बिहार में सरकारी नौकरी पाना किसी अंगारों पर चलने से भी ज़्यादा मुश्किल काम है. और ये कोई फ़िल्मी डायलॉग नहीं बल्कि हकीकत है. इसकी सच्चाई का अंदाज़ा आपको आर्टिकल के आख़िर तक लग जाएगा. बिहार में सरकारी नौकरी की सबसे बड़ी बहाली रेलवे, BPSC और CTET है. लाखों अभ्यर्थी पूरे साल मेहनत करते हैं. घरों से दूर, माचिस के डब्बे जैसे कमरों में किताबों के बीच पूरा साल बिताने के बाद कभी परीक्षा रद्द हो जाती है तो कभी पेपर लीक. लेकिन इस बार अभ्यर्थियों को परेशान करने की तिकड़म प्रशासन ने कुछ अलग ही निकाली है. इस बार प्रशासन ने इन प्रमुख परीक्षाओं की तिथि एक साथ ही रख दी है.
13 दिसंबर को रेलवे और बीपीएससी (BPSC) की परीक्षा है और 14 दिसंबर को सीटीईटी (CTET) की परीक्षा की घोषणा की गयी है. अब इन प्रमुख परीक्षाओं के एक साथ होने की वजह से कई हज़ार अभ्यर्थी परीक्षा से वंचित रह जाएंगे और उनका साल बर्बाद हो जाएगा. हज़ारों अभ्यर्थी के CTET की परीक्षा का सेंटर भी बिहार से बाहर दिया गया है. ऐसे में BPSC की परीक्षा देकर तुरंत दिल्ली जैसे शहरों में पहुंच कर CTET की परीक्षा देना नामुमकिन है.
55 हज़ार अभ्यर्थियों की छूटेगी परीक्षा
परीक्षाओं की तिथि टकराने की वजह से 55 हज़ार ऐसे अभ्यर्थी हैं जो या तो BPSC की परीक्षा देंगे या फिर CTET की. साथ ही 40 हज़ार से अधिक ऐसे छात्र हैं जो रेलवे या फिर BPSC में से कोई एक परीक्षा दे पाएंगे. इसकी एक बड़ी वजह से सेंटर की दूरी. कुछ ऐसी ही समस्या सिद्धार्थ (बदला हुआ नाम) के साथ भी हो रही है. उनकी पहचान को छिपाना इसलिए ज़रूरी है क्योंकि सरकारी परीक्षा देने वाले छात्रों को मीडिया में बयान देने के बाद उन पर प्रशासन द्वारा कारवाई की जा चुकी है.
सिद्धार्थ भोजपुर जिले के पीरो प्रखंड के रहने वाले हैं. सिद्धार्थ ने CTET और BPSC की परीक्षा का फ़ॉर्म अप्लाई किया था. CTET की परीक्षा का सेंटर दिल्ली मिला है और BPSC का सेंटर मोतिहारी. अब किसी भी हालत में वो BPSC की परीक्षा देने के बाद CTET की परीक्षा नहीं दे सकते हैं. डेमोक्रेटिक चरखा की टीम से बात करते हुए सिद्धार्थ बताते हैं "देखिये, BPSC का फ़ॉर्म सबसे आख़िर में निकला था. तो BPSC अपनी परीक्षा की तिथि को थोड़ा आगे-पीछे कर सकता था. लेकिन एक साथ परीक्षा होने की वजह से मेरी एक परीक्षा छूटेगी. सरकार तो यहीं पर छंटनी कर देती है. अब जो लोग फ्लाइट से आना-जाना कर सकते हैं वो ही दोनों परीक्षा दे पाएंगे. हम सभी गरीब घर के बच्चे तो फिर एक परीक्षा से बिना दिए ही फ़ेल कर दिए जाएंगे."
अब सिद्धार्थ ये तय नहीं कर पा रहे हैं कि उन्हें कौन सी परीक्षा छोड़नी है. यही कश्मकश बिहार के 55 हज़ार छात्रों को भी हो रहा है.
इस बार BPSC ने निकाली है रिकॉर्ड वैकेंसी
इस बार BPSC ने रिकॉर्ड पदों पर नियुक्तियों की घोषणा की है. इस साल अलग-अलग विभागों की नियुक्ति को मिलकर कुल 2035 पदों पर नियुक्ति की जायेगी. पहली बार BPSC में इतने पदों पर भर्तियां निकाली गयी है. लेकिन जिन छात्रों की परीक्षा की तिथि टकरा रही है उन्हें इस मौके से भी वंचित कर दिया जा रहा है. इस मामले पर हमने BPSC से संपर्क किया और जानना चाहा कि क्या परीक्षा की तिथि बदली जा सकती है? जिस पर हमें जानकारी दी गयी कि "परीक्षा की पूरी तैयारी हो चुकी है. तिथि में कोई बदलाव नहीं होगा और परीक्षा तय दिन ही ली जायेगी.
क्या तिथियों को बदला नहीं जा सकता था?
सरकारी परीक्षाओं की तिथियां पहले से तय रहती है. लेकिन ऐसा कोई नियम नहीं है कि उसे बदला नहीं जा सकता है. प्रशासन की गलती और लापरवाहियों के कारण होने वाले पेपर लीक के मामले में हमेशा परीक्षा को रद्द किया जाता रहा है. लेकिन अगर कोई महत्वपूर्ण परीक्षाओं की तिथि आपस में टकरा जाती है तो उसको बदलने के लिए प्रशासन तैयार नहीं होती है.
इस मामले पर डेमोक्रेटिक चरखा की टीम ने अमित विक्रम, जो शिक्षक नेता हैं, उनसे बात की. हमारी टीम से बात करते हुए उन्होंने कहा कि "सरकार परीक्षाओं की तिथि को छात्र हित को ध्यान में रखते हुए बनाती ही नहीं है. सरकार का एक ही मकसद है, छात्रों को परेशान करना. सरकार को ये सब महत्वपूर्ण परीक्षा की तिथि रखने से पहले बाकी परीक्षाओं की तिथि को भी ध्यान में रखना चाहिए था. अभी इस वजह से हज़ारों छात्रों की परीक्षा छूटेगी, जिसकी ज़िम्मेदारी सरकार तो कभी भी नहीं लेगी."
सरकार अगर चाहती तो इन हज़ारों छात्रों की परीक्षा छूटने से बचा सकती थी. लेकिन सरकार और प्रशासन ने इस मामले से अपना पल्ला पूरे तरीके से झाड़ लिया है.