Health

ख़राब ऑक्सीजन प्लांट और लचर व्यवस्था के साथ कोरोना को रोकने की तैयारी

देश में कोरोना की चौथी लहर ने अपनी दस्तक दे दी है. पिछले 1 हफ्ते में कोरोना के मरीज़ों का ग्राफ ऊपर जा रहा है. कोरोना की पहली और दूसरी लहर की तस्वीरें आज भी लोगों को परेशान कर रही हैं. लेकिन क्या इस बार चौथी लहर के लिए बिहार के सरकारी अस्पताल और ऑक्सीजन प्लांट तैयार हैं?

इस सवाल के जवाब को खोजने से पहले पिछले एक हफ़्ते के सैंपल टेस्टिंग के आंकड़ों पर एक बार नज़र डालते हैं. बिहार की आबादी लगभग 12 करोड़ 80 लाख है. 13 अप्रैल को पूरे बिहार में 68,838 कोरोना सैंपल की जांच की गयी. इसके बाद 14 अप्रैल को विभाग के सैंपल का आंकड़ा जारी ही नहीं किया. 15 अप्रैल को 62,770, 16 अप्रैल को 58,543, 17 अप्रैल को 70,865, 18 अप्रैल को 33,961, 19 अप्रैल को 70,391 और 20 अप्रैल को 68,156 सैंपल की जांच की गयी है. मीडिया रिपोर्ट्स हर दिन इस तरफ़ ये इशारा कर रहा है कि बिहार में कोरोना की चौथी लहर का असर अभी तक देखने को नहीं मिल रहा है. लेकिन बिहार में कोरोना बढ़ते हुए इसलिए नज़र नहीं आ रहा है क्योंकि यहां पर जांच ही नहीं हो रही है.

बिहार में कोरोना को लेकर जागरूकता की भी काफ़ी कमी देखी जा रही है. बिहार में अभी लगातार त्योहार चल रहे हैं. चैती नवरात्र, रामनवमी और चैती छठ ख़त्म होने के बाद अभी ईद की तैयारी ज़ोरों पर हैं लेकिन किसी भी त्योहार में कोरोना गाइडलाइन्स का पालन नहीं किया जा रहा है. यहां तक की बिहार में पुलिस और धावा दल की ओर से भी सख्ती नहीं की जा रही है.

(आम यात्री और पुलिस भी बिना मास्क के ही सड़कों पर निकल रही है)

यहां तक की बिहार में अधिक भीड़ वाली जगहों पर जांच की बात कही गयी थी लेकिन जब डेमोक्रेटिक चरखा की टीम पटना जंक्शन, पाटलिपुत्रा जंक्शन और राजेंद्र नगर टर्मिनल पहुंची तो वहां कहीं भी जांच नहीं हो रही थी. दो दिन पहले 19 अप्रैल को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ऐसी जगहों पर कोरोना जांच के आदेश दिए थे. लेकिन बिहार के मुख्यमंत्री के ही आदेश का पालन नहीं हो रहा है.

बिहार में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की काफ़ी कमी ही. जिस पर पटना हाईकोर्ट ने मामले को संज्ञान में लिया था और जल्द ही ऑक्सीजन प्लांट लगाने के लिए सरकार को आदेश दिया था. सरकार ने पटना हाईकोर्ट में ये कहा था कि अगस्त 2021 तक 123 प्लांट लगा दिए जायेंगे. सरकार के इस जवाब के बाद ये उम्मीद थी कि अब कोरोना की बाकी लहर में ऑक्सीजन की कमी नहीं होगी. लेकिन अगस्त 2021 तक 123 प्लांट नहीं बल्कि सिर्फ़ 1 ऑक्सीजन प्लांट शुरू हुआ था. बिहार में PM-CARES फंड्स के तहत भी ऑक्सीजन प्लांट शुरू करने की बात थी और ऐसा हुआ भी. बिहार में 62 Pressure Swing Absorption (PSA) ऑक्सीजन प्लांट शुरू होना था, जिसमें से एक तिहाई प्लांट PM-CARES फंड्स द्वारा शुरू किया गया. जनवरी 2022 में जब स्वास्थ्य विभाग की ओर से एक टीम ने इन ऑक्सीजन प्लांट का ऑडिट किया तो इसमें से 44 प्लांट ख़राब हो चुके थे. इसमें से 55% प्लांट PM-CARES फंड्स के द्वारा शुरू किये गए थे. इनमें से 7 प्लांट में शुद्ध ऑक्सीजन की दिक्कत और 6 प्लांट में लीकेज की भी समस्या मिली. यानी अभी भी बिहार के पास पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन की आपूर्ति नहीं है. स्वास्थ्य विभाग की ऑडिट रिपोर्ट अनुसार

दरभंगा जिले के बेनीपुर प्लांट, पश्चिमी चंपारण का नरकटियागंज प्लांट, बक्सर का अनुमंडल अस्पताल के साथ-साथ मुंगेर, सीवान और खगड़िया के सदर अस्पताल और राजधानी पटना का इंदिरा गांधी इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंस के प्लांट में बनने वाली ऑक्सीजन काफ़ी अशुद्ध है. यहां तक की बेनीपुर प्लांट की ऑक्सीजन की शुद्धता केवल 65% है. केंद्र सरकार की गाइडलाइन्स के मुताबिक ऑक्सीजन की न्यूनम शुद्धता 93% की होनी चाहिए. इसके साथ ही ऑडिट रिपोर्ट में ये भी लिखा गया कि इन प्लांट को चलाने के लिए व्यक्तियों में जो न्यूनतम योग्यता होनी चाहिए वो कई प्लांट के स्टाफ में मौजूद नहीं है इस वजह से ये प्लांट ख़राब हुए हैं.

इस पर बात करते हुए जन स्वास्थ्य अभियान के संचालक और पॉलीक्लीनिक के चिकित्सक डॉ. शकील का कहना है कि

चौथी लहर की जो अभी तक रिपोर्ट्स आ रही हैं उसमें मरीज़ों की भर्ती होने की संख्या ना के बराबर है. लेकिन ऑक्सीजन का मामला सिर्फ़ कोरोना से तो है नहीं. एक न्यूनतम मेडिकल गाइडलाइन्स हैं ऑक्सीजन के ज़रुरत की वो तो हर दिन के लिए होनी चाहिए. साथ ही बिहार में मरीज़-डॉक्टर अनुपात, मरीज़-हेल्थ वर्कर अनुपात बहुत ख़राब है. यहां तक कि अगर बिहार में Per Capita Medical Expenditure यानी इलाज के दौरान दवाइयों पर होने वाले ख़र्च को देखा जाए तो वो भी देश में काफ़ी अधिक आता है. बिहार के आंकड़ों के अनुसार अगर कोई अपने इलाज में 100 रूपए की दवा लेता है तो उसमें सिर्फ़ 13 रूपए ही सरकार की ओर से मदद मिलती है. बिहार में पूरे स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार की ज़रुरत है.

ग्रामीण इलाकों में ब्लॉक स्तर और पंचायत स्तर पर स्वास्थ्य की क्या स्थिति है ये डेमोक्रेटिक चरखा ने अलग-अलग जिलों से रिपोर्ट दिखाई है. इसपर बात करते हुए स्वास्थ्य विभाग, बिहार के स्पेशल ड्यूटी ऑफिसर शिशिर मिश्रा ने डेमोक्रेटिक चरखा से बात करते हुए बताया-

बिहार सरकार ने पूरी तैयारी की हुई है और हमारी टीम हर जगह नज़र बनाये हुए है. जो भी ऑक्सीजन प्लांट में गड़बड़ी थी उसे टीम ने देखा और उसे ठीक किया है.

सरकार के दावों के अनुसार बिहार में कोरोना से निपटने की पूरी तैयारी है लेकिन आने वाले समय में ये समझ में आ जाएगा कि क्या वाकई तैयारी पूरी है या इस बार भी ये सरकार का छलावा है.

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