पटना यूनिवर्सिटी को पिछली बार नैक से 2.55 सीजीपीए मिला था. इस बार यूनिवर्सिटी ने शोध के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट को मंजूरी देकर शोध के क्षेत्र में सुधार किया है. पटना यूनिवर्सिटी ने इस बार 12 शोध (Research) प्रोजेक्ट को मंजूरी दी है. इस रिसर्च प्रोज़ेक्ट का चयन 100 से अधिक प्रोज़ेक्ट में भी हुआ है.
ऐसे में यह उम्मीद की जा सकती है कि पटना यूनिवर्सिटी को नैक से इस बार अच्छी रैंकिंग मिल सकेगी. रिसर्च को आगे बढ़ाने के लिए पटना यूनिवर्सिटी ने सीड मनी भी जारी कर दिया है. जिसकी मदद से छात्र और शिक्षक रिसर्च वर्क को आगे बढ़ाएंगे. रिसर्च और डेवलप्मेंट सेल इसमें शिक्षकों की मदद करेगा. अगर इन रिसर्च प्रोजेक्ट के आधार पर पटना यूनिवर्सिटी नैक से 'ए ग्रेड' पाने में सफ़ल होता है तो पटना यूनिवर्सिटी डिस्टेंस एजुकेशन को शुरू कर सकता है. क्योंकि नैक से ‘ए ग्रेड’ नहीं मिलने के कारण यूजीसी ने पटना यूनिवर्सिटी के डीडीई संचालन पर रोक लगाया हुआ है.
12 रिसर्च प्रोजेक्ट पर पटना यूनिवर्सिटी ख़र्च करेगी 4 से 5 लाख की राशि
रिसर्च और डेवलप्मेंट सेल के द्वारा 12 शिक्षकों के माइनर रिसर्च को मंजूरी मिली है. इसके लिए शिक्षकों को तीन फेज में 4 से 5 लाख की राशि दी जाएगी. रिसर्च और डेवलप्मेंट सेल शिक्षकों द्वारा किये जा रहे रिसर्च की मॉनिटरिंग करेगी.
रिसर्च के प्रोग्रेस के आधार पर ही अगले फेज़ की राशि आवंटित की जाएगी. वहीं शोध के क्षेत्र में नियमितता बनाये रखने के लिए पटना यूनिवर्सिटी अलग से रिसर्च कोष का निर्माण करने जा रहा है. इस रिसर्च कोष में वोकेशनल कोर्स के नामांकन में मिलने वाली राशि का 10% जमा किया जाएगा.
शोध कोष में यह राशि हर वर्ष जमा होती रहेगी. जिससे आगे शोध करने वाले शिक्षकों या छात्रों को फण्ड की कमी नहीं होगी. पटना यूनिवर्सिटी में रिसर्च के लिए बेहतर परिवेश उपलब्ध कराने के लिए सरकार रिसर्च लैब का निर्माण करा रही है. इस समय पटना यूनिवर्सिटी में तीन रिसर्च लैब निर्माणाधीन हैं. वहीं एक रिसर्च लैब का निर्माण शुरू किया जाना है. सरकार की ओर से साइंस रिसर्च सेंटर, डॉलफिन रिसर्च सेंटर और सिसमिक रिसर्च सेंटर का निर्माण चल रहा है. जबकि पापुलेशन रिसर्च सेंटर का निर्माण कार्य जल्द शुरू किया जाना है.
ओवरऑल परफॉरमेंस पर होती है नैक ग्रेडिंग
नैक ग्रेडिंग का निर्धारण विभिन्न आयामों को देखने के बाद किया जाता है. किसी कॉलेज या पटना यूनिवर्सिटी में छात्रों के संपूर्ण विकास पर बेहतर सीजीपीए मिलता है. कॉलेज में पिछले पांच साल में प्लेसमेंट, सांस्कृतिक कार्यक्रम, खेलकूद, एनएसएस समेत छात्रों के ओवरऑल परफॉर्मेंस को देखा जाता है. कॉलेज के शिक्षकों का रिसर्च वर्क, बड़े जर्नल में शोध का प्रकाशन, कितने शिक्षक यूजीसी सहित अन्य विभागों के छोटे-बड़े प्रोजेक्ट पर कार्य कर रहे हैं, यह भी मानक के आधार होते हैं.
इसके अलावा कॉलेज में शिक्षक, कर्मचारियों और छात्रों की संख्या भी ग्रेड के मानक हैं. नैक द्वारा पटना यूनिवर्सिटी और कॉलेज की ग्रेडिंग एक हज़ार अंको पर की जाती है. ये एक हज़ार अंक सात अलग-अलग विभागों में बांटे गये हैं. इन विभागों के अंदर भी अलग-अलग श्रेणियां रखी गई हैं. हालांकि पटना यूनिवर्सिटी, ऑटोनोमस कॉलेज, यूजी कॉलेज और पीजी कॉलेज के लिए अंको का निर्धारण अलग-अलग किया गया है. इन विभागों में एक विभाग रिसर्च, इनोवेशन और एक्सटेंशन का है जिसके लिए 250 अंक निर्धारित हैं. इसी विभाग में अंक लाकर पटना यूनिवर्सिटी 2024 में ए प्लस ग्रेड लाना चाहता है.
इस विभाग में एक श्रेणी अनुसंधान प्रकाशन और पुरस्कार का है जिसके लिए 100 अंक मिलते हैं. पटना यूनिवर्सिटी के आईक्युएसी के निदेशक बिरेन्द्र प्रसाद ने डेमोक्रेटिक चरखा को जानकारी देते हुए कहा है कि “पटना यूनिवर्सिटी नेशनल और इंटरनेशनल जर्नल में रिसर्च प्रकाशित करवा रहा है. 2024 में इससे बेहतर ग्रेड मिलने की उम्मीद है. बेस्ट रिसर्च को पेटेंट कराने में भी पटना यूनिवर्सिटी मदद करेगा.”
हालांकि पटना विश्वविद्यालय का पिछले कुछ सालों में शैक्षणिक स्तर काफ़ी गिरा है. सत्र लेट होने के साथ-साथ, नियमित कक्षाओं और शिक्षकों की कमी ने पटना यूनिवर्सिटी को नीचे के पायदान पर गिराया है. जिसे जल्द-से-जल्द ठीक करने के लिए विश्वविद्यालय को एक सही रूपरेखा का निर्माण करना होगा. तभी जाकर पटना विश्वविद्यालय अपने पुराने शैक्षणिक गरिमा को वापस ला पाएगा.
बिहार में कुल 36 यूनिवर्सिटी हैं जिनमें से केवल 8 यूनिवर्सिटी को नैक से ग्रेडिंग मिली हैं. जिसमें सबसे अच्छी ग्रेडिंग सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ़ साउथ बिहार, गया को प्राप्त है. इसे 3.58 सीजीपीए के साथ A++ ग्रेड इसी वर्ष मिली है.
शिक्षकों के आधार पर नॉन परफ़ॉर्मर की श्रेणी में पटना पटना यूनिवर्सिटी
नैक द्वारा कॉलेज फैकल्टी के आधार पर यूनिवर्सिटी को स्कोर दिया जाता है. इसके लिए तीन श्रेणियां बनाई गयी है- परफ़ॉर्मर, अंडर परफ़ॉर्मर और नॉन परफ़ॉर्मर.
परफ़ॉर्मर की श्रेणी में आने के लिए 60 से ज़्यादा अंक, अंडर परफ़ॉर्मर के लिए 60 से कम और 40 से ज़्यादा या बराबर अंक और 40 से कम अंक वाले पटना यूनिवर्सिटी को नॉन परफ़ॉर्मर की श्रेणी में रखा जाता है. बिहार के दो यूनिवर्सिटी पटना यूनिवर्सिटी और बाबासाहब भीम राव अंबेडकर बिहार यूनिवर्सिटी को इस लिस्ट में शामिल किया गया है.
जिसमें 36 के स्कोर के साथ पटना पटना यूनिवर्सिटी और 31 के स्कोर के साथ बाबासाहब भीम राव अंबेडकर बिहार यूनिवर्सिटी नॉन परफ़ॉर्मर की श्रेणी में शामिल है.