IGIMS: मोबाइल कार्डियक केयर यूनिट बंद, बुज़ुर्गों के लिए ज़रूरी थी सेवा

बिहार के स्वास्थ्य बजट में बढ़ोतरी होने के बाद भी स्वास्थ्य विभाग इसका सही इस्तेमाल नहीं कर पा रहा है. CAG की रिपोर्ट के अनुसार वित्तीय वर्ष 2016-17 से लेकर 2021-22 तक स्वास्थ्य विभाग बजट के 31% राशि को इस्तेमाल ही नहीं कर पाया. 

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आमिर अब्बास
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IGIMS में महिला डॉक्टर

बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था की स्थिति किसी से भी छुपी हुई नहीं है. डेमोक्रेटिक चरखा ने भी पिछले चार सालों से बिहार के अलग-अलग हिस्सों की स्वाथ्य व्यवस्था की सच्चाई आपके सामने रखी है. बिहार के स्वास्थ्य बजट में बढ़ोतरी होने के बाद भी स्वास्थ्य विभाग इसका सही इस्तेमाल नहीं कर पा रहा है. CAG की रिपोर्ट के अनुसार वित्तीय वर्ष 2016-17 से लेकर 2021-22 तक स्वास्थ्य विभाग बजट के 31% राशि को इस्तेमाल ही नहीं कर पाया. 

बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था का भद्दा मज़ाक बनाते हुए बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने पिछले महीने (दिसंबर, 2024) में एक किताब भी लिखी. ये किताब प्रभात प्रकाशन ने छापी है. किताब का शीर्षक है 'आरोग्य पथ पर बिहार: जन स्वास्थ्य का मंगल काल'. किताब के शीर्षक से ही बिहार के स्वास्थ्य मंत्री ने अपने कार्यकाल को अपना नाम ही दे दिया है. देश में चल रहे 'अमृत काल' से प्रेरित हो कर बिहार में 'मंगल काल' शुरू कर दिया है.

दूसरी ओर, इस 'मंगल काल' में स्वास्थ्य विभाग अमंगल हालत में पहुंच चुका है. बिहार के बड़े सरकारी अस्पतालों में से एक इंदिरा गांधी इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंस (IGIMS), पटना के हृदय रोग विभाग की स्थिति ख़राब होते जा रही है. कुछ सालों पहले IGIMS में मोबाइल कार्डियक केयर यूनिट की शुरुआत हुई थी. जो अब बंद हो चुकी है. इसका मकसद था, घर जाकर हार्ट के मरीज़ों का इलाज करना, ख़ास तौर से बुज़ुर्गों का. हालांकि अब इस व्यवस्था को बंद कर दिया गया है. 

"पहले काफ़ी आराम था, लेकिन अब तो फ़ोन नंबर भी नहीं लगता"

पटना के शिवपुरी इलाके में जीवन सिंह और उनकी पत्नी संगीता सिंह रहती हैं. इन दोनों की उम्र 70 साल से अधिक है. इनके दो बेटे हैं और वो बंगलोर में काम करते हैं. 1 हफ़्ते पहले संगीता जी को रात के लगभग 11 बजे बेचैनी और दर्द महसूस होने लगा. जीवन सिंह ने पहले भी IGIMS के मोबाइल कार्डियक केयर यूनिट के ज़रिये अपना इलाज करवाया था तो उन्होंने तुरंत उनके मोबाइल नंबर पर कॉल किया. लेकिन कॉल नहीं लगा.

कुछ देर कोशिश करने के बाद, जीवन अपनी पत्नी को एम्बुलेंस के ज़रिये नज़दीकी अस्पताल में लेकर गए. डेमोक्रेटिक चरखा की टीम से बात करते हुए जीवन सिंह कहते हैं, "पहले तो ये सेवा काम करती थी. फ़ोन नंबर पर कॉल करने पर डॉक्टर लाइफ सपोर्ट एम्बुलेंस के साथ आते थे. इससे पहले काफ़ी आराम था, लेकिन अब तो उनका फ़ोन नंबर भी नहीं लगता. इतने बाद कोशिश किये लेकिन कॉल ही नहीं लगा. मजबूरन नज़दीकी प्राइवेट अस्पताल में भर्ती करना पड़ा."

घर आकर हार्ट के मरीज़ों का इलाज करना एक क्रांतिकारी कदम था 

IGIMS के कार्डियोलॉजी डिपार्टमेंट ने 8544413242 एक मोबाइल नंबर जारी किया था. इस नंबर के ज़रिये 24 घंटे मोबाइल कार्डियक केयर यूनिट की सेवा दी जाती थी. इस नंबर पर कॉल करने के बाद डॉक्टर अपने साथ एडवांस लाइफ सपोर्ट एम्बुलेंस को लेकर मरीज़ के घर जाते थे. अगर उनका इलाज वहीं मुमकिन होता था तो उनके घर पर ही किया जाता था. अगर ज़रुरत महसूस होती थी तो भर्ती किया जाता था. इसके लिए मरीज़ों से 1500 रूपए लिए जाते थे. शुल्क से लेकर सेवा सब कुछ निर्धारित होने के बाद भी प्लानिंग की कमी की वजह से आज ये सेवा ठप्प हो चुकी है. 

पहले भी IGIMS के कार्डियोलॉजी विभाग पर लगे हैं आरोप

साल 2023 में वैशाली से आईजीआईएमएस में हार्ट का इलाज कराने आए एक 25 वर्षीय युवक की मौत हो गयी. परिजन का आरोप है कि समय पर उचित इलाज नहीं मिलने से उसकी मौत हुई है. सीने में कभी-कभी दर्द रहने पर परिजन उसे आईजीआईएमएस के कार्डियोलॉजी विभाग में दिखा रहे थे. जहां डॉक्टर ने उसे ईसीजी और इको के साथ होल्टर जांच करवाने को कहा था.

ईसीजी और इको जांच करवाने के बाद उसे होल्टर जांच के लिए एक सप्ताह तक इंतजार करना पड़ा. एक सप्ताह बाद होल्टर जांच करवाने के बाद बताया गया कि रिपोर्ट सहीं नहीं है, दोबारा जांच करानी होगी. दोबारा जांच करवाने के लिए अस्पताल से कॉल कर बुलाया जाएगा. मरीज़ तीन दिनों तक अस्पताल से कॉल आने का इंतज़ार करता रहा. लेकिन चौथे दिन उसकी मौत हो गयी. निजी अस्पताल में मौत का कारण हार्ट अटैक बताया गया.  

परिजन युवक की मौत का जिम्मेदार अस्पताल प्रशासन पर लगा रहे हैं. उनका कहना है यदि समय पर जांच और रिपोर्ट मिल जाती तो युवक बच सकता था.

साल 2019 में शशि रमण नामक एक मरीज़ की मौत हुई थी. परिजनों ने इसकी वजह अस्पताल में इलाज की कमी बताई थी. परिजनों ने शशि रमण की मौत के बाद अस्पताल में काफ़ी हंगामा भी किया था. साल 2023 में ही मार्च के महीने में टीबी चेस्ट की मरीज़ श्रुति श्रद्धा की मौत हुई थी. उस समय भी परिजनों ने लापरवाही का आरोप लगाया था.

अस्पताल प्रशासन का क्या कहना है?

अस्पताल प्रशासन ने मीडिया को दिए गए बयान में ये बताया है कि मोबाइल कार्डियक केयर यूनिट फ़िलहाल बंद है, लेकिन इसे जल्द शुरू किया जाएगा. हालांकि जब डेमोक्रेटिक चरखा की टीम ने अस्पताल के अधिकारियों से संपर्क करने की कोशिश की तो उन्होंने कई बार रिंग होने के बाद भी फ़ोन नहीं उठाया.

(हमारी टीम लगातार संपर्क करने की कोशिश कर रही है, संपर्क होने के बाद आर्टिकल अपडेट किया जाएगा.)

 

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