बिहार स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड: 10 हज़ार से अधिक छात्र हुए लाभ से वंचित

वैसे सभी संस्थान जिनका संचालन पांच या उससे अधिक समय से किया जा रहा है, उन्हें सत्र 2024-25 से नेशनल बोर्ड ऑफ एक्रिडिटेशन (NBA), नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क (NIRF) अथवा NAAC की न्यूनतम सी ग्रेड मान्यता प्राप्त करनी होगी.

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राज्य में संचालित वैसे कॉलेज जिन्हें अब तक नैक की ग्रेडिंग नहीं मिली है, वहां नामांकन लेने वाले छात्रों को आनेवाले दिनों में परेशानी हो सकती है. शिक्षा विभाग इन कॉलेजों में उच्च शिक्षा के लिए नामांकन लेने वाले छात्रों को मिलने वाली सुविधाओं पर रोक लगा सकता है.

विभाग का कहना है कि वैसे सभी संस्थान जिनका संचालन पांच या उससे अधिक समय से किया जा रहा है, उन्हें सत्र 2024-25 से नेशनल बोर्ड ऑफ एक्रिडिटेशन (NBA), नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क (NIRF) अथवा नेशनल असेस्मेंट एंड एक्रिडिटेशन काउंसिल (NAAC) की न्यूनतम सी ग्रेड मान्यता प्राप्त करनी होगी.

लेकिन राज्य में संचालित मात्र पांच विश्वविद्यालय और 67 कॉलेज को नैक की मान्यता मिली है. वहीं एनआईआरएफ रैंकिंग में बिहार के एक भी कॉलेजों और विश्वविद्यालय को जगह नहीं मिली है. जबकि राज्य में 36 यूनिवर्सिटी और 940 कॉलेज संचालित हो रहे हैं.

स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड का नहीं मिलेगा लाभ

साल 2016 में युवाओं को उच्च शिक्षा के लिए आर्थिक सहायता देने के ‘स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना’ की शुरुआत की गई थी. ताकि गरीब छात्र पैसे की कमी के कारण उच्च शिक्षा प्राप्त करने से वंचित ना रहे. आर्थिक रूप से कमज़ोर छात्र इस योजना की मदद से 12वीं के बाद उच्च शिक्षा के लिए मदद ले सकता है.

लेकिन क्या हो अगर नामांकन लेने के बाद छात्रों को यह पता चले कि उनके कॉलेज को नैक से मान्यता नहीं है इसलिए विभाग उन्हें पढ़ने के लिए लोन नहीं देगा?

अभी कुछ ऐसी ही स्थिति राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों से मान्यता प्राप्त निजी कॉलेज में पढ़ने वाले छात्रों के साथ हुई है. डीआरसीसी ने पिछले तीस दिनों में 15 कॉलेज को योजना से बाहर कर दिया है जिसमें बिहार के 7 कॉलेज शामिल हैं.

पाटलिपुत्र और आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय से एफिलिएटेड कॉलेज में नामांकन लेने वाले छात्रों को परेशानी उठानी पर सकती है. दोनों विश्वविद्यालों से संबद्ध पांच साल पुराने कॉलेज जिन्होंने अब तक नैक के लिए आवेदन नहीं किया है. ऐसे कॉलेज के छात्रों को बीएससीसी (BSCC) का लाभ नहीं दिया जाएगा. इस आदेश के बाद दोनों विश्वविद्यालय के करीब 15 निजी कॉलेजों में पढ़ने वाले 10 हज़ार से अधिक छात्र-छात्राओं को स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना का लाभ इस साल नहीं मिल सकेगा.

इन कॉलेजों के नए सत्र में नामांकन लेने वाले छात्र जिन्होंने एससीसी के लिए आवेदन किया है, डीआरसीसी उनके आवेदन को रिजेक्ट कर रहा है. हालांकि विभाग ने उन कॉलेजों को छूट दी है जिनका संचालन पांच वर्ष से कम समय से हो रहा है. उनके छात्रों को इसका लाभ मिलता रहेगा.

पटना यूनिवर्सिटी के प्रोफ़ेसर डॉ गौतम कुमार इस तरह के नियम पर कहते हैं “अगर विभाग को रोक लगाना है तो सत्र के प्रारंभ में ही रोक लगा देना चाहिए. या जिन बच्चों का नामांकन हो चुका है उन पर इसका असर नहीं होना चाहिए. क्योंकि जिन बच्चों ने क्रेडिट कार्ड के आधार पर ही नामांकन ले लिया है वो अगले साल की फीस कहां से देंगे. अगर इस तरह का नियम लाए जाने पर विचार भी किया जा रहा है तो यह व्यवहारिक नहीं है.” 

यूनिवर्सिटी द्वारा प्राइवेट एफलिएटेड कॉलेजों के लिए नैक की अनिवार्यता लेने के लिए कोई स्पष्ट नियम नहीं थे. जबकि अंगीभूत कॉलेज को नैक ग्रेडिंग लेना अनिवार्य था. ऐसे में किसी कॉलेज में पढ़ने वाले छात्र को, उस कॉलेज की रैंकिंग या ग्रेडिंग किस आधार पर योजना से वंचित करना है इसके लिए विभाग को लिखित नोटिस देना चाहिए.

पाटलिपुत्र युनिवर्सिटी से संबद्धत्ता प्राप्त (Affliated) कॉलेज की संख्या 45 है जिसमें, 26 पटना जिले में जबकि 19 नालंदा जिले में हैं. यूनिवर्सिटी के अंतर्गत 26 अंगीभूत (Constituent) कॉलेज आते हैं जिनमें पटना जिले में 20 और नालंदा जिले में 6 कॉलेज है. लेकिन इनमें से मात्र चार कॉलेज को ही नैक की ग्रेडिंग मिली हैं. अन्य कॉलेज ग्रेडिंग के लिए आवेदन की तैयारी कर रहे हैं.

जिला डीआरसीसी कार्यालय में नहीं जानकारी

डीआरसीसी ने स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना (SCC) के नए निर्देशों के संबंध में निजी कॉलेजों के संचालकों को सूचित किया है. इसके बाद राज्य के अधिकतर निजी कॉलेजों में नैक की प्रक्रिया चल रही है. कई कॉलेजों ने नैक पोर्टल पर सेल्फ स्टडी रिपोर्ट (SSR) भी जमा किया है लेकिन विभाग इसको मान्यता नहीं दे रहा है.

नैक पोर्टल पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार पहले चरण के लिए राज्य के 142 कॉलेजों ने एसएसआर रिपोर्ट जमा किया है. जिसमें से कई रिपोर्ट रिजेक्ट की जा चुकी हैं.

नैक ग्रेडिंग चार सालों के लिए वैध होती है. किसी संस्थान द्वारा पहली बार नैक ग्रेड पाना 'पहला चरण' कहा जाता है. राज्य में केवल पटना विमेंस कॉलेज और एएन कॉलेज ने चौथे चरण में भाग लेकर ग्रेड प्राप्त किया है.

डीआरसीसी के प्रभारी पदाधिकारी नसीम मोहम्मद ने कहा “नियम के अनुसार निजी कॉलेज के लिए नैक अनिवार्य है. नैक की मान्यता नहीं लेने वाले निजी कॉलेजों के नए सत्र के छात्रों का स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड बंद है. निजी कॉलेज साथ हुई बैठक में प्रबंधकों ने अपनी मांग रखी है जिस पर विचार किया जा रहा है.”

विभाग द्वारा इतना बड़ा कदम उठाए जाने पर विचार किया जा रहा है लेकिन जिला कार्यालयों में कार्य कर रहे अधिकारीयों को इसकी जानकारी नहीं है.

पटना जिला डीआरसीसी मैनेजर कुमारी पूनम पाल इस तरह के किसी भी नियम से इंकार करती हैं और कहती हैं “नैक, एनआईआरएफ या एनबीए की अनिवार्यता बिहार से बाहर के निजी कॉलेजों पर लागू की जाती है. बिहार में ऐसा नहीं है.”

नालंदा जिले की डीआरसीसी कार्यालय से भी इस संबंध में कोई सूचना नहीं होने की बात कही गई.

साल दर साल कम हो रहा बजट

बीते  26 अगस्त को विधानसभा में प्रथम अनुपूरक बजट पारित किया गया. जिसमें राज्य में संचालित कई योजनाओं के लिए राशि का आवंटन किया गया. बजट आवंटन में स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड स्कीम के लिए 400 करोड़  रूपए आवंटित किये गए.

जबकि वित्तीय वर्ष 2023-24 में इस मद में 690 करोड़ रूपए का आवंटन हुआ है. वहीं वित्तीय वर्ष 2022-23 में 700 करोड़ आवंटित किए गए थे. पिछले दो वर्षों में योजना मद में 300 करोड़ रुपए की कटौती की जा चुकी है.