H3N2 इन्फ्लूएंज़ा: इस वायरस से सबसे अधिक ख़तरा किसे?

H3N2 influenza बिहार में तेज़ी से फैल रहा है. ऐसे में बिहार में किसे अधिक ख़तरा है? किसे बचाव करना चाहिए और कैसे जानिये.

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H3N2 इन्फ्लूएंज़ा: इस वायरस से सबसे अधिक ख़तरा किसे?

H3N2 इन्फ्लुएंजा वायरस के कारण देश में हुई दो मौतों के बाद लोगों के मन में डर बना हुआ है. आम लोगों में भय है कि क्या H3N2 वायरस का फैलाव भी कोरोना वायरस की तरह होगा.

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(प्रतीतात्मक तस्वीर)

इस पर जानकारी के लिए हमने पीएमसीएच (PMCH) के डॉ अक्षित से बात की. डॉ अक्षित कहते कि

इस वायरस से ज़्यादा घबराने की ज़रूरत नहीं है. क्योंकि ये वायरस सीज़नल है और अप्रैल के अंत तक इसका असर ख़त्म हो जाएगा. दुबारा इसका प्रकोप फिर सितंबर के बाद देखने को मिलेगा.

इसका पहला फेज़ फ़रवरी से अप्रैल के बीच का होता है. जब सर्दियों का मौसम धीरे-धीरे ख़त्म हो रहा होता है. वहीं इसका दूसरा फेज़ सितंबर से नवंबर के बीच का होता है. इन दो अवधियों में इन्फ्लुएंजा अपने पीक पर होता है.

डॉ अक्षित बताते हैं

इस बार के इन्फ्लुएंजा अटैक में लोगों में थोड़ी ‘गंभीर श्वसन रोग' (severe respiratory illness) जैसे- निमोनिया आदि हो रहा है. इस कारण से H3N2 इन्फ्लुएंजा इस बार ख़बरों में ज़्यादा बना हुआ है. दूसरी बात कोविड के बाद से लोग सर्दी-खांसी को लेकर ज्यादा जागरूक (vigilant) हो गए हैं. ऐसे ये हर साल होता था. लेकिन लोगों की जागरूकता अब इसको लेकर ज़्यादा हो गई है.

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H3N2 वायरस और कोरोना वायरस में कितना अंतर है?

कोरना वायरस पूरी तरह से अंजान वायरस है इसके बारे में वैज्ञानिकों और एक्सपर्ट को ज़्यादा कुछ पता नहीं है. लेकिन इन्फ्लुएंजा वायरस के साथ ऐसा नहीं है. ये कहां पाए जाते हैं और इनका स्वभाव क्या हैं इसके बारे में हमें पहले से ही जानकारी है. जैसे इन्फ्लुएंजा वायरस के शरीर पर दो एंजाइम पाए जाते हैं- एक H और एक N, जिसे हेमागग्लुटीनिन (Hemagglutinin) और न्यूरोमिनिडेस (Neuraminidase) कहते हैं.

इन्हीं दोनों एंजाइम का नंबर वैरिएट करता रहता है. किसी वायरस के सेल पर पांच H और एक N पाए जाते हैं जिसके कारण ये H5N1 इन्फ्लुएंजा वायरस बन जाता है. कभी यही वायरस H3N2 बन जाता है. बर्ड फ्लू और स्वाइन फ्लू भी इसी ग्रुप के वायरस हैं.

डॉ अक्षित बताते हैं

H3N2 वायरस का वेरिएंट हर साल अपने आपको म्युटेट कर लेता है. जिसके कारण अगले साल आपको इसका कोई अलग वेरिएंट देखने को मिलेगा. जबकि कोरोना वायरस के साथ ऐसा नहीं है. क्योंकि कोरोना वायरस एक ही वायरस था और इसमें हल्का फुल्का म्युटेशन होता है. जिसके कारण इसका वैक्सीन बनाया जा सका. लेकिन इन्फ्लुएंजा वायरस की इम्युनिटी हर साल डेवलप हो जाती है. इसकारण इसका वैक्सीन नहीं बनाया जा सकता है.

डॉ अक्षित आगे कहते हैं

यहां मै यह क्लियर कर देता हूं कि ऐसा नहीं है की इसकी वैक्सीन नहीं है. चूंकि हर साल इसका वैरिएंट बदल जाता है. जैसे पिछले साल अक्टूबर में मैंने वैक्सीन लगवाया था लेकिन अभी फिर मुझे तीन चार दिनों से फीवर है. क्योंकि पिछले साल जिस स्टेन(वायरस) का वैक्सीन मैंने लगवाया था वो इसबार के स्टेन पर कारगर नहीं है.

इन्फ्लुएंजा का वैक्सीन हर नौ महीने पर लगाना पड़ता है. क्योंकि इन्फ्लुएंजा वायरस सीजन म्युटेट करता है. साथ इस वैक्सीन को ऐसे व्यक्ति को लगाए जाने की आवश्यकता है जिनकी इम्युनिटी बिल्कुल ख़त्म हो चुकी है या कमज़ोर हैं. वहीं जो आर्थिक रूप से संपन्न हैं, वैसे लोग भी इस वैक्सीन को लगवाते हैं. क्योंकि एक वैक्सीन की कीमत लगभग साढ़े सात सौ के करीब होती है.

लेकिन एक्सट्रीम ऐज ग्रुप के लोग एहतियात के तौर पर वैक्सीन ले सकते हैं जिससे वायरस का प्रभाव उनके ऊपर कम होगा.

H3N2 वायरस का ख़तरा किन्हें सबसे ज़्यादा है?

डॉ अक्षित कहते हैं

इन्फेक्शन का ख़तरा सबको है. यह बीमारी किसी को भी हो सकती है, जिनकी इम्युनिटी कमज़ोर है और किसी भी संक्रमित से फैल सकती है. लेकिन युवाओं की इम्युनिटी मज़बूत होती है इसलिए उनमें इसके ज़्यादा लक्षण नज़र नहीं आते हैं. लेकिन क्योंकि बच्चों और बुजुर्गों की इम्युनिटी कमज़ोर होती है इसलिए उन पर वायरस का असर ज़्यादा होता है. बच्चों और बुजुर्गों के साथ-साथ इस वायरस से सबसे ज़्यादा ख़तरा अस्थमा और लंग्स इन्फेक्शन के मरीज और गर्भवती महिलाओं को है.

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इस वायरस से बचने के लिए क्या उपाय किये जाने चाहिए?

इस वायरस से बचाव का एक ही उपाय है कि आप बिना कारण के भीड़-भार वाली जगहों में जाने से बचें. अगर भीड़ में जा रहे हों तो मास्क का उपयोग करें. सार्वजनिक स्थलों (Public Place) पर चीजों को बिना कारण छूने से बचें.

डॉ अक्षित बताते हैं

एडल्ट (adult) को काम के लिए घर से बाहर जाना ही पड़ता है ऐसे में अगर वो बाहर जा रहे हैं तो मास्क लगायें. साथ ही खाने से पहले हाथ ज़रूर धोएं और बाहर के खानों जैसे- रेस्टुरेंट या अन्य जगहों पर खाने से परहेज़ करें. बाहरी तरल पदार्थ जैसे- जूस या पानी से परहेज़ करें.

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H3N2 वायरस से पीड़ित से मरीजों में कौन-कौन से लक्षण पाए जा रहे हैं?

कुछ लोगों में सांस से संबंधित समस्याओं के हल्के-फुल्के मामले सामने आ रहे हैं. वहीं, दूसरी ओर कुछ लोगों में काफी गंभीर लक्षण नज़र आ रहे हैं. इसमें वैसे लोग शामिल हैं जिनकी उम्र ज़्यादा है या फिर जिनकी इम्यूनिटी कमज़ोर है. इन्फ्लुएंजा के चपेट में ऐसे लोग भी ज़्यादा आ रहे हैं जो पहले से ही किसी गंभीर बीमारी से ग्रस्त हैं.

इंफेक्शन में कुछ लक्षण काफी आम हैं, जैसे बुखार, शरीर में दर्द, थकान, सिरदर्द, कफ, और गले में दर्द.

डॉ अक्षित बताते हैं

इन्फ्लुएंजा में पांच दिन तक फीवर रहता है. इसलिए घबराने की जरुरत नहीं है. अगर आपको ज्यादा बलगम वाली खांसी नहीं है, पेशाब में जलन नहीं है या पेट ख़राब नहीं है तो एंटीबायोटिक दवाएं न ले. ये वायरल बीमारी है इसमें एंटीबायोटिक्स कारगर नहीं होते हैं. उल्टे एंटीबायोटिक्स से वायरस की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है.

डॉ अक्षित कहते हैं अगर आप वायरल की चपेट में आ गए हैं तो बचाव के लिए आप गर्म पानी पिए साथ ही अपने गले को आराम दें और पौष्टिक आहार लें. साथ ही आप मल्टीविटामिन्स और एक एंटी एलर्जिक दवा ले सकते हैं.

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अगर खांसी हैं तो कफ़ सीरप ले सकते हैं. इसके आलावे आपको और कुछ लेने की ज़रूरत नहीं है. वायरल बीमारी में अपने शरीर को हाइड्रेट और स्ट्रेस फ्री रखना बहुत ज़रूरी है. दूसरी बात आप अपने डॉक्टर के संपर्क में रहें. साथ ही बुजुर्गों या बच्चों में इसका कोई लक्षण नज़र आने पर डॉक्टर को ज़रूर दिखाएं.