कोरोना के बढ़ते मामलों को रोकने के लिए सरकार कितनी तैयार है?

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कोरोना के बढ़ते मामलों को रोकने के लिए सरकार कितनी तैयार है?
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पटना में पिछले एक हफ्ते से कोरोना के मामले बढ़े हुए हैं. जिले में 12 जुलाई को कुल 192 मरीज संक्रमित मिले हैं. पटना के साथ ही पूरे राज्य में कोरोना की लहर थमने का नाम नहीं ले रही है. मंगलवार को पटना में एक बार फिर सबसे अधिक मामले दर्ज किये गए हैं. इससे पहले 8 जुलाई को सबसे अधिक 220 मामले दर्ज किये गए थे. राज्य के विभिन्न जिलों में लगभग पांच महीने बाद 436 केस दर्ज किये गए हैं.

कोविड की संख्या में लगातार हो रही वृद्धि पर पीएमसीएच के सीनियर रेजिडेंट अक्षित पाठक का कहना है

पहले जो कोरोना के केस आते थे वो ज़्यादा क्रिटिकल होते थे, लेकिन अब जो केस आते हैं उनमें घबराने वाली बात नहीं है. ज्यादातर लोग को अब वैक्सीन लग चुकी है, उनमें इम्युनिटी बूस्ट हो चुकी है. हमारे यहां जो भी मरीज़ आते हैं हम उनकी कोरोना की जांच करवाते हैं. परेशानी उनके लिए है जो बुजुर्ग हैं, डायबिटीज़ के मरीज़ हैं, कैंसर मरीज़ हैं या फिर जो फेफड़े की किसी बीमारी से ग्रस्त हैं उन्हें ज़्यादा एहतियात बरतनी चाहिए.

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बिहार में बढ़ते कोरोना के मामलों पर स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने मंगलवार को भाजपा कार्यालय में हुई प्रेस वार्ता में बताया कि

राज्य में बढ़ते कोरोना संक्रमण के मामले को देखते हुए प्रतिदिन कोरोना की जांच 1 लाख से बढ़ाकर 1.25 लाख कर दिया गया है. बिहार सर्वाधिक कोरोना जांच करने वाले राज्यों में से एक है. साथ ही राज्य में विशेष मौकों पर टीकाकरण अभियान चलाकर टीका लगाया जाता है.

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पिछले एक महीने के आंकड़ें पटना में रहने वाले लोगों को सतर्क करने के लिए काफ़ी हैं. लेकिन क्या लोग जागरूक हुए हैं? इसका जवाब है नहीं? लोग इन आंकड़ों को भी नजरंदाज करते हैं. लोगो का कहना हैं कि सरकार बस डराने के लिए ऐसे आंकड़ें जारी कर देती है. पटना जंक्शन से पटना के विभिन्न इलाकों के लिए ऑटो और बस का परिचालन होता है. लेकिन यहां आपको एक भी ऑटो ड्राईवर या बस ड्राईवर मास्क लगाए नहीं दिखेंगे. साथ ही इन ऑटो या बस में यात्रा करने वाले यात्री भी अपनी सुरक्षा को नजरंदाज करते हुए यात्रा करते हैं.  

डेमोक्रेटिक चरखा की टीम ने जब यहां के ऑटो चालक से बात की तो उनका कहना था

दिनभर  रोड पर ही ऑटो चलाते हैं, कहां हमारे किसी साथी को कोरोना हुआ है और मास्क लगाने से हमारा सांस घुटता है इसलिए नहीं लगाते.

कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए बिहार के स्कूल भी लापरवाही बरतने का काम कर रहे हैं. अधिकांश सरकारी और प्राइवेट स्कूल में भी कोविड प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया जा रहा है.

बच्चो में कोविड संक्रमण से बचाव को लेकर डेमोक्रेटिक चरखा ने बच्चों के डॉक्टर सदर आलम से बात की.  उनका कहना था

बच्चों में अभी कोविड के केस कम संख्या में ही आ रहे है लेकिन कोरोना को लेकर सावधानी ज़रूरी है. बच्चे नहीं बल्कि उनके अभिभावक को सतर्क रहना चाहिए. खासकर बच्चे की मां को बच्चो में ये आदत डालनी चाहिए कि बच्चे बाहर से आने के बाद हाथ-पैर धोएं, बाहर जाने पर मास्क लगाए, सैनिटाईजर का उपयोग करें. बच्चों को हम अभी विटामिन- डी और विटामिन-सी देने की सलाह दे रहे हैं. साथ ही बच्चों को भीड़-भाड़ वाले जगहों पर नहीं ले जाएं.

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कोरोना के बढ़ते मामले पर गोपालगंज के बरौरा प्रखंड के प्राथमिक स्वास्थ केंद्र के डॉक्टर मोमन यासीन कहते है

हमारे अस्पताल में रोज़ 300 से ज़्यादा कोरोना का जांच किया जा रहा है. लेकिन अभी तक एक भी मरीज़ पॉजिटिव नहीं पाए गए हैं.

डॉक्टर मोमन आगे कहते हैं

जिस इलाके में कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं वहां के प्रशासन को इस ओर ध्यान देना चाहिए, क्योंकि पब्लिक को सतर्क करना और उसकी सुरक्षा करना प्रशासन का ही काम है. साथ ही पब्लिक को भी सतर्क रहना चाहिए. भीड़-भाड़ वाले इलाकों में जाने से बचना चाहिए और बेसिक बचाव के लिए मास्क और सेनेटाईज़र का उपयोग करना चाहिए.”

पटना का कमला नेहरू नगर, दुल्हिन बाजार, मैनपुरा के साथ-साथ फतुहा और पालीगंज भी कोरोना के हॉट स्पॉट बने हुए हैं. कंकड़बाग, हनुमान नगर, बोरिंग रोड, फुवारी शरीफ, पटना सिटी से भी कोरोना के मरीज़ मिल रहे हैं.

कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. लेकिन फिर भी लोग बूस्टर डोज़ लेने में आनाकानी कर रहे हैं. बिहार में सबसे ज़्यादा पटना में कोरोना के मरीज़ मिल रहे हैं. पटना में 18 से 59 साल के कुल 13,10,492 व्यक्ति हैं जो बूस्टर डोज़ लेने के योग्य हैं. लेकिन अभी तक मात्र 1,64,037 लोगों ने ही बूस्टर डोज़ लिया है. राज्य में सभी जिलों से सबसे ज़्यादा टीकाकरण पटना में ही किया गया है. लेकिन फिर भी अभी रफ़्तार बहुत धीमी है. टीकाकरण अभियान को तेज करने के लिए अब सप्ताह में दो दिन महाभियान चलाए जाने का निर्णय लिया गया है. सप्ताह के प्रत्येक गुरुवार और शनिवार को टीकाकरण का महाभियान चलाया जाएगा जिसका शुरुआत बीते गुरुवार से कर दिया गया है. महाअभियान के दौरान कम से कम 50 हजार टीके लगाए जाने का लक्ष्य रखा गया है. डिस्ट्रिक्ट इम्युनाइजेसन ऑफिसर डॉ. एसपी विनायक ने कहा कि

बूस्टर डोज़ नहीं लेने पर संक्रमण का खतरा चार गुना बढ़ जाता है. इसलिए जिनका समय हो गया है, उन्हें बूस्टर डोज़ अवश्य ले लेना चाहिए. इसके अलावा वैसे प्राइवेट और सरकारी स्वास्थ्य कर्मी जिन्होंने बूस्टर डोज़ नहीं लिया है उन्हें जल्द से जल्द बूस्टर डोज़ लेने का आदेश दिया गया है. साथ ही बूस्टर डोज़ लेने के योग्य लोगों को मैसेज भी किया जा रहा है.

बीते साल कोरोना की चपेट में आने से लोग ऑक्सीजन की कमी से दम तोड़ रहे थे. हर तरफ ऑक्सीजन के लिए मारामारी चल रहा था. जिस पर पटना हाईकोर्ट ने मामले को संज्ञान में लिया था और जल्द ही ऑक्सीजन प्लांट लगाने के लिए सरकार को आदेश दिया था. जिसके बाद बिहार में 400 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का उत्पादन का शुरू किया जा चुका है. राज्य के सभी जिला अस्पतालों और राज्य अनुमंडलीय अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी नहीं होगी. कोरोना काल के दौरान बिहार में 119 पीएसए (pressure swing absorption) ऑक्सीजन प्लांट लगाए गए हैं. राज्य में प्रतिदिन 130 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का खपत है. उपयोग के बाद बचे हुए ऑक्सीजन को रिफिल करके रखने की भी व्यवस्था की गयी है. बचे हुए ऑक्सीजन को छोटे बड़े सिलिंडर में भरकर रखा जाता है.

अब देखना होगा सरकार द्वारा किये गए तैयारियों के दावे महामारी के समय कितने कारगर साबित होते  हैं.