केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की ओर से शुक्रवार को फ्रीडम हाउस की हालिया रिपोर्ट को ‘भ्रामक, गलत और अनुचित’ करार दिया। इस रिपोर्ट में भारत के दर्ज़े को ‘ स्वंतत्र ‘ से घटाकर ‘आंशिक रूप से स्वतंत्र’ कर दिया गया है।

सरकार ने कहा कि देश में सभी नागरिकों के साथ बिना भेदभाव समान व्यवहार होता है और चर्चा, बहस व असहमति भारतीय लोकतंत्र का हिस्सा हैं।
रिपोर्ट में सरकार द्वारा मीडिया, शिक्षाविदों, नागरिक संस्थाओं आदि पर कार्यवाहीं की भी बात
ग़ौरतलब है कि अमेरिकी संगठन की रिपोर्ट में दावा किया गया था कि भारत की स्थिति में गिरावट बहुस्तरीय पैमाने के कारण हुई है। जिसमें हिंदू राष्ट्रवादी सरकार और उसके सहयोगियों ने बढ़ती हिंसा और भेदभावपूर्ण नीतियों की अध्यक्षता की जो मुस्लिम आबादी को प्रभावित करती हैं।
इस रिपोर्ट के नतीजों पर टिप्पणी करते हुए मंत्रालय ने कहा, ‘भारत सरकार अपने सभी नागरिकों के साथ समानता का व्यवहार करती है जैसा देश के संविधान में निहित है और बिना किसी भेदभाव के सभी क़ानून लागू हैं। भड़काने वाले व्यक्ति की पहचान को ध्यान में रखे बिना, क़ानून व्यवस्था के मामलों में क़ानून की प्रक्रिया का पालन किया जाता है।”

सरकार ने दिल्ली दंगो और कोरोना वायरस के दौरान भेदभाव को नकारा
मंत्रालय ने कहा, ‘जनवरी 2019 में उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के खास तौर पर उल्लेख के मद्देनजर, क़ानून प्रवर्तन तंत्र ने निष्पक्ष और उचित तरीके से तत्परता के साथ काम किया। हालात को नियंत्रित करने के लिए उचित कदम उठाए गए थे। प्राप्त हुई सभी शिकायतों पर क़ानून प्रवर्तन मशीनरी ने क़ानून और प्रक्रियाओं के तहत आवश्यक विधिक और निरोधात्मक कार्रवाई की थीं।’
सरकार ने रिपोर्ट में लगाए गए उस आरोप को भी खारिज़ किया कि कोविड-19 की वजह से लागू लॉकडाउन में शहरों में लाखों प्रवासी मजदूरों को बिना काम और मूलभूत संसाधनों के छोड़ दिया गया और इसकी वजह से लाखों घरेलू कामगारों का खतरनाक और अनियोजित विस्थापन हुआ
सरकार ने कहा कि कोरोना वायरस संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए लॉकडाउन की घोषणा की गई थी। इस अवधि ने सरकार को मास्क, वेंटिलेटर, पीपीई किट आदि की उत्पादन क्षमता बढ़ाने का मौका दिया। इस तरह महामारी के प्रसार को प्रभावी तरीके से रोका गया।

पत्रकारों , शिक्षाविद् आदि को धमकाने पर भी दिया जवाब
रिपोर्ट में किए गए शिक्षाविदों और पत्रकारों को धमकाने के दावों पर सरकार ने कहा, ‘चर्चा, बहस और असंतोष भारतीय लोकतंत्र का हिस्सा है। भारत सरकार पत्रकारों सहित देश के सभी नागरिकों की सुरक्षा को सर्वोच्च अहमियत देती है।
सरकार ने पत्रकारों की सुरक्षा पर राज्यों और संघ शासित क्षेत्रों को विशेष परामर्श जारी करके उनसे मीडिया कर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सख्त क़ानून लागू करने का अनुरोध किया है।’
211 देशों की सूची पहले 83वें अब 88वें स्थान पर पहुंचा भारत बना आंशिक स्वतंत्र
राजनीतिक अधिकारों और नागरिक स्वतंत्रताओं की स्थिति के आधार पर भारत को पिछले साल के 71 अंकों की बजाय इस साल मात्र 67 अंक मिले हैं। स्वतंत्रता सूचकांक में फिनलैंड, नार्वे और स्वीडन पहले और जबकि तिब्बत और सीरिया सबसे नीचे है।