झारखंड एकेडमिक काउंसिल ने पारा शिक्षकों के लिए ली गई पहली दक्षता परीक्षा का परिणाम जारी कर दिया है. इस परीक्षा में सफल पारा शिक्षकों को 10 फीसदी बढ़ी हुई मानदेय का लाभ मिलेगा. इन सफल शिक्षकों को एक अक्टूबर से बढ़े हुए मानेदय का लाभ मिलेगा. नियमावली के अनुसार यह बढ़ोतरी परिणाम के बाद जैक की ओर से सर्टिफिकेट जारी करने की तिथि से होनी है. ऐसे में एक अक्तूबर के प्रभाव से 10 फीसदी मानदेय की बढ़ोतरी लागू होने की उम्मीद है.
पहली से पांचवीं कक्षा के पारा शिक्षकों के मानदेय में 1200 रुपए और छठी से आठवीं के सफल प्रशिक्षित पारा शिक्षकों के मानदेय में 1400 रुपए की बढ़ोत्तरी होगी. फिलहाल प्राथमिक स्कूल के प्रशिक्षित पारा शिक्षकों को 16,800 रुपए और मिडिल स्कूलों के प्रशिक्षित पारा शिक्षकों को 20,600 रुपये मानदेय के रूप में मिलते हैं.
झारखंड एकेडमिक काउंसिल की ओर से जारी परिणाम में 74.67% पारा शिक्षक पास हुए हैं.
कार्यकाल के अंत में दी जा रही हैं नौकरियां
झारखंड के पारा शिक्षक लंबे समय से नियमित वेतन और नौकरी के लिए आंदोलन कर रहे थें. पारा शिक्षकों की मांग थी कि सरकार इनके लिए अलग नियमावली बनाए. मुख्यमंत्री बनने से पहले हेमंत सोरेन ने पारा शिक्षकों के नियमतिकरण का वादा किया था. लेकिन अपने पूरे कार्यकाल में सरकार ने इस ओर ध्यान नहीं दिया. अब जब कार्यकाल पूरा होने में कुछ महीने बचे हैं तो परीक्षा का आयोजन किया गया है.
वहीं पारा शिक्षकों की परीक्षा से पहले जून महीने में लगभग तीन हजार पंचायत सचिव और निम्न वर्गीय लिपिकों को नियुक्ति पत्र बांटा गया था. इसे हेमंत सरकार ने बड़ी उपलब्धि बताया था. हालांकि यह नियुक्ति सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर छह सालों से अधिक समय के बाद हुई थी.
41,453 पारा शिक्षक हुए थे शामिल
झारखंड एकेडमिक काउंसिल (जैक) द्वारा प्रशिक्षित सहायक अध्यापकों (पारा शिक्षकों) के लिए राज्य में पहली बार दक्षता परीक्षा का आयोजन किया गया था. पहली बार हुए इस आंकलन परीक्षा में 41,453 पारा शिक्षक सम्मिलित हुए थे, जिसमें से 30,953 पारा शिक्षक पास हुए हैं. वहीं परीक्षा में असफल हुए शिक्षक दोबारा परीक्षा दे सकते हैं. उन्हें परीक्षा पास करने के तीन अवसर मिलेंगे.
एकीकृत सहायक अध्यापक संघर्ष मोर्चा के सदस्यों ने सरकार को परीक्षा आयोजन के लिए धन्यवाद दिया है. साथ ही परीक्षा में असफल हुए शिक्षकों को लिए दुबारा जल्द परीक्षा आयोजित करने की मांग की है.
रिजल्ट के आंकड़ों के मुताबिक पहली से पांचवीं क्लास के लिए 35,418 पारा शिक्षक परीक्षा में शामिल हुए थे. इनमें से 25,614 सफल रहे. इसमें पारा शिक्षकों की सफलता का प्रतिशत 72.31% रहा. वहीं, छठी से आठवीं में कार्यरत 6,035 पारा शिक्षक परीक्षा में शामिल हुए थे जिनमें से 5,339 शिक्षक सफल हुए हैं.
झारखंड एकेडमिक काउंसिल ने पारा शिक्षकों की आकलन परीक्षा 30 जुलाई को ली थी. परीक्षा ऑफलाइन (ओएमआर शीट) मोड में ली गई थी. 5 अगस्त को उत्तर पुस्तिका और आंसर-की ऑनलाइन जारी की गई जिस पर अभ्यर्थियों से आपत्ति मांगी गई थी. इसके बाद अंतिम रूप से 11 सितंबर को जैक आंसर-की जारी किया.
सरकार का पक्ष- इससे साक्षरता बढ़ेगी
सरकार ने पारा शिक्षकों की नियुक्ति झारखंड की प्राथमिक शिक्षा को दुरुस्त करने की नीयत से की है. इसके तीन जरूरी बिंदु हैं:-
- दूरदराज और आदिवासी क्षेत्रों में बड़ी संख्या में छोटे आकार की बस्तियां हैं, जो व्यापक रूप से बिखरी हुई हैं. इन बस्तियों के बच्चों को एक किलोमीटर के दायरे में प्राथमिक विद्यालय तक पहुंच नहीं है. इसलिए, समुदायों से स्थानीय शिक्षकों को नियुक्त किया जा सकता है.
- प्रत्येक स्कूल में न्यूनतम दो शिक्षकों को सुनिश्चित करने के लिए नियमित स्कूलों में पारा शिक्षकों को भी तैनात किया जाएगा. राज्य में कई स्कूलों में एक ही शिक्षक मौजूद हैं.
- छात्र-शिक्षक अनुपात (पीटीआर) को हल करने के लिए या दूसरे शब्दों में शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए, नियमित स्कूलों में पारा-शिक्षकों की नियुक्ति की जायेगी.
छात्र - शिक्षक अनुपात में सुधार की आवश्यकता
यू-डायस के रिपोर्ट के अनुसार झारखंड में 35,840 सरकारी स्कूल हैं जिनमें प्राथमिक स्कूलों की संख्या 21,318 और उच्च प्राथमिक स्कूलों की संख्या 11,625 है. वहीं माध्यमिक स्कूलों की संख्या 1,771 और उच्च माध्यमिक स्कूल की संख्या 1,126 है.
यू-डायस रिपोर्ट बताती हैं कि झारखंड में छात्र-शिक्षक अनुपात 38:1 है. राज्य में मौजूद स्कूलों और शिक्षकों की संख्या के हिसाब से प्रत्येक स्कूल में 5 शिक्षक ही उपलब्ध हैं जो बच्चों को पढ़ा रहे हैं. प्रत्येक स्कूल में 178 बच्चे नामांकित हैं.
यूनेस्को की एक रिपोर्ट 'स्टेट आफ एजुकेशन रिपोर्ट फार इंडिया : नो टीचर, नो क्लास' के मुताबिक़ झारखंड के क़रीब छह हज़ार स्कूलों में सिर्फ़ एक शिक्षक कार्यरत हैं. जो शिक्षा के अधिकार कानून (आरटीई) में बनाये गये नियमों का उल्लंघन है. शिक्षा का अधिकार कानून कहता है कि कम से कम 30 छात्र पर एक शिक्षक होना चाहिए.
यू-डायस के आंकड़ों के अनुसार राज्य में 1 लाख 18 हज़ार 856 सरकारी शिक्षक है जिनमें प्राथमिक स्कूल में 38,946 शिक्षक और उच्च प्राथमिक कक्षाओं में 50,310 शिक्षक हैं. वहीं माध्यमिक कक्षाओं में 16,171 और उच्च माध्यमिक कक्षा में मात्र 13,429 शिक्षक ही उपलब्ध हैं. राज्य में प्राथमिक कक्षाओं में 85.9% शिक्षक प्रशिक्षित हैं. वहीं उच्च प्राथमिक कक्षाओं के 85.3% शिक्षक प्रशिक्षित हैं.