शहर हो या गांव, हर जगह मच्छरों का आतंक बढ़ता ही जा रहा है। गर्मी और बारिश के मौसम में तो हालात और भी भयावह हो जाते हैं। डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया जैसी बीमारियों से बचने के लिए लोग हर संभव उपाय अपनाते हैं। बाजार में मिलने वाली मच्छर मारने की क्वॉइल, अगरबत्ती, स्प्रे और दवाओं का उपयोग आम हो चुका है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि जो चीज हमें मच्छरों से बचाने के लिए बनाई गई है, वही हमारी जिंदगी को धीरे-धीरे ख़त्म कर रही है?
जहरीली गैस से घिरा हमारा जीवन
डॉ. अबू हुरैरा के अनुसार, मच्छर मारने वाली क्वॉइल में बेंजो फ्लूओरोथेन और बेंजो पायरेस जैसे हानिकारक तत्व होते हैं, जो हमारे फेफड़ों को गंभीर नुकसान पहुंचाते हैं। एक शोध में यह खुलासा हुआ कि मच्छर मारने वाली एक क्वॉइल का धुआं 100 सिगरेट के बराबर खतरनाक होता है। ज़रा सोचिए, अगर कोई व्यक्ति रोज़ाना रातभर मच्छर मारने वाली क्वॉइल जलाता है, तो वह हर रात 100 सिगरेट के बराबर धुआं अंदर ले रहा है!
गया जिले में रहने वाले परिपूर्ण शर्मा बताते हैं, "यहां मच्छर बहुत हैं, ऐसे में कई बार मच्छर बत्ती जलानी पड़ती है। इसी क्रम में कुछ दिनों बाद मुझे सांस लेने में तकलीफ़ हुई तो डॉक्टर को दिखाया। डॉक्टर ने बताया कि आपके पेट में धुआं है। उसके बाद से मैंने मच्छर बत्ती का इस्तेमाल बंद कर दिया। वहीं, जब मैं मच्छर बत्ती का उपयोग करता था, तो मुझे खांसी भी बहुत होती थी।"
एक परिवार की दर्दनाक मौत: क्या यह चेतावनी काफी नहीं?
दिल्ली के शास्त्री पार्क इलाके में दो साल पहले एक दर्दनाक हादसा हुआ था। एक ही परिवार के छह लोग मच्छर मारने वाली क्वॉइल के कारण मौत के मुंह में समा गए। उन्होंने बंद कमरे में क्वॉइल जलाई थी, जिससे पूरे कमरे में जहरीला धुआं भर गया। दम घुटने से एक-एक करके सभी की सांसें थम गईं।
यह सिर्फ़ एक उदाहरण है, लेकिन ऐसी घटनाएं हर साल सैकड़ों की संख्या में होती हैं, जिन पर शायद ही किसी का ध्यान जाता है। कितने ही लोग अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, फेफड़ों के संक्रमण और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का शिकार हो रहे हैं, और उन्हें यह तक नहीं पता कि इसके पीछे की वजह क्या है।
लाइसेंस के बिना विक्रय करना अपराध, लेकिन पालन कौन कर रहा है?
भारत में कीटनाशक अधिनियम 1968 के तहत किसी भी प्रकार की कीटनाशक वस्तुओं का बिना लाइसेंस के विक्रय करना अपराध है। फिर भी, गया जिले में अब तक किसी भी व्यवसायी ने मच्छर मारने वाली क्वॉइल या चूहे मारने की दवा बेचने के लिए लाइसेंस नहीं लिया है।
इस मुद्दे पर बात करते हुए गया जिले के कृषि पदाधिकारी अजय कुमार सिंह बताते हैं, "मच्छर बत्ती व चूहे मारने की दवाओं की बिक्री के लिए कृषि विभाग के पोर्टल पर अप्लाई करके लाइसेंस लेना होता है। हालांकि, अभी तक गया जिले में एक भी व्यवसायी के द्वारा मच्छर बत्ती अथवा चूहे मारने की दवाओं की बिक्री के लिए लाइसेंस नहीं लिया गया है।"
इससे यह साफ़ ज़ाहिर होता है कि गया जिले में मच्छर बत्ती और चूहे मारने की दवाओं की बिक्री गैरकानूनी है, क्योंकि आज तक किसी ने भी लाइसेंस नहीं बनवाया है।
गया जिले में पढ़ाई कर रहे राहुल से जब हमने बात की, तो उन्होंने बताया, "यहां तो बड़ी आसानी से मच्छर बत्ती मिल जाती है, कोई रोक-टोक नहीं है। जब लाइसेंस लेना अनिवार्य है, तो फिर आख़िर सरकार इस पर नकेल क्यों नहीं कसती? क्यों कोई कठोर कदम नहीं उठाती? वहीं, विक्रेताओं को भी बेचने से पहले लाइसेंस ले लेना चाहिए।"
कृषि रक्षा विभाग अब इस पर सख्ती बरतने की तैयारी कर रहा है। पहली बार पकड़े जाने पर 25,000 रुपये जुर्माना और छह महीने की जेल की सजा है। दोबारा पकड़े जाने पर सजा दोगुनी होगी।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश और प्रशासन की लापरवाही
साल 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि बिना लाइसेंस के मच्छर मारने वाली क्वॉइल, चूहे मारने की दवा आदि का विक्रय नहीं किया जाए। लेकिन क्या प्रशासन ने इस आदेश को गंभीरता से लिया?
आज भी गांव-शहर के हर छोटे-बड़े किराना और जनरल स्टोर पर मच्छर मारने की क्वॉइल और अन्य कीटनाशक धड़ल्ले से बेचे जा रहे हैं। कोई यह देखने वाला नहीं है कि इनके पास लाइसेंस है या नहीं। प्रशासन की लापरवाही का ख़ामियाज़ा आम जनता भुगत रही है।
मच्छर मारने वाली क्वॉइल से बचने के उपाय
अगर आप भी मच्छर मारने वाली क्वॉइल का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो अभी से इसे बंद करें। इसके बजाय कुछ प्राकृतिक और सुरक्षित उपाय अपनाएं:
मच्छरदानी का उपयोग करें – यह सबसे प्रभावी और सुरक्षित तरीका है।
नीम के तेल को दीपक में डालकर जलाएं – इससे मच्छर दूर भागते हैं।
लेमन ग्रास और तुलसी का पौधा लगाएं – ये प्राकृतिक रूप से मच्छरों को भगाने में मदद करते हैं।
इलेक्ट्रिक मच्छर मारने वाले बैट का इस्तेमाल करें – यह धुएं और जहरीले केमिकल से बचने का बेहतर तरीका है।
- घर को साफ रखें और रुके हुए पानी को हटा दें – मच्छर गंदगी और रुके हुए पानी में पनपते हैं।
हम मच्छरों से बचने के लिए अपने ही स्वास्थ्य को दांव पर लगा रहे हैं। हमें जागरूक होने की जरूरत है। अगर हम खुद ही अपने स्वास्थ्य के प्रति गंभीर नहीं होंगे, तो प्रशासन या सरकार भी हमारा कुछ नहीं कर पाएगी। मच्छर मारने वाली क्वॉइल के धुएं से धीरे-धीरे दम तोड़ने से बेहतर है कि हम अभी से सतर्क हो जाएं। अपनी और अपने परिवार की सेहत का ध्यान रखें और जहरीले धुएं से बचें। जब तक हम खुद नहीं जागेंगे, तब तक यह धीमा ज़हर हमें अंदर ही अंदर मारता रहेगा।