राजेंद्र नगर रोड नंबर तीन की रहने वाली निशु सिंह, उनके पति अमित कुमार और 14 वर्षीय बेटा निजीत सभी अक्टूबर के पहले हफ्ते में डेंगू से संक्रमित हो गये. एक-एक कर तीनों लोगों को तेज़ बुख़ार और उल्टी-दस्त होने लगा. शहर में डेंगू की सक्रियता की ख़बर के कारण उन्होंने तुरंत जांच कराया. जांच के बाद पता लगा वो सभी डेंगू पॉजिटिव हैं.
संक्रमण से रिकवर कर रही निशु सिंह बताती हैं “दुर्गा पूजा के पहले ही दिन मेरे बड़े बेटे को अचानक बुख़ार हुआ. हमे लगा मौसम बदलने के कारण ऐसा हुआ है. हमने बुख़ार और सर दर्द की गोलियां उसे खिला दी. लेकिन अगले ही दिन मुझे और मेरे पति को भी बुख़ार हो गया. हम केमिस्ट से बुख़ार की दवा खाते रहे लेकिन बुख़ार कम नहीं हुआ. फिर हमने जांच करवाया जिसमें रिपोर्ट डेंगू पॉजिटिव आया.”
पटना में डेंगू पीड़ित मरीज़ों की संख्या 2,785 हो चुकी है. राज्य में अब तक डेंगू के कुल 5,647 मरीज़ों की पुष्टि हो चुकी है. वहीं डेंगू के प्रकोप से अब तक 14 लोगों की मौत हो चुकी है. इनमें नालंदा के दो, सुपौल, वैशाली, मधुबनी, जहानाबाद, जमुई, गया और भागलपुर के एक-एक मरीज शामिल हैं.
डेंगू रोकने में पटना नगर निगम विफ़ल
पटना में डेंगू पीड़ित मरीजों की संख्या हर गुज़रते दिन के साथ बढ़ती जा रही है. पटना नगर निगम के दावे और स्वास्थ्य विभाग की तैयारियां डेंगू के प्रकोप को रोकने में विफल साबित हो रही हैं. रविवार 20 अक्टूबर को राजधानी पटना में 108 नए डेंगू पीड़ित मरीज मिले हैं. जिसमें पाटलिपुत्र अंचल में 27, नूतन राजधानी अंचल में 13, बांकेपुर अंचल में 12, कंकड़बाग अंचल में 10, पटना सिटी और अजीमाबाद अंचल में पांच-पांच नए डेंगू पीड़ितों की पुष्टि हुई है. वहीं अन्य 12 मरीजों की पहचान नहीं हो सकी है. इससे पहले शनिवार को भी पटना के अलग-अलग हिस्सों में 102 डेंगू मरीजों की पुष्टि हुई थी.
पटना नगर निगम यह दावा करता रहा है कि लगातर उसकी टीम सभी अंचलों में फॉगिंग और लार्वासाइड्स का छिड़काव कर रहा है. लेकिन निगम के दावों की सच्चाई डेंगू के बढ़ते आंकड़ों ने सामने लाकर रख दिया हैं. यह तो जाहिर है कि सरकारी आंकड़ों में जितने मरीज दर्ज हैं, असल आंकड़े उससे कही ज्यादा हैं.
इस वर्ष जुलाई महीने में पटना नगर निगम डेंगू पर रोकथाम के लिए विशेष अभियान शुरू किया था. इसके लक्ष्य रखा गया कि निगम क्षेत्र में आने वाले प्रत्येक वार्ड के प्रत्येक मोहल्ले में कम से कम दो बार लार्वासाइड्स का छिड़काव किया जायेगा. जिसमें हर वार्ड में एक दिन में 50 घरों तक पहुंचने का लक्ष्य रखा गया था. लेकिन निगम का यह लक्ष्य संवेदनशील अंचलों के मोहल्लों में भी पूरा नहीं हो सका.
अति संवेदनशील क्षेत्रों में क्या है स्थिति
पटना नगर निगम के अंदर छह अंचल और 75 वार्ड आते हैं. पिछले वर्ष जुलाई से नवंबर महीने तक पटना में 10 हजार से अधिक मरीज मिले थे. इनमें भी निगम क्षेत्र में आने वाले पाटलिपुत्र अंचल में डेंगू मरीजों की संख्या अधिक रही थी. वहीं इसके बाद बांकीपुर, नूतन राजधानी अंचल, अजीमाबाद, कंकड़बाग और पटना सिटी से मरीजों की संख्या अधिक रही थी.
इस वर्ष भी इन सभी अंचलों के 16 मोहल्लों- बाजार समिति, पाटलिपुत्र, कंकड़बाग, कदमकुआं, राजेंद्र नगर, दीघा-आशियाना रोड, पटेल नगर, राजीव नगर, दीघा, बांसकोठी, गुलजारबाग, इंद्रपुरी, कुम्हरार, एग्जीबिशन रोड, जक्कनपुर और भागवतनगर को मलेरिया विभाग ने अति संवेदनशील क्षेत्र घोषित कर रखा है. यानि इन क्षेत्रों में डेंगू का प्रकोप ज्यादा देखने को मिल सकता है.
निगम को भी इन सभी मोहल्लों में प्राथमिकता के साथ फॉगिंग और एंटीलार्वा का छिड़काव करना था लेकिन निगम इसमें विफल साबित हुआ है. राजेंद्र नगर अति संवेदनशील मोहल्लों में शामिल है. लेकिन यहां केवल फॉगिंग किया गया है. एंटी लार्वा का छिड़काव घरों में नहीं हुआ है.
इसके अलावे कंकड़बाग अंचल के कई वार्ड में भी एंटी लार्वा का छिड़काव नहीं हुआ है.
डेंगू पीड़ित निशु सिंह बताती हैं “मेरे घर में एंटीलार्वा का छिड़काव नहीं हुआ है. हमलोग खुद से ही मच्छर मारने वाला दवा का इस्तेमाल करते हैं. लेकिन निगम से कभी कोई छिड़काव के लिए नहीं आया.”
कंकडबाग़ अंचल के हनुमान नगर की रहने वाली साक्षी कुमारी भी एंटी लार्वा छिड़काव से इंकार करती हैं. उनका कहना है “एंटीलार्वा तो दूर हमारे मोहल्ले में फॉगिंग भी दुर्गा पूजा से पहले हुआ था. आज 20 दिन गुजर चूका है. अबतक दोहराव नहीं किया गया है.”
वहीं राजेंद्र नगर की रहने वाली निशु सिंह फॉगिंग में इस्तेमाल होने वाली दवा पर शक जाहिर करते हुए कहती हैं, “हमारे मोहल्ले में फॉगिंग हुआ है, इससे हम इंकार नहीं करते हैं. लेकिन उस धुएं से मच्छर भागता कहां हैं. जिस तरह से हर सरकारी काम में घोटाला और मिलावट होता है. क्या पता फॉगिंग के लिए जितनी दवाई का इस्तेमाल होना चाहिए वह होता ही ना हो?”
एंटीलार्वा के छिड़काव और फॉगिंग में होने वाली मिलावट को लेकर लोगों द्वारा लगाए जा रहे आरोपों पर, हमने बांकीपुर अंचल के चीफ सैनिटरी इंस्पेक्टर से संपर्क किया. लेकिन नगर निगम की वेबसाइट पर मौजूद नंबर सेवानिवृत हो चुके कर्मचारी के पास है. जिसेक कारण वर्तमान में जो कर्मचारी कार्यरत हैं, उनसे हमारी बात नहीं हो सकी.
इसी प्रश्न पर हमने कंकड़बाग अंचल के चीफ सैनिटरी इंस्पेक्टर से संपर्क किया. उन्होंने इसतरह के किसी भी आरोपों से इंकार किया और कहा “हमलोग हर दूसरे दिन छिड़काव करा रहे हैं. एक वार्ड को पांच सेक्टर में बांटा गया है. जिसमें हर रोज एक एक टीम निकलती है. एक सेक्टर में 700 से लेकर हजार घर हैं. एक दिन में हम 50 घर कवर करते हैं.”
चीफ सैनिटरी इंस्पेक्टर एंटीलार्वा छिड़काव नहीं होने के आरोप पर कहते हैं “एंटी लार्वा का छिड़काव भी किया जा रहा है लेकिन इसमें हमारे कर्मियों को छुआछूत का सामना करना पर रहा है. लोग निगम कर्मी को हीन भावना से देखते हैं. उन्हें अपने घर में घुसने नहीं देते. यहां तक की लोग घर का दरवाजा भी कर्मियों को छूने से मना करते हैं. फिर भी जहां तक संभव होता है, हमलोग लोगों से छिड़काव कराने को कहते हैं, नहीं मानने पर घर के बाहर छिड़काव कर देते हैं.”
वहीं छुआछूत के आरोपों से नगर निगम की पीआरओ इंकार करती हैं. उनका कहना है, “पिछले वर्ष एंटी लार्वा के छिड़काव में दिक्कतें आई थी क्योंकि लोगों में जागरूकता की कमी थी. लोगों को लगता था पता नहीं कौन लोग कौन सी दवा का छिड़काव करेंगे. लेकिन अब इसमें काफी सुधार हुआ है. लोग अब आईकार्ड देखकर कर्मियों को छिड़काव करने दे रहे हैं. रही छुआछूत की बात तो हो सकता है कभी किसी कर्मी को ऐसी समस्या का सामना करना पड़ा हो.”
एंटी लार्वा छिड़काव के लिए निगम द्वारा 375 टीमें लगाई हैं जो प्रतिदिव छिड़काव करती है. एंटी लार्वा में टेमेफोस दवा को 15 लीटर पानी में पांच से 10 एमएल मिलाकर छिड़काव किया जाता है. इसके अलावे हर अंचल को चुना के 20 बैग (25 किलो) और ब्लीचिंग पाउडर के 5 बैग (25 किलो) एक महीने के लिए सामान्य दिनों में दिए जाते हैं. मानसून के समय मांग बढ़ने पर संख्या बढाई जाती है.
ठंड बढ़ने पर कम होगा प्रभाव
राजधानी पटना के अलावा पटना के 13 प्रखंड में भी डेंगू के मरीज पाए गए हैं. इनमें संपतचक में सबसे अधिक 8, दनियावां में चार, फतुहा में दो, अथमलगोला, बख्तियारपुर, बाढ़ बिहिटा, दानापुर, फुलवारीशरीफ, खुसरूपुर, मसौढ़ी, पालीगंज और पटना सदर में एक-एक डेंगू पीड़ित मरीज मिले है.
यही कारण है कि पुरे बिहार में हर वर्ष पटना जिला सबसे ज्यादा डेंगू प्रभावित जिला रहता है. हालांकि राहत की बात है कि आने वाले दिनों में डेंगू का प्रभाव कम होगा. क्योंकि ठंड बढ़ने पर मच्छर मरने लगेंगे. लेकिन इसमें अभी कई हफ्तों का समय शेष है. इसलिए तबतक मच्छरों से बचाव जरूरी है और लक्षण दिखने पर जांच और सही इलाज जरुरी है.