बिहार के नियोजित शिक्षक दशहरे के बाद अब दीपावली भी उधार में ही मनाने को मजबूर हैं. बिहार में नियोजित शिक्षकों को लगातार तीन महीने से वेतन का भुगतान नहीं हुआ है, जिसके बाद बिना वेतन दशहरा तो बीत गया अब दीपावली आने में भी केवल एक ही दिन बाकी है. सरकार को जहां दीपावली जैसे अवसर पर बोनस देना चाहिए वहां वेतन के लिए भी नियोजित शिक्षकों को तरसना पड़ रहा है.
नालंदा जिला के रहुई ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय लोहरनचक में अध्यापक उदय कुमार कहते हैं,
दिवाली भी आ गया है लेकिन वेतन अभी तक नही मिला है. जब पैसे ही नही रहेंगे तो क्या दिवाली क्या दशहरा? सब दिन आम दिन ही लगता है. दुकानदार भी उधार देने से कतराते हैं. कभी कभार की बात हो तो कोई भी उधार दे देता है. लेकिन हमें तो पूरे साल ऐसे ही रोक-रोक कर वेतन मिलता है. दो बच्चे हैं एक दसवी और एक नौवी में. त्योहार जैसे अवसर पर भी बच्चों को कुछ नहीं दिला पाता हूं.
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उदय कुमार अपने परिवार के साथ बिहारशरीफ़ में रहते हैं और सरकार की उदासीनता से आहत हैं. और आगे कहते हैं
अख़बार में तो घोषना हो जाती है त्योहार से पूर्व वेतन का भुगतान हो जाएगा पर हकीकत तो कुछ और होती है. हम किस तरह से महीना निकालते हैं वह हम ही जानते हैं. उसमे में भी अगर पर्व-त्योहार आ जाता है, तो सोचना पड़ता है.
नियोजित शिक्षकों के साथ भेदभाव
नियोजित शिक्षकों का आरोप है कि सरकार उनके साथ भेदभाव करती है. हम भी सरकारी स्कूल में पढ़ाते हैं. सरकार को सभी के साथ समान व्यवहार करना चाहिए.
प्रकाश कुमार (बदला हुआ नाम) मसौढ़ी में नियोजित शिक्षक हैं. प्रकाश की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है. प्रकाश कहते हैं,
जब शिक्षक की नौकरी मिली तब लगा था अब सब सही हो जाएगा. लेकिन स्थिति तो आज भी वही है. विद्यालय में सारे नियम हमारे ऊपर भी समान रूप से लागू होते हैं. ना एक दिन विशेष छुट्टी और ना ही किसी तरह की रियायत. जब नियम समान है तब वेतन मिलने का समय समान क्यों नहीं है?
सरकारी कर्मचारी को 10 दिन पहले वेतन
बिहार सरकार ने सरकारी कर्मचारियों को 20 तारीख़ को वेतन देने के फ़ैसला लिया था. इसपर वित्त मंत्री विजय चौधरी ने कहा कि
पिछले दो-तीन वर्षों से कोरोना महामारी के प्रकोप के कारण त्योहार का आयोजन फीका रहता था. इस बार सरकारी अधिकारी और कर्मचारी इन पर्वों को हर्षोल्लास और आनंदपूर्वक मना सकेंगें.
राज्य सरकार के इस फ़ैसले से करीब चार लाख से अधिक सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों को त्योहार के पूर्व वेतन का भुगतान होना था. लेकिन नियोजित और नियमित शिक्षकों को इसका लाभ नहीं मिला सका.
समग्र शिक्षा अभियान के तहत राशि जारी
वित्तीय वर्ष 2022-23 में समग्र शिक्षा परियोजना के तहत 3092 करोड़ 75 लाख की राशि जारी की गयी है. इसमें केद्रांश 1855.65 करोड़ और राज्यांश 1237.10 करोड़ शामिल हैं. वहीं चालू वित्तीय वर्ष में समग्र शिक्षा अभियान के लिय 9183 करोड़ 62 लाख रूपए स्वीकृत किए गए हैं. एसएसए में केद्रांश और राज्यांश 60:40 के अनुपात में हैं.
2018 में बना था वेतन भुगतान का नया मॉडल
राशि जारी होने के बाद भी शिक्षकों के खाते तक राशि पहुंचने में लंबा समय लग जाता है. इसका कारण है वेतन भुगतान की लंबी प्रक्रिया. इस लंबी प्रक्रिया को बदलने के लिए लगातार शिक्षक मांग करते रहे हैं. वर्ष 2018 में नये वेतन भुगतान का मॉडल का प्रस्ताव तैयार किया गया था. शिक्षकों को वेतन भुगतान विभागीय स्तर पर ही कर दिया जाए ऐसा प्रस्ताव लाया जा रहा था. लेकिन बाद में यह प्रस्ताव स्थगित कर दिया गया.
सात चरणों में पहुंचता है शिक्षकों को वेतन
दरअसल राशि जारी होने के बाद यह सात चरणों में होते हुए कर्मचारियों के खाते तक पहुंचता है. इसमें पहला केंद्र सरकार से राशि राज्य सरकार को प्राप्त होती है. यदि केंद्र के द्वारा राशि प्राप्त नहीं होती है तो राज्य सरकार को इस राशि का भुगतान करना होता है. उसके बाद राशि राज्य कैबिनेट द्वारा पास किया जाता है जिसके बाद शिक्षा विभाग को राशि मिलती है. जिसके बाद शिक्षा विभाग से बिहार शिक्षा परियोजना को राशि पहुंचती है. बिहार शिक्षा परियोजना जिलों को राशि भेजती है जिसके बाद राशि बैंक को भेजी जाती है. बैंक से राशि शिक्षकों के खाते में भेजी जाती है. वहीं जीओबी मद से वेतन का भुगतान तीन चरण में होता है. इसमें राज्य से जिलों को और जिला से कोषागार द्वारा बिल बनाकर शिक्षकों के खाते में वेतन भेजा जाता है.
वहीं वेतन भुगतान को लेकर शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने बताया है कि
शुक्रवार को राशि जारी किया गया है. छठ पर्व के पहले वेतन का भुगतान कर दिया जाएगा.
सरकारी शिक्षकों के साथ यह कोई पहली बार नहीं है जब उन्हें लंबे समय से वेतन का भुगतान नहीं किया गया है. सरकारी शिक्षकों को पूरे साल ही असमय वेतन का भुगतान किया जाता रहा है. क्या सरकार इस ओर कभी ध्यान देगी?