'आयुष्मान भव' कार्ड लक्ष्य से 90% दूर, बिहार में सिर्फ 2 लाख कार्ड बने

'आयुष्मान भव' अभियान के तहत 7 करोड़ पात्र परिवारों के 36 करोड़ नए लोगों को जोड़ने का लक्ष्य रखा था. जिनमें से मात्र 3 करोड़ लोगों के कार्ड बने.

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पल्लवी कुमारी
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सरकारी अस्पताल में इलाज करवाने आये लाभार्थी

62 वर्षीय दिनेश राम की पत्नी पिछले वर्ष पेट के दर्द से बेचैन थी. जांच के बाद डॉक्टर ने उन्हें पेट का ऑपरेशन कराने की सलाह दी. दिनेश राम ने अपनी पत्नी का ऑपरेशन मसौढ़ी के प्राइवेट अस्पताल में कराया. जहां उन्हें डेढ़ लाख का खर्च आया.

दिनेश राम कहते हैं “डेली (रोजाना) मसौढ़ी से पटना आते हैं, ठेला चलाने. दिन-रात ठेला चलाकर 10 से 15 हजार होता है. उसी में पांच परिवार का सब कुछ देखना पड़ता है. इसी बीच अगर रोगी-बीमारी आ गया तो उसको भी निपटाना पड़ता है. पिछले साल पत्नी के इलाज के लिए कर्ज लेना पड़ गया. उसका पेट का बड़ा ऑपरेशन हुआ जिसमें डेढ़-लाख रूपया खर्च हुआ.”

dinesh ram

क्या आपका आयुष्मान भारत कार्ड बना है, इसपर दिनेश राम कहते हैं “नहीं, बना है. आवेदन दिए थे लेकिन रिजेक्ट हो गया. वार्ड पार्षद को बोलते हैं तो कहता है बनवा देंगे लेकिन कुछ नहीं हुआ.”

ठेला चालक मुकेश कुमार अकेले अपने चार बच्चों की देखभाल करते हैं क्योंकि तीन साल पहले कैंसर के कारण उनकी पत्नी की मौत हो चुकी है. मुकेश बताते हैं “मेरी पत्नी को कैंसर था. शुरू में इलाज कराए तब पता नहीं चला. सरकारी से लेकर प्राइवेट अस्पताल में बहुत खर्च हुआ. किसी तरह दिल्ली एम्स में भर्ती करवाए लेकिन नहीं बच सकी.”

मुकेश कुमार को तो ऐसे किसी योजना या कार्ड की जानकारी भी नहीं है, जिसके तहत वह अपने परिवार का इलाज करा सकें. मुकेश कुमार और दिनेश राम को अगर समय पर आयुष्मान भारत कार्ड बनाकर मिल गया होता तो शायद इलाज में खर्च हुए पैसे बच सकते थे. 

mukesh kumar

नेशनल हेल्थ अथॉरिटी पर मौजूद आंकड़ों के अनुसार बिहार में 182.3 लाख लोगों का ABHA (आयुष्मान भारत हेल्थ अकाउंट) बनाया गया है. पटना (15.4 लाख), मुजफ्फरपुर (11.9 लाख) और पूर्वी चंपारण (10.9 लाख) में सबसे ज्यादा आभा अकाउंट बनाये गये हैं. वहीं बिहार स्वास्थ्य सुरक्षा समिति पर उपलब्ध आंकड़े कहते हैं कि राज्य में 5.55 करोड़ लोगों को ‘आयुष्मान भारत कार्ड’ के तहत स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराई गयीं है.

हालांकि आज भी दिनेश राम जैसे लोगों को अपने परिवार के इलाज के लिए कर्ज़ उठाना पड़ता है.

'आयुष्मान भव’ के तहत देश भर में बने मात्र 3 करोड़ नये कार्ड

13 सितंबर को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने वर्चुअल तरीके से आयुष्मान भव (Ayushman Bhava cards) अभियान की शुरुआत की थी. इस अभियान के तहत देश के प्रत्येक गांव और कस्बों तक स्वास्थ्य सेवाओं को पहुंचाया जाना था. विशेषकर ‘आयुष्मान भारत योजना’ के तहत नये कार्ड बनाये जान एक लक्ष्य रखा गया था. पीएम मोदी के जन्मदिवस यानि 17 सितम्बर से 2 अक्टूबर तक ‘सेवा पखवाड़े’ के तौर पर चलाए गये इस अभियान में सरकार ने 7 करोड़ पात्र परिवारों के 36 करोड़ नये लोगों को जोड़ने का लक्ष्य रखा था.

हालांकि स्वास्थ्य राज्य मंत्री भारती प्रवीन पवार ने लिखित प्रश्न के उत्तर में बताया कि इस दौरान 36 करोड़ लोगों में से मात्र 3 करोड़ लोगों का ही कार्ड बन सका.

इन स्वास्थ्य शिविरों में 3.70 करोड़ से अधिक आयुष्मान कार्ड(ayushman card) और 4.38 करोड़ से अधिक आभा (स्वास्थ्य पहचान) कार्ड बनाए गए.

संसद में दिए आंकड़ो से पता चलता है जिन 3 करोड़ लोगों के कार्ड बने हैं उनमें से 1.45 करोड़ लाभार्थी उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं.

अन्य राज्यों में देखने पर महारष्ट्र में 66.46 लाख, गुजरात में 18.09 लाख, हरियाणा में 10.75 लाख, बिहार में 2.72 लाख और झारखंड में 2.42 लाख लोगों के कार्ड बनाये गये हैं.

हर साल पात्र परिवार को 5 लाख तक मुफ्त इलाज

साल 2018 में झारखंड के रांची शहर में आयुष्मान भारत योजना की शुरुआत करते हुए पीएम मोदी ने योजना को ना केवल देश बल्कि विश्व की सबसे बड़ी हेल्थ इंश्योरेंस स्कीम बताया था. साथ ही विपक्ष पर तंज कसते हुए कहा था “कुछ लोग इसे मोदी केयर कह रहे हैं तो कुछ लोग इसे गरीबों के लिए योजना कह रहे हैं लेकिन मैं इसे दरिद्र नारायण की सेवा कहता हूं.”

केंद्र संचालित इस योजना में ग़रीब परिवार के प्रत्येक सदस्य का आयुष्मान कार्ड बनाया जाता है जिन्हें अस्पताल में भर्ती होने पर 5 लाख तक का मुफ़्त इलाज मिलता है. साथ ही आयुष्मान कार्डधारी व्यक्ति दुसरे राज्यों में भी इसका लाभ उठा सकता हैं. इस लिहाज से प्रवासी मज़दूरों के लिए यह योजना फ़ायदेमंद बन जाती है. हालांकि यहां यह तय होना आवश्यक है कि संबंधित राज्य भी अपने यहां आयुष्मान भारत योजना का संचालन कर रहा हो.

देश में अबतक 28.15 करोड़ लोगों को आयुष्मान कार्ड जारी किया गया है. हालांकि इसी साल अगस्त महीने में आई कैग (नियंत्रक और महालेखा परीक्षक) की रिपोर्ट योजना में हो रही गड़बड़ी को उजागर करती है. जहां योजना का लाभ मृत व्यक्तियों को भी दिया गया है.

रिपोर्ट में बताया गया आयुष्मान भारत के तहत इलाज करवाने वाले 88,760 व्यक्ति की मौत इलाज के दौरान हो गयी थी. इसके बावजूद इन मृत व्यक्तियों के नाम पर 2,14,923 नये दावे दर्ज कर उसका भुगतान किया गया.

इसके साथ ही कार्ड बनाते वक्त लाभार्थियों के चयन और लाभार्थी परिवारों में सदस्यों की संख्या में भी अनियमितता पायी गयी है. कई लाभार्थी परिवारों में सदस्यों की संख्या 11 से लेकर 201 तक दर्ज़ की गयी थी.

वहीं कई राज्यों में पेंशन भोगियों को भी PMJAY का लाभ उठाते पाया गया है.

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