तक के हैं.)

बिहार के नल-जल योजना में तीन अलग विभाग में तीन अलग तरह के आंकड़ें मौजूद हैं. मुख्यमंत्री का आंकड़ा कुछ और है, नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे का आंकड़ा अलग और जल जीवन मिशन का आंकड़ा अलग है.
लेकिन आंकड़ों से अलग ज़मीन पर हकीकत कुछ और ही है. हर घर में नल का जल सिर्फ़ कागज़ों पर उतरी हुई दिखाई देती है. बिहार में मंत्रियों और पालिसी मेकर्स का इलाका हार्डिंग रोड है. हार्डिंग रोड के ठीक पीछे मंत्रियों के घरेलू मददगारों का घर है. उनके घरों में भी आज तक नल जल योजना नहीं पहुंची है. हार्डिंग रोड में घरेलू मददगारों के मोहल्ले की आबादी लगभग 200 लोगों की है. यहां पर लोगों के लिए सिर्फ़ 2 सार्वजनिक टंकियों की व्यवस्था कर दी गयी है जिसके बाद वो यहीं पर से घर की सारी ज़रूरतों के लिए पानी भरते हैं.
इस इलाके में रहने वाले थापा नेपाली बताते हैं
सरकार के द्वार पर हम रहते हैं लेकिन फिर भी हमलोग को पीने का पानी भी नसीब नहीं है. हम लोग को पानी पीने के लिए सुबह लाइन में खड़ा होना पड़ता है फिर जाकर हमलोग को पानी नसीब होता है. पानी तो हमारी ज़रूरत की चीज़ है, आराम की तो चीज़ है नहीं. लेकिन फिर भी सरकार पानी मुहैया नहीं करवा रही है. अगर हम कभी साहब लोग से गुज़ारिश भी करते हैं तो बोल दिया जाता है कि देखेंगे. लेकिन आज तक कोई भी ध्यान नहीं दिया.

नल-जल योजना की सबसे ज़्यादा ज़रूरत उन इलाकों में है जहां आयरन और आर्सेनिक की मात्रा पानी में अधिक पायी जाती है. लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग हर महीने पानी में मौजूद आयरन और आर्सेनिक की मात्रा की जांच करता है. इसी आयरन और आर्सेनिक की मात्रा को काबू करने के लिए नल-जल योजना के तहत टंकी के साथ फ़िल्टर की भी सुविधा दी जाती है. ऐसे में नल-जल योजना का लाभ नहीं मिलने की वजह से लोगों के स्वास्थ्य पर काफ़ी बुरा असर पड़ रहा है.
डॉ अविनाश राय देश में पानी में आयरन और आर्सेनिक की मात्रा और उसके दुष्प्रभाव पर ग्रामीणों को जागरूक करते हैं. डॉ शुभम बताते हैं
पूरे देश में बिहार दूसरा सबसे बड़ा राज्य है जहां पानी में सबसे अधिक आयरन की मात्रा है. अगर पानी में 10 मिलीग्राम प्रति लीटर से अधिक आयरन पाया जाता है तो वो इंसानी शरीर को काफ़ी नुकसान पहुंचा सकता है. अगर पानी में 0.3 मिलीग्राम प्रति लीटर आयरन मिला दिया जाए तो पानी का रंग हल्का भूरा होने लगता है. लेकिन बेगूसराय का कटरमाला किशनगंज का पोठिया, राटन, समस्तीपुर का रोसेरा, इन इलाकों में पानी में आयरन की संख्या 15 मिलीग्राम प्रति लीटर पायी जाती है.
इसकी वजह से कई लोगों को पथरी की शिकायत हो रही है. डॉक्टर राजेन्द्र शर्मा बेगूसराय के नावकोठी प्रखंड के एक ग्रामीण डॉक्टर हैं. वो बताते हैं
“हमारे पास अधिकांश केस पेट में दर्द का आता है. इसकी एक ही वजह है गंदा पानी. अगर सरकार द्वारा फ़िल्टर की व्यवस्था कर दी जाती तो कई लोगों को जो पथरी की शिकायत है वो दूर हो जाती.”

बिहार सरकार ने नल जल योजना से जुड़ी शिकायतों के लिए 18001231121 टोल फ़्री नंबर भी जारी किया था. डेमोक्रेटिक चरखा की टीम ने इस नंबर पर कॉल किया. दो दिन तक रूट की सभी लाइन व्यस्त रही. उसके बाद जब कॉल लगा तो किसी ने भी नहीं उठाया.
ऐसे में जब बिहार में गांवों और राजधानी पटना में ही लोगों के पास पीने का साफ़ पानी नहीं है तो फिर विकास की बात बेमानी सी लगती है.