दिवाली में पटाखा बैन रहा फेल, प्रदूषण और सांस की बीमारी चरम पर

दीपावली से एक हफ्ते पहले ही बिहार सरकार ने राज्य के चार शहरों पटना, गया, मुजफ्फरपुर और हाजीपुर में पटाखे बेचने और जलाने पर पूरी तरह बैन लगाया था.

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पल्लवी कुमारी
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दिवाली में पटाखा बैन रहा फेल, प्रदूषण और सांस की बीमारी चरम पर

पटना के महेंद्रू के वार्ड नंबर 49 के रहने वाले 11 वर्षीय जुनैद (बदला हुआ नाम) की दिवाली उसके लिए उमंगों और रौशनी वाली नहीं रही. दोस्तों के साथ पटाखे जलाने की ख़ुशी कुछ ही घंटों में जलन और घांव में बदल गई. दरअसल, पटाखे जलाते समय दुर्घटनावश पटाखा उड़कर जुनैद के चेहरे पर जा लगा जिसके कारण उसका चेहरा जल गया.

जुनैद को तुरंत निजी अस्पताल में ले जाया गया जहां डॉक्टर ने हल्की चोट आने की बात कही जिसके बाद परिजनों ने राहत की सांस ली. जुनैद के पिता मिराज अंसारी बताते हैं “लगता है, पटाखा अच्छी क्वालिटी का नहीं था. जलाने पर वो तुरंत नहीं जला. बच्चा पास जाकर देखने गया तभी अचानक से वो फूट गया और उसका चेहरा जल गया.”

जुनैद के साथ हुई यह घटना बता रहा है कि पटना में आसानी से पटाखे बेचे और जलाए गये हैं. जबकि दीपावली से एक हफ्ते पहले ही बिहार सरकार ने राज्य के चार शहरों पटना, गया, मुजफ्फरपुर और हाजीपुर में पटाखे बेचने और जलाने पर पूरी तरह बैन लगाया था.

बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने पटाखों पर बैन को लेकर सुप्रीम कोर्ट एवं राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) द्वारा जारी आदेशों का हवाला दिया था. पटाखों पर लगे बैन के आदेश का सख्ती से पालन करने हेतु बिहार सरकार, बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद और बिहार पर्यावरण, वन एवं जलवायु नियंत्रण विभाग ने भी आदेश दिए थे. 

पटना के डीएम डॉ चंद्रशेखर सिंह ने पटाखों पर लगे पूर्णतः प्रतिबंध को लेकर कहा था “सुप्रीम कोर्ट और ग्रीन ट्रिब्यूनल का निर्देश है कि जिन शहरों में हवा की गुणवत्ता खराब है वहां पटाखों की बिक्री पर बैन रहेगा. पटना भी उन्हीं शहरों में आता है. आदेश के पालन के लिए सभी अनुमंडल पदाधिकारी और अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी को निर्देश दिया गया है.”

दिवाली के दौरान पटाखा बैन रहा फेल

लेकिन इन आदेशों और निर्देशों का पालन, इन शहरों में कहीं भी होता नजर नहीं आया. घायल जुनैद के पिता मिराज पटाखे पर बैन के बावजूद पटाखे खरीदने पर कहते हैं, “बैन के बावजूद पटाखे सब जगह आसानी से बिक रहे थे. ऐसे में बच्चों के जिद करने पर खरीदना पड़ता है. अगर आसपास नहीं बिकता, प्रशासन कड़ा प्रतिबंध रखता तो हमलोग नहीं खरीदते.”

प्रशासन ने केवल कागजी आदेश जारी कर अपनी जिम्मेदारी पूरी कर ली थी. वहीं आमलोगों ने भी दीपावली की रात पटाखे जलाने की होड़ में जीवन देने वाली हवा के गुणवत्ता की चिंता छोड़ दी. 

प्रशासन की मिलीभगत से होती है बिक्री

ऐसे में सवाल उठता है कि सरकार द्वारा प्रतिबंध लगाने का क्या औचित्य है? जब प्रशासन इसका पालन करवाने में सक्षम नहीं है. दैनिक भास्कर ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि प्रशासन की मिलीभगत से ही दुकानदार और पटाखा व्यापारी प्रतिबंधित समयों में भी पटाखा बेच रहे थे. जिसमें दुकानदार कहते हैं “पुलिस को दो से तीन हजार देकर मैनेज कर लिया जाता है.”

जब नियमों का पालन करवाने वाले ही उसे तोड़ने को तत्पर हों तो सरकार और कोर्ट को अपना आदेश और निर्देश वापस ले लेना चाहिए.

पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ कुमार दास इस संबंध में कहते हैं “बिहार में आदेश के नाम पर केवल कागजी घोड़े दौड़ाये जाते हैं. सरकार में कागजी घोड़ों की कमी नहीं है. मुख्य सचिव आयुक्त को कागजी घोड़ा दौड़ा देंगे कि पटाखों पर प्रतिबंध रखना है. आयुक्त जिलाधिकारी को, जिलाधिकारी अनुमंडल पदाधिकारी को और वो बीडीओ को, ऐसे ही पूरी खानापूर्ति कर दी जाती है.”

उनका मानना है कि बिहार में जिन भी वस्तुओं पर प्रतिबंध लगा है, चाहे वह शराब हो या पटाखे अवैध कमाई का रास्ता बन गये हैं. वे कहते हैं “क्या स्थानीय थाना प्रभारी को नहीं पता है कि उनके क्षेत्र में पटाखे बेचे जा रहे हैं. अधिकारीयों की मिलीभगत के कारण ही खुलेआम पटाखे बिकते है. इस प्रतिबंध के कारण ही दीवाली में कई भ्रष्ट अधिकारीयों के घर में लक्ष्मी आ गई होंगी.” 

पटाखे जलाने और बेचने पर रोक लगाने के प्रशासन की मंशा पर सवाल उठाते हुए अमिताभ दास कहते हैं, “अगर सीनियर एसपी ऑफिस से सभी थाना प्रभारियों को यह लेटर दिया जाता कि अगर तुम्हारे क्षेत्र में एक भी पटाखे की दूकान दिखी तो तुम्हें तत्काल निलंबित किया जाएगा. अगर ऐसा आदेश होता तो एक भी पटाखा नहीं बिकता. लेकिन ऐसा आदेश कोई नहीं देगा क्योंकि यहां भ्रष्टाचार का सिस्टम है. ऊपर से लेकर निचे तक सभी लोग मिले हुए हैं.”

एक्यूआई 300 के पार

बिहार में दिवाली के मौके पर रातभर जमकर आतिशबाजी हुई. राज्य के चार शहरों में पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध के बावजूद लोगों ने जमकर पटाखे जलाए. जिसके कारण प्रदेश के कई जिलों में एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) कई गुना बढ़ गया. एक्यूआई बढ़ने के बाद कहीं रेड अलर्ट तो कहीं येलो अलर्ट जोन बन गया है.

दिवाली के अगले दिन (1 नवंबर) को जब बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (BSPCB) ने शहरों के एयर क्वालिटी इंडेक्स की सूची जारी की उसमें हाजीपुर की हवा सबसे ‘बहुत खराब श्रेणी’ की बताई गयी. जिसके बाद इसे रेड अलर्ट जोन में रखा गया.

हाजीपुर का नाम देश के टॉप 12 प्रदूषित शहरों में भी पांचवे स्थान पर रहा. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) द्वारा जारी इंडेक्स के अनुसार 1 नवम्बर शाम चार बजे हाजीपुर का एयर क्वालिटी इंडेक्स 332 था जो ‘बहुत खराब श्रेणी’ का है.

हाजीपुर उन शहरों में शामिल था जहां पटाखों पर प्रतिबंध था. इसके अलावे राज्य के अन्य तीन शहरों के हवा की गुणवत्ता भी खराब श्रेणी में दर्ज किये गये.  

सीपीसीबी के अनुसार पटना का एक्यूआई 230, मुजफ्फरपुर का एक्यूआई 286 और गया का एक्यूआई 173 जारी किया.

बिहार प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने भी राज्य के 19 जिलों में हवा के प्रदूषित होने से संबंधित सूचि जारी की. इनमें नौ जिले ‘सबसे ज्यादा खराब’ श्रेणी में है.

बोर्ड ने हाजीपुर को रेड अलर्ट जोन में रखा है. इसके अलावा अररिया का एक्यूआई 274, पूर्णिया में 265, मुजफ्फरपुर में 247, बेगूसराय में 237, समस्तीपुर में 236, भागलपुर में 222, बेतिया में 220, और सिवान का एक्यूआई 270 रहा. राजधानी पटना में एक्यूआई का लेवल 204 रहा. इन शहरों को ‘ख़राब श्रेणी’ के साथ ऑरेंज ज़ोन में रखा गया है.

येलो अलर्ट जोन वाले जिलों में मुंगेर 195, बिहारशरीफ 191, छपरा 178, कटिहार 171, सहरसा 168, बक्सर 170, गया 144, मोतिहारी 136 और गोपालगंज का  112 एक्यूआई रहा.

यह स्थिति तब रही जब बिहार के चार जिलों में वायु एवं ध्वनी प्रदूषण पर  नियंत्रण रखने के लिए पटाखे के भंडारण, बिक्री और उसे जलाने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया था. इन चारों शहरों में ग्रीन पटाखे जलाने पर भी प्रतिबंध था. जबकि अन्य जिलों में रात आठ से 10 बजे तक केवल दो घंटे ग्रीन पटाखे जलाने के निर्देश थे.

स्वस्थ व्यक्ति भी हो सकता है बीमार

ऐसा सोचना कि दिवाली के अवसर पर छोड़े जाने वाले पटाखे केवल बुजुर्गों, बीमार व्यक्तियों, छोटे बच्चों और गर्भवती महिलाओं को ही प्रभावित करते हैं, भ्रम हैं. विशेषज्ञों ने कई बार चेतावनी दी है कि पटाखों से निकलने वाला धुआं स्वस्थ्य व्यक्ति को भी बीमार कर सकता है. इससे व्यक्ति थोड़े समय में ही सांस संबंधी गंभीर बिमारियों के चपेट में आ सकता है.

अनीसाबाद के रहने वाले 28 वर्षीय प्रवीण को दिवाली के दिन सांस लेने में तकलीफ होने के बाद अस्पताल में भर्ती करवाया गया. जबकि इससे पहले उन्हें ऐसी कोई समस्या नहीं थी. अस्पताल में डॉक्टरों ने कहा कि धुएं के कारण उन्हें ऐसी परेशानी हुई है.

प्रवीण के दोस्त नाजिश बताते हैं “दिवाली की रात करीब 10 बजे प्रवीन का कॉल आया. उसने बताया उसे चक्कर आ रहा है, सर घूम रहा है और हाथ पैर कांप रहा है. मैं उसेक घर जाने के लिए तुरंत निकला. लेकिन उसकी तबियत और बिगड़ गयी इसलिए घरवालों ने उसे हॉस्पिटल में भर्ती कराया. डॉक्टर ने उसे तुरंत नेब्युलाइज़र लगाया. करीब 45 मिनट उसे ऑक्सीजन पर रखना पड़ा. डॉक्टर ने कहा पटाखों के धुएं के कारण उसे सांस लेने में दिक्कत हुई है.” 

पटाखे जलाने से हवा में पीएम यानी पार्टिकुलेट मैटर की मात्रा बढ़ जाती है. पार्टिकुलेट मैटर प्रदूषण का एक प्रकार है. इसके कण बेहद सूक्ष्म होते हैं जो हवा में घुलकर बहते हैं. पीएम 2.5 या पीएम 10 हवा में कण के साइज़ को बताता है. सीपीसीबी की रिपोर्ट में बिहार के विभिन्न जिलों की हवा में पीएम 2.5 कण की मात्रा ही बढ़ी हुई पाई गई थी. हवा में मौजूद यही कण सांस लेने के दौरान हमारे शरीर में प्रवेश कर खून में घुल जाते हैं. इससे व्यक्ति को सांस लेने में दिक्कत हो सकती है.

दिवाली के दौरान पटाखा फोड़ते बच्चे

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार पटाखों में पोटेशियम नाइट्रेट, चारकोल, सल्फर, रंगों के लिए हैवी मेटल्स जैसे- लिथियम, एल्यूमिनियम, बोरियम और कॉपर मिलाये जाते हैं. इसके आलावे पटाखे की स्पीड और आवाज को बढ़ाने के लिए भी केमिकल्स, पेपर, ग्लू, राख, कार्बन मोनोऑक्साइड, वोटाइल आर्गेनिक कंपाउंड्स, पॉलीसाइक्लिक अरोमेटिक हाइड्रोकार्बन आदि मिलाए जाते हैं. जो जलने पर मानव स्वास्थ्य के लिए खतरनाक विषैले धुएं का उत्सर्जन करते हैं.

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