समस्तीपुर जिला के हसनपुर प्रखंड के नयागांव गांव में रविवार 4 जून को भीषण आग लग गयी. इस अगलगी की घटना में गांव के 20 से 25 घर जलकर राख हो गये. आग लगने की घटना जिस मोहल्ले में हुई वहां ज़्यादातर खेतिहर किसान मज़दूर वर्ग के लोग रहते हैं. दमकल की गाड़ियां पहुंचने तक मोहल्ले के दर्जनों घरों में लाखों का नुकसान हो चुका था.
आग लगने के कारण अपना सारा सामान और पैसा खोने से आहत महेंद्र राव रोते हुए डेमोक्रेटिक चरखा से बताते हैं
पोती की शादी के लिए पैसा और अनाज रखा था सब कुछ जलकर ख़त्म हो गया है. अब परिवार कैसे चलेगा ये सरकार ही जानेगी. जितना क्षति हुआ है सरकार उसका मुआवज़ा दे.
इसी मोहल्ले की रहने वाली गीता देवी सरकार से घर देने की मांग करती हुई कहती है
मेरा पूरा परिवार रोड पर आ गया है. कुछ नहीं बचा है. घर, अनाज, कपड़ा, बर्तन सब जल गया. घर में रखा पैसा भी जल गया. अब पूरा परिवार कहां रहेंगे. सरकार हमारे लिए पक्के घर का इंतज़ाम करे. ताकि इस तरह की घटना दोबारा नहीं हो.
प्रमिला देवी के पति मानसिक रोगी हैं. उनके इलाज के लिए घर में रखे 50 हज़ार रूपए भी जलकर राख हो गये. घटना से आहत प्रमिला देवी कहती हैं
मेरा घर वाला पागल है उसके इलाज के लिए घर में 50 हजार रुपया बक्सा में रखे थे. बिजली के तार से आग निकला और घर पर गिर गया. उसी से पूरे घर में आग लग गयी. दमकल की गाड़ी जब तक आई तब तक सब कुछ खत्म हो गया. मेरी सारी संपत्ति इसी घर में थी, सब खत्म हो गयी.
आग लगने के 24 घंटे बाद भी नहीं पहुंचे अधिकारी
इतनी बड़ी घटना होने के बाद भी अभी तक किसी वरीय अधिकारी ने घटना का जाएज़ा नहीं लिया और ना ही पीड़ित परिवार को आर्थिक सहायता या अन्य ज़रूरी सहायता दी गयी.
नया गांव के रहने वाले निखिल मिश्रा कहते हैं
इस गांव में यह कोई पहली घटना नहीं है. शार्ट सर्किट के कारण यह इस साल की चौथी घटना है. पहले की घटी घटनाओं में एक से दो घर जल जाते थे लेकिन इस बार तो पूरा मोहल्ला ही जल गया. बिजली विभाग को बिजली आपूर्ति में सुरक्षा का ध्यान रखना चाहिए.
आखिर इतनी बड़ी घटना कैसे हुई? इसपर स्थानीय समाजसेवक मुरली कुमार मिश्रा बताते हैं
लोगों द्वारा मिली जानकारी के अनुसार ट्रांस्फर्मर के नज़दीक के तार से आग की चिंगारी उड़कर पास के फूस (सूखा घास) के घर पर गिर गया. वहां से ही आग बाकी के घरों में फैल गयी. फ़ायर ब्रिगेड की गाड़ी आने तक सब कुछ जल चुका था. इस घटना में 10 लाख से अधिक की संपत्ति का नुकसान हुआ है.
राज्य में मार्च से जून माह के बीच में आगजनी की घटनाएं बढ़ जाती है. अलग-अलग जिलों से आग लगने की घटनाएं आ रही हैं ऐसे में यह जानना ज़रूरी हो जाता है कि आग लगने के बाद हुए नुकसान की भरपाई सरकार कैसे करती है.
बिजली की तार गिरने से बिहार में कई मौत
बिहार में बिजली की जगह-जगह खुली हुई है. बिजली विभाग की लापरवाही का भुगतान लोगों को अपनी जान देकर चुकानी पड़ रही है. 26 जून 2023 को पूर्णिया के टीकापट्टी में बिजली का तार गिरने से 4 महिलाओं की मौत हो गयी और 2 महिलायें झुलस गयीं.
ये महिलायें खेतों में दैनिक मज़दूर के तौर पर काम करती थीं. जिस समय बिजली का तार गिरा उस समय ये सभी महिलायें धान रोपनी का काम कर रही थीं. सरकार ने एक पत्र जारी करते हुए 'दुःख' व्यक्त किया, मुआवजे की बात कही. लेकिन क्या दुःख व्यक्त करने और मुआवज़ा देने से विभाग की लापरवाही को छुपाया जा सकता है?
साल 2021 के NCRB के आंकड़ों के अनुसार देश में असमय मौत में 3.2% योगदान बिजली तार के चपेट में आने से है.
कुछ ऐसी ही घटना बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले में 12 जून को घटी. नालंदा के गौरिया गांव की गिरिजा देवी और उनके पति किशोर कुमार बकरी पालन से अपना जीवन यापन करते थें.
ग्रामीणों का आरोप है कि रात को अंधी बारिश की वजह से रात के समय बिजली काटने की बात कही गई थी. इसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई थी. इस अनदेखी की वजह से तीन लोगों की दर्दनाक मौत हो गई. अगर बिजली विभाग सही समय पर करंट को रोक देता, तो यह हादसा नहीं होता.
आगजनी को लेकर क्या है कानूनी नियम
राज्य में कहीं भी अगलगी की घटना होने के 15 दिनों के अंदर मुआवजा देने का प्रावधान है. बिहार फायर सर्विसेज एक्ट, 1948 के धारा 12 के अंतर्गत बिहार सरकार आगजनी या अगलगी की घटना होने पर 15 दिनों के अंदर उचित मुआवजा देती है. आगजनी की घटना में हुए नुकसान की क्षतिपूर्ति 15 दिनों के अंदर नहीं होने पर पीड़ित पक्ष के पास कौन से कानूनी विकल्प बचते हैं?
इसपर पटना हाईकोर्ट के वकील विशाल कुमार डेमोक्रेटिक चरखा को बताते हैं
अगलगी की घटना होने पर जिलाधिकारी जो कि जिले के आपदा प्रबंधन कमेटी के अध्यक्ष भी होते हैं, उन्हें यह शक्ति प्राप्त है कि मामले की जांच करके जिला स्तर पर आपदा राहत कोष में से यह राशि पीड़ित को सौंपे. इसके लिए आपदा राहत का एक फॉर्म भरना होता है जो बिहार सरकार के आपदा प्रबंधन मंत्रालय के वेबसाइट पर उपलब्ध है. इसके अतिरिक्त यह फॉर्म हर पंचायत और प्रखंड कार्यालय में भी मुफ्त उपलब्ध होता है. अगर इसको भरने में कोई परेशानी हो रही हो तो अपने वार्ड सदस्य से मदद ली जा सकती है. इसमें पीड़ित स्वयं को हुई आर्थिक क्षति का ब्योरा देता है. इसके बाद उसपर विचार करके राशि दी जाती है.
विशाल आगे कहते हैं
अगर जिला स्तर पर समय पर मुआवजा राशि नहीं मिलता है तो आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव को आवेदन दिया जा सकता है. यदि फिर भी बात ना बनें तो पीड़ित व्यक्ति सीधा उच्च न्यायालय में रिट याचिका दायर कर सकता है.
आपदा प्रबंधन विभाग के नोटिफिकेशन नंबर 1418 जो कि अप्रैल, 2015 में छपा था उसमें गैस रिसाव को एक आपदा माना गया है, आगजनी या अगलगी भी उसी का अंग माना जाता है.
आगजनी में हुए नुकसान के लिए सरकार कितना मुआवजा देती है. इसपर जानकारी देते हुए विशाल बताते हैं “आमतौर पर ऐसे मामले में 11 हज़ार से एक लाख तक की राशि दी जाती है. परंतु इसका कोई मानक तय नहीं है, यह पीड़ित को हुई आर्थिक क्षति के हिसाब से तय होता है.”
मुआवजे की राशि कैसे तय की जाती है
अगलगी की घटना में मुआवजा राशि कितना और किन परिस्थितियों के आकलन के आधार पर निर्धारित किया जाता है? इसपर जानकारी देते हुए पटना जिले के आपदा प्रबंधन विभाग के अपर समाहर्ता (ADM) संतोष कुमार झा बताते हैं
घटनास्थल पर जाकर अधिकारी वेरीफाई करते हैं और नुकसान का आकलन करते हैं. नुकसान आकलन करने के बाद दो से तीन दिनों के अंदर मुआवज़ा दे दिया जाता है. वहीं बर्तन और कपड़े के लिए तुरंत सहायता राशि दे दी जाती है. साथ ही अस्थायी निवास यानि टेंट बनाने के लिए प्लास्टिक और खाने का प्रबंध भी किया जाता है.
पटना जिले में गर्मी के मौसम में अबतक 22 आगजनी की घटना हो चुकी है. इसमें एक भी व्यक्ति की मृत्यु नहीं हुए है. आगजनी की घटना में 249 झोपड़ी, 11 पशु और 12.22 एकड़ फसल का नुकसान हुआ है. फसल नुकसान के एवज में सरकार ने 2 लाख 9 हजार 900 रूपए का भुगतान किया गया है. 24 लाख 89 हज़ार 200 रूपए कपड़े और बर्तन के लिए दिए गये है.
राज्य में आगजनी में हुए नुकसान के लिए मुआवजा के नियम
- डेयरी व व्यवसायिक गतिविधि में उपयोग होने वाले पशुओं के लिए मुआवज़ा नहीं दिया जाता है.
- यदि अग्निकांड में पशु मरते हैं तो उसकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी होनी चाहिए तभी मुआवज़ा मिलेगा, पशुओं की मौत पर मुआवज़ा देने की भी सीमा है.
- भैंस और गाय मरने पर अधिकतम 3 पशुओं की गणना के हिसाब से 37 हज़ार का मुआवज़ा दिया जाता है.
- बैल, घोड़ा, ऊंट, गधा जैसे पशुओं के मरने पर अधिकतम 3 पशुओं के हिसाब से 32 हजार का मुआवज़ा दिया जाता है.
- इसी प्रकार भेड़, बकरी के लिए 4 हजार का मुआवज़ा फिक्स है, जो अधिकतम 30 भेड़, बकरियों पर दिया जाता है.
- यदि पक्का घर है तो 35,000 रुपए, कच्चा घर है 9800 रुपए, झोपड़ी जलने पर 8000 रुपए का मुआवजा देने का प्रावधान है.
- वहीं फसल मुआवजा भी दो श्रेणी में दिया जाता है, सिंचित और असिंचित भूमि के लिए अलग. एक हेक्टेयर (ढाई एकड़) सिंचित भूमि में लगे फसल में, यदि 33% से ज्यादा फसल का नुकसान हो गया है तो उसके लिए 8500 रूपए मुआवजा दिया जाता है. वहीं असिंचित भूमि के लिए प्रति हेक्टेयर 17,500 का भुगतान दिया जाता है.
गर्मी बढ़ने के साथ ही जिले में आगजनी की घटनाएं भी बढ़ रही हैं. लोगों को इससे जानमाल के साथ साथ अन्य किमती वस्तुओं की क्षति से आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है. इसमें सरकार के स्तर पर पीड़ित परिवारों को मुआवजा देने का प्रावधान है, लेकिन नियमों की जानकारी नहीं होने से पीड़ित परिवारों को मुआवज़ा नहीं मिल पाता है. सरकार की कोशिश होनी चाहिए कि ऐसी घटनाओं को न्यूनतम किया जा सके. हालांकि एक्शन प्लैन की कमी और ध्यान ना देने की वजह से ऐसा होना निकट भविष्य में मुमकिन नहीं दिख रहा है.