स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड के नाम पर क्या छात्रों से खेला जा रहा है?

क्या हो अगर चयन होने के बाद भी सरकार कोर्स फ़ीस संबंधित कॉलेज में जमा ना करे? उस स्थिति में छात्र क्या करेगा, जब उसके कोर्स का पहला या दूसरा सेमेस्टर ही पूरा हुआ हो? और सरकार फ़ीस ही ना दे.

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स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड के नाम पर क्या छात्रों से खेला जा रहा है?

स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड के नाम पर क्या छात्रों से खेला जा रहा है?

साल 2015 में महागठबंधन बनाकर बिहार की सत्ता में आने वाले नीतीश कुमार ने सात निश्चय योजना की शुरुआत की थी. इस योजना में सात लक्ष्य निर्धारित किये गये थे. इन सात लक्ष्यों में एक लक्ष्य ‘आर्थिक हल युवाओ को बल’ नाम से शुरू की गई थी.

इस विभाग में तीन स्कीम चलाये गये थे- पहला स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना, दूसरा मुख्यमंत्री स्वयं सहायता भत्ता योजना और तीसरा कुशल युवा कार्यक्रम. ये तीनों कार्यक्रम बिहार के युवाओं को ‘शिक्षा और रोजगार’ के लिए आर्थिक सहायता देने के लिए शुरू किया गया था. साल 2016 से शुरू हुए ‘स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना’ गरीब छात्रों के उच्च शिक्षा के लिए महत्वपूर्ण योजना बनकर आई थी.

आर्थिक रूप से कमज़ोर छात्र इस योजना की मदद से 12वीं के बाद उच्च शिक्षा के लिए मदद ले सकता है. लेकिन क्या हो अगर चयन होने के बाद भी सरकार कोर्स फ़ीस संबंधित कॉलेज में जमा ना करे? उस स्थिति में छात्र क्या करेगा, जब उसके कोर्स का पहला या दूसरा सेमेस्टर ही पूरा हुआ हो? और सरकार फ़ीस ही ना दे.

समय पर कोर्स फ़ीस नहीं देती है सरकार

स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना में चयनित हज़ारों छात्र समय पर फ़ीस जमा नहीं होने के कारण आर्थिक दबाव झेल रहे हैं. आरा की रहने वाली अनुष्का की समस्या भी कुछ ऐसी ही है. साल 2020 में अनुष्का ने वीर कुंवर सिंह यूनिवर्सिटी में एमसीए (MCA) कोर्स के लिए नामांकन लिया था. अनुष्का के पिता की तबियत खराब होने के कारण उनके परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी. एमसीए फर्स्ट ईयर में नामांकन लेने के बाद ही अनुष्का के पिता की तबियत ख़राब हो गई है. फ़ीस के पैसे नहीं होने के कारण अनुष्का कोर्स छोड़ने का मन बना चुकी थी.

लेकिन उसी समय उन्हें कहीं से स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना की जानकारी मिली. अनुष्का ने अगले दो सालों के लिए इस योजना में आवेदन दिया. SCC योजना में चयन हो जाने के कारण अनुष्का अगले सेमेस्टर की फ़ीस भरने में सक्षम हो सकी. लेकिन यह मदद ज़्यादा दिनों तक संभव नहीं हो सकी. अनुष्का बताती हैं “कोर्स के पहले ईयर में एडमिशन लेने के बाद पैसे की कमी के कारण कोर्स छोड़ने की नौबत आ गयी थी. तब मैंने स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना के लिए आवेदन किया. पूरा प्रोसेस होने में तीन से चार महीने लग गये. तबतक तीसरा सेमेस्टर आ गया था. तीसरे सेमेस्टर की फ़ीस तो समय पर क्रेडिट हो गयी लेकिन बाकि के सेमेस्टर के पैसे समय पर नहीं आये.”

अनुष्का आगे कहतीं हैं “कोई भी स्टूडेंट पैसे की समस्या के कारण ही स्टूडेंट लोन लेता है. लेकिन सरकार सेमेस्टर फ़ीस ही समय पर नहीं देती है. हमारा कॉलेज प्रशासन अच्छा था जो हमें एक्स्ट्रा समय दे देता था. लेकिन बाकि कॉलेज ऐसी सुविधा नहीं देते हैं. ऐसे में स्टूडेंट के ऊपर मानसिक दबाव बढ़ जाता है.”

आरा की ही एक और छात्रा श्वेता युनिवर्सिटी ऑफ हैदराबाद से एमसीए की पढ़ाई कर रही हैं. अनुष्का के पिता प्राइवेट कंपनी में काम करते हैं. श्वेता साल 2021-23 की छात्रा हैं और इनका कोर्स कम्पलीट हो चुका है. लेकिन उनके लास्ट सेमेस्टर की फ़ीस अभी तक कॉलेज अकाउंट में क्रेडिट नहीं हुई है. जबकि कोर्स खत्म हुए तीन महीने हो चुके हैं. श्वेता अभी हैदराबाद में रह रही हैं. डेमोक्रेटिक चरखा से फोन पर बातचीत में श्वेता बताती हैं “दिसंबर 2021 में मैंने एससीसी (SCC) के लिए आवेदन दिया था जो मार्च 2022 में अप्रूव हुआ. इसके बाद जून में अग्रीमेंट साइन हुआ और अगस्त में फर्स्ट सेमेस्टर का फ़ीस आया. तीसरे सेमेस्टर का फ़ीस अभी एक महीने पहले आया है. जबकि मेरा कोर्स कम्पलीट हो चुका है.”

यह केवल इन दो छात्राओं की कहानी नहीं है बल्कि ऐसे हजारों छात्र हैं जिनका कोर्स फ़ीस सरकार समय से जमा नहीं करती है. जिसके कारण छात्रों को कभी हॉस्टल से निकाला जाता है, कभी परीक्षा देने से रोका जाता है. वहीं कोर्स खत्म होने के बाद भी छात्र पूरी फ़ीस नहीं जमा करते हैं तो उनके सारे ऑरिजनल डॉक्यूमेंट रख लिए कॉलेज रख लेते हैं.

क्या है स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना 

साल 2016 में नीतीश कुमार ने गरीब छात्रों के उच्च शिक्षा में आने वाली बाधा को दूर करने के लिए स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना को शुरू किया था. वैसे छात्र जो 12वीं के बाद पैसे की कमी के कारण अपनी पढ़ाई छोड़ देते हैं, इसका लाभ ले सकते हैं. इस योजना के तहत एक छात्र को अधिकतम 4 लाख तक का लोन दिया जाता है. जिसमें से उसके रहने और पढ़ाई के लिए आवश्यक सामग्री खरीदने के लिए पैसे छात्र के अकाउंट में भेजे जाते हैं.

मेट्रो सिटी में रहने के लिए जहां प्रति माह 5 हज़ार रूपए दिए जाते हैं जबकि वहीं नॉन मेट्रो शहर के लिए यह राशि 4 हज़ार रूपए प्रति माह है. ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले छात्र को 3 हज़ार रूपए प्रति माह दिया जाता है. वहीं प्रत्येक छात्र को किताबों सहित अन्य पाठ्य सामग्री खरीदने के लिए प्रत्येक वर्ष 10 हज़ार रूपए मिलते हैं.

बिहार स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना मद में वित्तीय वर्ष 2022-23 में 700 करोड़ आवंटित किए गए थे. जबकि वित्तीय वर्ष 2023-24 में इस मद में 690 करोड़ रूपए का आवंटन हुआ है. 2 लाख से ज़्यादा की राशि छात्र कोर्स ख़त्म होने के एक साल बाद 84 किस्तों में वापस कर सकते हैं. जबकि 2 लाख तक की राशि 60 किश्तों में जमा कर सकते हैं. जिसमें लड़कों को 4% साधारण ब्याज देना होता है वहीं लड़कियों और ट्रांसजेंडर के लिए ब्याज दर 1% है. अगर छात्र तय समय से पहले लोन जमा कर देता हैं तो उनकों 0.25% की छूट भी दी जाती है.