![फैक्ट्री में काम करते मजदूर](https://img-cdn.thepublive.com/fit-in/1280x960/filters:format(webp)/democratic-charkha/media/media_files/qNl4cePbsbengzccqPlC.webp)
पीएम विश्वकर्मा योजना
"सरकार ना जाने कितनी योजना चलाती है लेकिन गरीब आदमी को किसी का लाभ नहीं मिलता है. एक साल से जूता सिलने का काम कर रहे हैं. यहां नाले के पास थोड़ा जगह मिल गया है इसलिए दुकान लगा लेते हैं. अगर कुछ पूंजी होता तो अपना छोटा सा दुकान खोल लेते.” यह कहना है बेगुसराय के रहने वाले 29 वर्षीय सोमनाथ कुमार का.
सोमनाथ पिछले एक सालों से हनुमान नगर के मोड़ पर जूता सिलने का काम कर रहे हैं. चर्मकार जाति से आने वाले सोमनाथ के परिवार का परंपरागत काम जूता सिलाई का है. पिता की मौत के बाद सोमनाथ ने परिवार के परंपरागत काम को अपना लिया है. सोमनाथ अपने पिता को भी धन्यवाद देते हैं जिनके कारण आज वह जूता सिलाई का काम सीख सके हैं.
सोमनाथ कहते हैं “मै सूरत में काम करता था. लेकिन बाबूजी (पिता) की मौत के बाद बिहार लौट आया. परिवार में मैं ही सबसे बड़ा था. मेरे बाद एक छोटा भाई और दो बहने हैं. ऐसे में पुरे परिवार की जिम्मेदारी मेरे ऊपर है. बाबूजी से जूता सिलाई का काम कम उम्र में ही सीख गये थे इसलिए अपना काम शुरू करने में ज्यादा परेशानी नहीं हुआ.”
सोमनाथ का कहना है कि, वे बाहर पैसा तो कमा लेते लेकिन घरवालों के पास कौन रहता. इसलिए चार पैसे कम ही सही, यही रहकर जूता सिलाई का काम करने लगे. सोमनाथ जैसे लाखों हुनरमंद युवा जिनके पास हुनर तो है लेकिन पूंजी के अभाव में वे अपना रोजगार नहीं शुरू कर पा रहे हैं. जबकि सरकार छोटी या कम पूंजी वाले लोगों कों रोजगार शुरू करने के लिए PMEGP, PMSVANidhi, PM Vishwakarma और Mudra Yojna जैसी कई योजनाएं चला रही है. इन सभी योजनाओं को देश के छोटे कारोबारियों, सड़क किनारे दुकान(roadside shop) लगाने वाले फूटकर दूकानदार, पारंपरिक कलाओं में जुटे कारीगर और असंगठित क्षेत्रों में काम करने वाले मजदूरों के लिए लाया गया है. इसके बावजूद देश में बेरोजगारी और पलायन एक बड़ी समस्या बनी हुई है.
हुनरमंदों को रोजगार का वादा ‘पीएम विश्वकर्मा’
बीते वर्ष पीएम नरेंद्र मोदी के जन्म दिवस के अवसर पर लांच किया गया पीएम विश्वकर्मा योजना देश के हुनरमंद कारीगरों को स्व-रोजगार शुरू करने के लिए लाया गया है. स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने पारंपरिक कौशल वाले लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना (pm vishwakarma scheme) लागू करने की घोषणा की थी.
इस योजना के अंतर्गत सात विभागों के 18 विभिन्न पारंपरिक ट्रेड्स, जैसे- लकड़ी, मिट्टी, मेटल, लेदर, सोना-चांदी, कंस्ट्रक्शन या अन्य किसी काम में जुटे लोग अपने हुनर को बढ़ाने और रोजगार शुरू करने के लिए आर्थिक सहायता ले सकते हैं.
बढ़ई, सोनार, कुम्हार, मूर्तिकार/पत्थर से अन्य सामान बनाने वाले, मोची, राजमिस्त्री, बुनकर/चटाई/झाड़ू बनाने वाले, रस्सी कातने वाले/बेलदार, पारंपरिक खिलौना निर्माता, नाई, सोनार, धोबी, दर्जी, मछली पकड़ने का जाल बनाने वाले, नाव बनाने वाले, कवच बनाने वाले, लोहार, ताला बनाने वाले, कुल्हाड़ी और अन्य औजार बनाने वाले हुनरमंदों को बुनियादी कौशल प्रशिक्षण एवं रोजगार शुरू करने के लिए आवश्यक उपकरण खरीदने के लिए टूलकिट प्रोत्साहन और स्व-रोजगार के लिए लोन देने का प्रावधान किया गया है.
एक साल में पांच लाख लोगों को मिलेगा रोजगार
इस योजना के तहत पहले वर्ष में पांच लाख परिवारों को लाभ पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है. अगर प्रत्येक वर्ष 5 लाख लोगों को योजना का लाभ मिलता है तो इस तरह योजना के पांच वर्षों की अवधि में कुल 30 लाख परिवारों को लाभ पहुंचने का अनुमान लगाया गया है.
अब तक इस योजना के तहत 1.18 लाख लोगों ने आवेदन किया है हालांकि राज्यवार डाटा नहीं होने के कारण यह नहीं बताया जा सकता कि किन राज्यों से सबसे अधिक आवेदन किए जा रहे हैं. वेबसाइट पर मौजूद आंकड़ों के अनुसार अबतक 4,85,883 लोगों द्वारा सफल पंजीकरण किया जा चुका है.
राज्यों में इस योजना के संचालन के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किये गये हैं. बिहार में इस योजना के कार्यान्वयन के लिए डिपार्टमेंट ऑफ इंडस्ट्रीज में नोडल अधिकारी नियुक्त हैं. बिहार से अबतक कितने लोगों ने इस योजना के लिए पंजीकरण कराया है इसकी जानकारी के लिए हमने नोडल अधिकारी से संपर्क करने का प्रयास किया लेकिन उनसे हमारी बात नहीं हो सकी है.
बड़े बजट के साथ हुई थी शुरुआत
स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले से अपने भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि विश्वकर्मा जयंती(Vishwakarma Jayanti) के दिन 17 सितंबर को 13 से 15 हजार करोड़ रुपये से 'विश्वकर्मा योजना' लॉन्च की जाएगी. पीएम मोदी की घोषणा के अगले ही दिन 16 अगस्त को केंद्रीय कैबिनेट ने इस योजना को मंजूरी दे दी थी.
कैबिनेट बैठक के बाद मीडिया को जानकारी देते हुए केंद्रीय रेलवे, संचार, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया था कि “इस योजना के तहत कारीगरों को दो श्रेणियों में प्रशिक्षण दिया जाएगा. यह प्रशिक्षण बुनियादी (Basic) और उन्नत (Advance) प्रशिक्षण कहलाएंगे. वहीं प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले व्यक्ति को स्टाइपेंड (भत्ता) भी दिया जाएगा.”
उन्होंने बताया था कि योजना के लिए 13 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है. हालांकि वित्तवर्ष 2024-25 के लिए जारी वित्तीय बजट में इसका संसोधित अनुमान 990 करोड़ रूपए का बताया गया है. वहीं इस वित्तीय वर्ष योजना के लिए 4,824 करोड़ रूपए का बजट अनुमान रखा गया है. यह योजना अगले पांच साल यानी 2023-2024 से वित्त वर्ष 2027-2028 तक लागू रहेगी.
दो लाख तक का मिलता है लोन
प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के तहत पंजीकृत कारीगरों और हस्तशिल्प श्रमिकों को विश्वकर्मा प्रमाण पत्र और पहचान पत्र मिलता है. वहीं चयनित व्यक्ति को पहले चरण में एक लाख तक का ब्याज मुक्त लोन जबकि दूसरे चरण में ब्याज दर पर पांच फीसदी की छूट के साथ दो लाख रुपए तक लोन दिया जाता है.
वहीं प्रशिक्षण लेने वाले व्यक्ति को प्रतिदिन 500 रुपए की आर्थिक सहायता के साथ ही औद्योगिक उपकरण खरीदने के लिए 15 हजार रुपए की वित्तीय सहायता देने का भी प्रावधान किया गया है. सरकार का दावा है कि इस स्कीम का लाभ ग्रामीण और छोटे कस्बों में रहने वाले जरूरतमंद और गरीब तबके को मिलेगा.