बिहार में शिक्षा को बढ़ावा देने और बालिकाओं को सशक्त बनाने के उद्देश्य से सरकार ने कई योजनाओं की शुरुआत की है. इनमें से एक महत्वपूर्ण योजना है मुख्यमंत्री बालिका पोशाक योजना, जिसका उद्देश्य है राज्य की छात्राओं को वित्तीय सहायता प्रदान करना, ताकि वे स्कूल की पोशाक खरीद सके और शिक्षा से वंचित न हो.
इस योजना के तहत, कक्षा 1 से 12 तक की लड़कियों को हर साल वित्तीय सहायता दी जाती है. सरकार के अनुसार वर्ष 2022-23 में 18,08,534 बालिकाओं को इस योजना का लाभ मिला, और वर्ष 2023-24 के लिए 100 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. योजना के अनुसार: कक्षा 1 और 2 की छात्राओं को 600 रुपये प्रति वर्ष ,कक्षा 3 से 5 की छात्राओं को 700 रुपये प्रति वर्ष, कक्षा 6 से 8 की छात्राओं को 1000 रुपये प्रति वर्ष, कक्षा 9 से 12 की छात्राओं को 1500 रुपये प्रति वर्ष मिलते हैं.
इस योजना का प्रमुख उद्देश्य है लड़कियों को शिक्षा के प्रति प्रोत्साहित करना और उन्हें आत्मनिर्भर बनाना था. हालांकि इस योजना से लाखों छात्राओं को लाभ मिला है, फिर भी कुछ इलाकों में बच्चियों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है.
स्कूल छोड़ने की एक बड़ी वजह पोशाक ना होना
काजल (बदला हुआ नाम), जो पटना के एक सरकारी स्कूल में पढ़ती थीं, योजना का लाभ न मिलने के कारण स्कूल जाना छोड़ दिया. जब हमने काजल से बात की तो उन्होंने बताया कि “मेरे परिवार के पास इतने पैसे नहीं है कि मैं स्कूल ड्रेस ले सकूं ऊपर से इस योजना के तहत मुझे कोई लाभ नहीं मिला. घर का कपड़ा पहन के जाने पर स्कूल वाले बहुत डांटते थे और कभी कभी स्कूल से भगा भी देते थे. जिसके कारण मैंने स्कूल जाना छोड़ दिया.”
साल 2014-15 में माध्यमिक स्तर पर कुल बच्चों का 25.33%, साल 2015-16 में 25.90% और 2016 -17 में 39.73% बच्चों ने स्कूल छोड़ा है. हालांकि साल 2019-20 के आंकड़ों के अनुसार बिहार में ड्राप आउट की संख्या कम होकर 21.4% पर पहुंची है. लड़कियों में माध्यमिक (9-10) कक्षाओं में ड्राप आउट की संख्या अभी भी चिंताजनक है.
साल 2019-20 के आंकड़ों के अनुसार 22.7% लड़कियां स्कूल छोड़ देती हैं. ग्रामीण इलाकों की समस्याएं ग्रामीण क्षेत्रों में लड़कियों के लिए पोशाक योजना के तहत मिलने वाली राशि का लाभ नहीं मिल पाना एक बड़ी समस्या है. पूजा (बदला हुआ नाम), से जब हमने बात की तो उन्होंने बताया कि “शहरी इलाकों में भले पैसे मिल जाते होंगे लेकिन हमें पोशाक के लिए पैसा नहीं मिल पाता है. हम लोग किसान हैं. मुश्किल से गुज़ारा बसर करते हैं. मेरे पास स्कूल जाने के लिए एक ही पोशाक है जो मैं पिछले 2 सालों से इस्तेमाल कर रही हूं. उम्मीद हर साल करती हूं की इस बार पोशाक के लिए राशि मिल जाएगी लेकिन इस योजना का लाभ मुझे नहीं मिल रहा है.”
ग्रामीण इलाके में महिला साक्षरता कम
बिहार में महिला साक्षरता दर 51.5% है, जो पुरुष साक्षरता दर 71.2% से काफ़ी कम है. बिहार में कुल साक्षरता दर 61.8% है. ग्रामीण क्षेत्रों में कुल साक्षरता दर 43.9%, और वहां महिला साक्षरता दर 29.6% है. शहरी क्षेत्र: कुल साक्षरता दर 71.9%, जिसमें महिला साक्षरता दर 62.6% है. बिहार में महिलाओं का साक्षरता दर आज भी कम है इसकी वजह कई सारी हो सकती है. लेकिन इसकी सबसे बड़ी वजह है सरकार द्वारा लाई गई योजनाओं का लाभ छात्राओं तक न पहुंचना.
दूसरे का पोशाक पहन कर स्कूल जाती हैं छात्राएं रोशनी, जो कक्षा 8 की विद्यार्थी हैं, का सपना है कि वह बड़े होकर डॉक्टर बने. लेकिन वह भी योजना का लाभ न मिलने के कारण परेशान रहती हैं. उनके पास स्कूल ड्रेस नहीं है, और उन्हें अपने गांव की एक दीदी के पुराने कपड़े पहनकर स्कूल जाना पड़ता है.
रोशनी से जब हमने बात की तो उन्होंने बताया कि “मेरे पास अपने स्कूल के कपड़े तक नहीं है.मुझे कभी भी मुख्यमंत्री पोशाक योजना का लाभ नहीं मिला. मेरे गांव में एक दीदी हैं जिन्होंने पढ़ाई छोड़ दी और मैं उन्हीं का कपड़ा स्कूल जाने के लिए इस्तेमाल करती है. कई बार कपड़े गंदे हो जाने पर स्कूल में अच्छा व्यवहार नहीं होता है जिसके कारणवश मुझे काफ़ी परेशानी होती है. मैं सरकार से विनती करती हूं की मुझे भी इस योजना का लाभ मिले ताकि हम सब भी सर उठा कर स्कूल जाकर पढ़ाई कर सकें और अपने सपने पूरे कर सके.”
क्या रोशनी सहित सभी लड़कियों को मिलेगा लाभ?
रोशनी और बिहार की कई अन्य छात्राएं सरकार से अपील करती हैं कि उन्हें भी योजना का लाभ मिले, ताकि वे आत्मसम्मान के साथ स्कूल जा सकें और अपने सपनों को पूरा कर सकें. जब हमने इस मुद्दे पर शिक्षा विभाग से बात करने की कोशिश की तो लगातार कोशिशों के बावजूद हमारी उनसे बात नहीं हो पाई. लेकिन हम लगातार कोशिश करते रहेंगे ताकि बच्चियों को उनका अधिकार मिल सके.
मुख्यमंत्री बालिका पोशाक योजना बिहार की लड़कियों को शिक्षा के लिए प्रोत्साहित करने की एक सराहनीय पहल है. लेकिन यह ज़रूरी है कि योजना का लाभ राज्य के हर कोने तक पहुँचे, खासकर ग्रामीण इलाकों में, जहाँ बालिकाएं अब भी शिक्षा से वंचित हैं. सरकार को इन चुनौतियों का समाधान ढूंढने और योजना के सही क्रियान्वयन पर ध्यान देने की आवश्यकता है, ताकि बिहार की हर बेटी अपने सपनों को पूरा कर सके.