राज्य के सबसे पुराने और सबसे अधिक मेडिकल सीट वाले मेडिकल कॉलेज पटना मेडिकल कॉलेज (PMC) में प्रोफ़ेसरों की भारी कमी है. यहां प्रोफ़ेसर के 77 पद स्वीकृत हैं और कार्यरत सिर्फ 17 हैं. कई विभाग तो ऐसे हैं जहां प्रोफ़ेसर हैं ही नहीं. अभी वर्तमान समय में 24 विभाग ऐसे हैं जहां एक भी प्रोफ़ेसर नहीं है.
पटना मेडिकल कॉलेज में एसोसिएट प्रोफ़ेसर के 144 पद स्वीकृत हैं जिनमें अभी 71 पद रिक्त हैं. वहीं असिस्टेंट प्रोफ़ेसर के 257 पद स्वीकृत हैं जिनमें से 121 पद खाली हैं.
वहीं कई विभाग ऐसे हैं जिसमें कार्यरत प्रोफ़ेसर इसी महीने रिटायर होंगे. प्रोफ़ेसरों की कमी के कारण कालेज में पीजी और यूजी कोर्स की सीटों में कटौती की जा सकती है.
विशेषज्ञों की मानें तो स्थिति यह है कि समय रहते खाली पदों को नहीं भरा गया तो विभिन्न विभागों में पीजी की जो सीटें हैं, वह 50 फीसदी कम हो सकती है. यहां पीजी की 200 सीटें हैं. हालांकि वर्ष 2023 में कॉलेज को 212 सीटें आवंटित की गयी हैं. सबसे ज़्यादा सीटें पीडियाट्रिक (21), जेनेरल मेडिसिन (20) और प्रसूति एवं स्त्री विज्ञान (20) में आवंटित है.
फैकल्टी के अनुसार आवंटित होती हैं पीजी की सीटें
एनएमसी गाइडलाइन के अनुसार पीजी छात्र और शिक्षक के बीच 1:1 का अनुपात होना चाहिए. नियम के अनुसार एक प्रोफ़ेसर पर पीजी की तीन सीटें आवंटित हैं. वहीं एक एसोसिएट प्रोफ़ेसर पर दो और एक असिस्टेंट प्रोफ़ेसर पर पीजी के एक सीट की अनुमति मिलती है. विशेषज्ञों के अनुसार यदि प्रोफ़ेसरों के इन पदों को नहीं भरा गया तो पीजी की करीब 50 फ़ीसदी सीटों को कम किया जा सकता है. वहीं इसका असर यूजी पाठ्यक्रम पर भी पड़ेगा.
एमएमसी को निरीक्षण दौरान यदि शिक्षकों की कमी मिलेगी तो वह सीटों की संख्या कम कर सकती है. इसलिए विभाग को समय रहते इन खाली पदों पर नियुक्ति करनी होगी. साथ ही एसोसिएट प्रोफ़ेसर, असिस्टेंट प्रोफ़ेसर के स्वीकृत पद पर भी नियुक्ति पूरी करनी होगी.
पीएमसी (PMC) में शिक्षकों की कमी के कारण छात्रों की पढ़ाई पर क्या असर होगा? इसको लेकर डेमोक्रेटिक चरखा ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) बिहार के निदेशक डॉ श्याम नारायण प्रसाद से बात किया.
पीजी और यूजी की सीट पर पड़ेगा असर
डॉ श्याम नारायण प्रसाद कहते हैं “ना केवल पीजी के बल्कि यूजी के सीटों पर भी बहुत असर पड़ रहा है. क्योंकि गाइड कम हो जायेगें तो निश्चित है कि सीट कम हो जाएगा. वहीं गाइड कम होने के कारण अंडर ग्रेजुएट कोर्स की पढ़ाई पर भी बहुत असर पड़ रहा है.”
प्रोफेसर की कमी का कारण बताते हुए डॉ नारायण कहते हैं “सरकार की लापरवाही है. क्योंकि प्रमोट करने में सरकार का एक पैसा नहीं लगना है, उसकी कोई फाइनेंशियल लायबिलिटी नहीं है. जो एसोसिएट प्रोफ़ेसर सात साल से 10 साल से पढ़ा रहे हैं, उनको तीन साल के बाद टाइम बांड के अनुसार प्रोफ़ेसर की पदोनत्ती दी जानी चाहिए. असिस्टेंट प्रोफ़ेसर को एसोसिएट प्रोफ़ेसर का पद दिया जाना चाहिए. जबकि तीन साल के बाद सबकी सैलरी तो बढ़ा दी जाती है लेकिन पदोनत्ती नहीं मिलता है. हमने कई बार सरकार से कहा है कि टाइम बांड प्रमोशन किया जाए. लेकिन यह सत्र अंधेर नगरी है.”
पीजी सीट का निर्धारण प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर के आधार पर ही किया जाता है. इसके लिए हर विभाग में कम से कम एक प्रोफ़ेसर, एक एसोसिएट और एक असिस्टेंट प्रोफ़ेसर होना चाहिए. यदि कालेज में पीजी की सीट बढ़ानी है तो इनकी संख्या और अधिक होनी चाहिए.
असिस्टेंट और एसोसिएट प्रोफेसर को नहीं मिला है प्रमोशन
बीते पांच साल से असिस्टेंट प्रोफेसर की नियमित नियुक्ति ही नहीं हुई है. वहीं असिस्टेंट और एसोसिएट प्रोफेसरों को नियमित प्रमोशन भी नहीं मिला है. प्रोफेसर नहीं रहेंगे तो पढ़ाई और पीजी और यूजी के सीट पर असर पड़ेगा.
बायोकेमिस्ट्री विभाग में प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर और ट्यूटर को मिलाकर 27 पद स्वीकृत हैं लेकिन उनमें से अभी मात्र 9 पदों को ही भरा जा सका है. इस विभाग में आज भी 18 पद खाली हैं.
अनेस्थिसिया विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर के 14 पद स्वीकृत हैं लेकिन इसके अभी मात्र 7 पदों पर नियुक्ति की गई है. वहीं प्रोफेसर के लिए 3 पद स्वीकृत हैं जिसमें से केवल 1 पद पर ही नियुक्ति की गयी है.
बिना प्रोफेसर के चल रहे हैं विभाग
पीएमसी में संचालित कई विभाग ऐसे हैं जहां एक भी प्रोफेसर कार्यरत नहीं है. इनमें बायोकेमेस्ट्री, पैथोलॉजी, माइक्रोबायोलॉजी, एफएमटी, पीएसएम, पेडिएट्रिक्स, गायनकोलॉजी, पीएमआर, स्किन, न्यूरोलॉजी, नेफ्रोलॉजी, एनेस्थेशिया, कार्डियोलॉजी, सामुदायिक मेडीसिन, इंडोक्रिनोलॉजी, डेंटीस्ट्री, आई, ईएनटी, एफएमटी, गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, जेरियाट्रिक्स, न्यूनैटॉलॉजी, ट्रांसप्लांट सर्जरी, सर्जरी और चेस्ट एंड टीबी शामिल है.
वहीं कई विभाग ऐसे हैं जैसे जहां स्वीकृत पद के अनुसार एक से दो प्रोफेसर ही काम कर रहे हैं.
नेत्र विभाग में सीनियर और जूनियर सर्जन के एक-एक पद स्वीकृत हैं लेकिन दोनों खाली है. इसमें 18 पद स्वीकृत हैं जिसमें से 5 पद खाली है.
एफएमटी (F.M.T.) विभाग में 27 पद स्वीकृत हैं जिसमें से केवल 7 पद ही भरे जा सके हैं. 20 पद आज भी खाली हैं.
ट्रांसप्लांट सर्जरी में 7 पद स्वीकृत हैं लेकिन इस विभाग सारे पद खाली हैं. फिजियोलॉजी में 29 पद स्वीकृत हैं जिसमें 19 पद खाली हैं. साइकेट्री विभाग के 15 में से 12 पद खाली पड़े हैं. रेडियोलॉजी विभाग के 18 में से 11 पद खाली हैं. वहीं रेडियोथेरेपी विभाग के 16 में से 14 पद खाली हैं. स्किन वीडी विभाग में 15 में से 6 पद खाली हैं.