बिहार में बिजली बिल में होगी बढ़ोतरी, 10-15 फ़ीसदी बढ़ेगा बिजली बिल

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बिहार में बिजली बिल में होगी बढ़ोतरी, 10-15 फ़ीसदी बढ़ेगा बिजली बिल

अगले साल से बिजली दर में बढ़ोतरी होने की संभावना से परेशान मनोज झा कहते हैं

मैं किराये के मकान में रहता हूं. पिछले दो सालों से मैं 9 रूपए के दर से बिजली का भुगतान कर रहा हूं. मेरे कितने परिचित पिछले कई सालों से 10 से 12 रूपए के दर से भी बिजली का भुगतान कर रहे हैं. अब यदि सरकार ही बिजली का दर बढ़ा देगी तो सोचिए हमारे ऊपर कितना बोझ बढ़ेगा.

राज्य में बिजली दर में 10 से 15 फ़ीसदी की बढ़ोतरी होने की संभावना है. इसका कारण बिजली कंपनी को हुए नुकसान को बताया जा रहा है. साउथ बिहार पॉवर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी और नार्थ बिहार पॉवर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी 2022-23 में लॉस की भरपाई के लिए सरकार को प्रस्ताव भेजने की तैयारी में है. बिजली कंपनी के अधिकारीयों के अनुसार, कंपनी को 26 फ़ीसदी का नुकसान बताया गया है. बिजली कंपनी के अनुसार वर्ष 2022-23 में 15 फ़ीसदी नुकसान की मंजूरी मिलने की बात कही गयी है. शेष 11 फ़ीसदी नुकसान की भरपाई के लिए रिव्यू पिटिशन दायर किया गया है.

वहीं वित्तीय वर्ष 2023-24 में सेस 11 फ़ीसदी नुकसान की भरपाई के साथ-साथ बिजली कंपनी को हुए वास्तविक नुकसान का आकलन कर उसकी भरपाई करने पर विचार किया जा रहा है. ताकि कंपनी को हुए नुकसान कि पूर्ति की जा सके.

मनोज आगे कहते हैं

महंगाई रोज आसमान छू रही है लेकिन हमारे आमदनी में कोई बढ़ोतरी नहीं है. मकान मालिक हर साल मकान का किराया बढ़ा देता है. बिजली में भी चोरी करता है और ज़्यादा दर से बिजली बिल भी जोड़ता है. साथ ही सरकार बिजली कंपनी को घाटे से निकालने के लिए बिजली दर बढ़ाने की तैयारी में है. यदि दर बढ़ेगा तो मकान मालिक उसकी भरपाई हम किरायदारों से कर लेगा. लेकिन हम इसकी भरपाई कहां से करेंगे? 

पटना के शहरी क्षेत्र में रहने वाले लाखों किरायदारों की यह समस्या हैं. सरकारी दर भले ही अभी 6-8 रूपए के बीच हो लेकिन यहां मकान मालिक मनमाने ढंग से बिजली बिल किरायदारों से वसूल रहे हैं.

अलग से 2.5 फ़ीसदी सेस लेगा नगर विकास विभाग

नगर विकास विभाग ने बिजली कंपनी से नगर निकाय क्षेत्र में 2.5 फीसदी सेस  वसूलने का प्रस्ताव दिया है. इसकी सरकार से मंजूरी मिलने के बाद बिजली कंपनी आयोग को अलग से प्रस्ताव देगी. यह प्रस्ताव वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए दिए जाने वाले प्रस्ताव के साथ ही दिया जाएगा. आयोग की मंजूरी मिलने के बाद नगर निकाय क्षेत्रों में रहने वाले उपभोक्ताओं की बिजली महंगी होगी.

बिजली कंपनी को हुए घाटे की भरपाई जनता के द्वारा करना गलत हैं. यह कहना है बिहार सामाजिक अंकेक्षण विभाग के प्रमुख संजीव श्रीवास्तव का. संजीव कहते हैं

सरकार बिजली कंपनी को हुए घाटे की बात तो बताती हैं. लेकिन कंपनी को घाटा कहां से हुआ क्या इसकी कोई जांच हुई है? नहीं. बिजली बिल का बकाया सबसे ज़्यादा सरकारी कार्यालयों, सरकारी विभागों, अधिकारीयों और नेताओं पर हैं. लेकिन घाटे का ठीकरा आम जनता पर फोड़ा जाता है.

जनसुनवाई के बाद होगा फैसला

बिहार राज्य विद्युत विनियामक आयोग को बिहार स्टेट पावर होल्डिंग कंपनी के नेतृत्व में काम करने वाली पावर जेनरेशन कंपनी, पावर ट्रांसमिशन कंपनी, स्टेट लोड डिस्पैच सेंटर, बिहार ग्रिड कंपनी, साउथ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी और नॉर्थ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी के द्वारा अलग-अलग प्रस्ताव सौंपा जाएगा.

इसपर आयोग के द्वारा प्रमंडलवार जनसुनवाई की तारीख तय की जाएगी. इस दौरान आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों के समक्ष उपभोक्ताओं के साथ बिजली कंपनी के द्वारा पक्ष रखा जाएगा. सभी का पक्ष सुनने के बाद आयोग अपना फैसला सुनाएगा. यह फैसला 1 अप्रैल 2023 से 31 मार्च 2024 तक लागू रहेगा.

एग्रीगेट टेक्नीकल एंड कमर्शियल लॉस में नही आ रही है कमी

राज्य की एक तिहाई से अधिक बिजली बर्बाद हो जाती है. तमाम कोशिशों के बाद बिहार भी बिजली क्षति पर प्रभावी अंकुश नहीं लग पा रहा. पिछली रिपोर्ट के अनुसार बिहार का एग्रीगेट टेक्नीकल एंड कमर्शियल लॉस (एटी एंड सी लॉस) 35 फ़ीसदी था. हालांकि बीते पांच वर्षों में इसमें छह फीसदी की कमी आई है. पहले यह 41 फ़ीसदी था. यह ऐसी समस्या है जहां बिहार को हर साल 1442 करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है.

केन्द्र सरकार ने बिहार को हर हाल में एटी एंड सी लॉस 15 फीसदी से नीचे लाने को कहा है. ऐसा न करने पर केन्द्रीय सहायता और केन्द्रीय योजनाओं में बिहार को नुकसान होने की भी बात कही गयी है. वर्ष 2015-16  में बिहार की पीक डिमांड 4000-4500 मेगावाट थी. तब 40 फीसदी नुकसान होने का सीधा मतलब था 1600 से 1800 मेगावाट बिजली की क्षति. वहीं साल 2020 में पीक डिमांड 6000 मेगावाट थी और एटी एंड सी लॉस 35 फ़ीसदी तब भी 2100-2200 मेगावाट बिजली की क्षति हुई थी.

संजीव कहते हैं

सरकार एटी एंड सी लॉस तो दिखा रही है लेकिन यह नुकसान क्यों हो रहा है इसका कारण छुपा रही हैं. एटी एंड सी लॉस को रोकने के लिए ही सरकार अधिकारियों को सैलरी देती है लेकिन इस नुकसान को न ही रोका जा रहा है और न इसका भरपाई हो रहा है. बिहार में बिजली का ट्रांसमिशन लॉस अंतर्राष्ट्रीय मानकों से चार गुना है और बिहार विद्युत् विनियामक आयोग द्वारा निर्धारित मानक के दोगुने से थोड़ा ज़्यादा ही है. सरकार जनता की गाढ़ी कमाई अधिकारियों पर लुटा रही हैं और आम जनता पर बोझ डाल रही हैं. राज्य सरकार बिजली कंपनी पर 1200  करोड़ रुपये खर्च कर चुकी. इसके बाद भी हानि 15 प्रतिशत पर नहीं पहुंचने के लिए बिजली कंपनी दोषी है.

वर्तमान में शहरी क्षेत्र में निर्धारित दर

वर्तमान में शहरी क्षेत्र में 0 से 100 यूनिट पर 6.10 रूपए निर्धारित है. 100 से 200 यूनिट पर 6.95 रूपए निर्धारित है. वहीं 200 से ज्यादा यूनिट पर 8.05 रूपए निर्धारित है. वहीं सरकार इसपर 1.85 रूपए अनुदान दे रही है.

वर्तमान में ग्रामीण क्षेत्र में निर्धारित दर

वर्तमान में ग्रामीण क्षेत्र में 0 से 50 यूनिट पर 6.10 रूपए निर्धारित है. 50 से 100 यूनिट पर 6.40 रूपए निर्धारित है. वहीं 100 से ज्यादा यूनिट पर 6.70 रूपए निर्धारित है. वहीं सरकार इसपर 1.85 रूपए अनुदान दे रही है. वहीं 100 से ज्यादा यूनिट पर सरकार 3.55 रूपए अनुदान देती है. वहीं 0 से 100 यूनिट पर 3.50 रूपए अनुदान देती है.