DC Explainers Investigation

बिहार: राज्य में बढ़ा अवैध हथियारों का मामला, हर माह 300 हथियार ज़ब्त

Spread the love

बिहार में अवैध हथियारों का पकड़ा जाना कोई नई बात नहीं है. हर माह औसतन 300 अवैध हथियार पकड़े जा रहे है . जनवरी 2023 में लगभग 327 अवैध हथियार और 1100 कारतूस बरामद हुए

अवैध हथियार

बिहार में अपराध के बढ़ने का एक प्रमुख कारण यह भी है कि यहां भारी मात्रा में अवैध रूप से लाए गए अथवा यहां बनाए गए हथियार इस्तेमाल किए जाते हैं. आज की इस रिपोर्ट में हम बिहार में पकड़े जाने वाले अवैध हथियारों के विषय में चर्चा करेंगे.

बांका जिले में पकड़ा गया है भारी मात्रा में अवैध हथियार

अवैध हथियार

बिहार के बांका जिले के शंभूगंज थाना क्षेत्र में पटना और बंगाल की एसटीएफ ने मिलकर अवैध हथियार बनाने की दुकान और गोदाम में छापेमारी की. यह छापेमारी गुप्त सूचना के आधार पर की गई थी. इस दुकान में अवैध हथियार बनाने की मिनी गन फैक्ट्री के निर्माण की जानकारी पुलिस को मिली थी जिसके बाद यह कार्यवाही की गई. छापामारी के दौरान वहां कई अवैध हथियार और विभिन प्रकार की मशीन बरामद की गई. पुलिस ने इस घटना में चार अपराधियों को भी गिरफ्तार किया है.

हर माह पकड़े जाते हैं लगभग 300 से अधिक अवैध हथियार

बिहार में हर माह औसतन 300 से अधिक अवैध हथियार और 1100 से अधिक कारतूस बरामद किए जाते हैं. बिहार पुलिस के आंकड़ों के अनुसार पिछले वर्ष साल भर में लगभग 4000 अवैध देसी हथियार और लगभग 1400 कारतूस बरामद किए गए हैं. इसके अतिरिक्त 26 बम भी पकड़े गए हैं. इसी वर्ष जनवरी में लगभग 327 अवैध देसी हथियार और 1100 करतूत बरामद किए गए हैं.

अवैध हथियार

अवैध हथियारों के मामले में बदनाम है मुंगेर

अवैध हथियार के मामले में बिहार का मुंगेर जिला सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है. मुंगेर में ना केवल हथियार बनाए जाते हैं बल्कि इन्हें भारत के अलग-अलग राज्यों में निर्यात भी किया जाता है.

इस विषय पर हमने पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ कुमार दास जी से बात की. उन्होंने हमें बताया कि

बिहार में आमतौर पर पुलिस जो हथियार पकड़ती है उसे कट्टा या देसी हथियार कहते हैं. इसका सबसे बड़ा केंद्र बिहार का मुंगेर जिला है. मुंगेर में तो यूं समझ लीजिए कि कट्टा उद्योग एक प्रकार से वहां का कुटीर उद्योग बन चुका है.

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि भी है ज़िम्मेदार

अगर ऐतिहासिक पृष्ठभूमि की बात करें तो पहले मुंगेर बंगाल सुबे की राजधानी हुआ करता था. आज भी वहां मीर कासिम का किला मौजूद है. चूंकि नवाबों का शासन था इसलिए नवाबों की अपनी फौज भी होती थी और फौज के लिए हथियार बनाने वाले कारीगर भी हुआ करते थे. धीरे-धीरे मुंगेर के लोकल कारीगरों ने भी नवाब की फौज में हथियार बनाने वालों से इसका हुनर सीख लिया. उसके बाद वहां काफी अच्छे-अच्छे हथियार बनने लगे. इस प्रकार मुंगेर न सिर्फ हथियार बनाने में बल्कि अवैध हथियारों के निर्यात में भी काफी आगे निकल गया.

दूसरे देशों से भी भारत लाया जाता है अवैध हथियार

अवैध हथियारों के विषय में पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ कुमार दास जी ने हमें बताया कि

मुंगेर के अलावा कई स्थानों से भी अवैध हथियार बिहार लाए जाते हैं. बिहार में अवैध हथियार नेपाल से होकर भी आता है. इसके अलावा अफगानिस्तान से भी बहुत से अवैध हथियार बिहार लाए जाते हैं. मैंने अपने कार्यकाल के दौरान ऐसे कई अवैध हथियार पकड़े हैं जो नेपाल और अफगानिस्तान से बिहार लाए गए थे”

नक्सल प्रभावी जिलों में ज्यादा मिलते हैं अवैध हथियार

इसके अलावा बिहार में अवैध हथियार नक्सल प्रभावी जिलों में ज्यादा मिलते हैं. इसका कारण है कि नक्सलियों को हथियार बाहर से भेजा जाता था. आपने सुना होगा एल.टी.टी यानी लिट्टे, इस संगठन ने नक्सलियों के साथ समझौता कर लिया था जिसके बाद लिट्टे के द्वारा बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़ के नक्सलियों को आधुनिक हथियार सप्लाई किए जाने लगे थे. हालांकि अब तो नक्सलियों का प्रभाव बिल्कुल शून्य की ओर पहुंच चुका है. लेकिन एक वक्त था जब नक्सलियों के पास से कई आधुनिक अवैध हथियार बरामद किए जाते थे.

अवैध हथियारों, कैसे पता करती है पुलिस

आखिर पुलिस कैसे यह तय करती है कि जो हथियार बरामद किया गया, वह वैध है या अवैध . इस पर पूर्व आईपीएस अमिताभ कुमार दास जी ने में बताया कि

हथियार दो तरह के होते हैं. पहला देसी और दूसरा आधुनिक. आमतौर पर जो देसी कट्टे की गोली होती है. वह काफी लंबी होती है. अगर आप दूसरे हथियारों को देखेंगे तो रिवाल्वर में चेंबर होता है. उसमें एक साथ छह गोली रहती है. एक गोली चलने के बाद चेंबर घूमता है. दूसरा जिसे हम पिस्टल कहते हैं उसमें मैगजीन नीचे से डाला जाता है. आमतौर पर किसी पिस्टल के मैगजीन में 13 गोलियां एक साथ डाली जाती है.

कट्टा बिलकुल अलग होता है

लेकिन जो कट्टा होता है वह ना पिस्टल की तरह होता है और ना ही रिवाल्वर की तरह होता है. उसमें एक बार में एक ही गोली जाती है. उसका शेप भी बिल्कुल अलग होता है. इसके अलावा उस हथियार, बुलेट या कारतूस पर किसी प्रकार का लाइसेंसी नंबर नहीं होता है. कोई अनुभवी पुलिसवाला एक बार में समझ जाएगा कि यह ऑफिशियल गोली नहीं है.

अवैध हथियारों के मामले में क्या कहता है कानून

दुनिया के कुछ देशों में हथियार रखना वहां के नागरिकों का मौलिक अधिकार होता है. उदाहरण के तौर पर देखें तो अमेरिका के संविधान में यह अधिकार वहां के नागरिकों को मिला है.

लेकिन अगर बात भारत की करें तो यहाँ इसके लिए आर्म्स एक्ट बनाया गया है.

क्या है आर्म्स एक्ट

आर्म्स एक्ट इस कानून के अनुसार भारत में कोई भी व्यक्ति अधिकार के रूप में हथियार नहीं रख सकता है. भारत सरकार इसके लिए लाइसेंस जारी करती है. आर्म्स एक्ट के नियमों का उल्लंघन करना भारत में एक दंडनीय अपराध है. इस विषय पर विस्तृत जानकारी के लिए हमने पटना हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता विशाल कुमार सिंह जी से बात की. उन्होंने हमें बताया कि

भारत में आर्म्स एक्ट कॉलोनियल टाइम से है. 1878 में सबसे पहले ब्रिटिश शासन के समय में यह कानून लाया गया था. देश की आजादी के बाद 1959 फिर इसे लागू कर दिया गया. आर्म्स एक्ट 1959 की बात करें तो इसमें कई सेक्शन हैं. सेक्शन 25 के अंतर्गत यदि कोई व्यक्ति अवैध हथियार के साथ पकड़ा जाता है तो उसे दंड दिया जाएगा. इसके अलावा इस सेक्शन में यह भी स्पष्ट है कि हर वह हथियार जिसका लाइसेंस नहीं है, वह अवैध है. इसके अलावा भी आर्म्स एक्ट में कई बातों का ध्यान रखा जाता है,जैसे अपराधी के पास हथियार कौन सा पाया गया है. उदाहरण के तौर पर पाया गया हथियार देसी है, आधुनिक है, ऑटोमेटिक है अथवा सेमी ऑटोमेटिक है. इसके अलावा इस अधिनियम का सेक्शन 21 भी काफी महत्वपूर्ण है.

अवैध फैक्ट्रियों पर कसनी होगी सरकार को नकेल

अवैध हथियारों के कारण बढ़ते बिहार में आपराधिक मामलों के लिए सरकार को हथियार बनाने वाली फैक्टरियों की सख्ती से छानबीन कर उन पर नकेल कसने की आवश्यकता है. मुंगेर जैसे इलाके जो अवैध हथियारों के मामले में काफी बदनाम हैं, ऐसे स्थानों पर सरकार और प्रशासन को इस तरह के धंधों को चलाने वाले लोगों पर सख्त कार्यवाही करनी चाहिए. यदि ऐसा नहीं किया गया तो बिहार कभी भी ‘अपराध मुक्त राज्य’ यानी कि ‘क्राइम फ्री स्टेट’ नहीं बन पाएगा.

अवैध हथियारों को बनाने वाली फैक्ट्रियों पर सरकार को लगानी होगी रोक

अवैध हथियारों के कारण बढ़ते बिहार में आपराधिक मामलों के लिए सरकार को हथियार बनाने वाली फैक्टरियों की सख्ती से छानबीन कर उन पर नकेल कसने की आवश्यकता है. मुंगेर जैसे इलाके जो अवैध हथियारों के मामले में काफी बदनाम हैं, ऐसे स्थानों पर सरकार और प्रशासन को इस तरह के धंधों को चलाने वाले लोगों पर सख्त कार्यवाही करनी चाहिए. यदि ऐसा नहीं किया गया तो बिहार कभी भी ‘अपराध मुक्त राज्य’ यानी कि ‘क्राइम फ्री स्टेट’ नहीं बन पाएगा.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *