बिहार में लगभग पिछले 5 सालों से शराबंबदी का क़ानून लागू है बावजूद इसके शराब बिक्री, शहर से लेकर गांव की गलियों तक है। सरकार ने जिस बड़े मकसद से इस कड़े क़ानून को सूबे में लागू किया था पूरे देश-दुनिया में इसकी ना सिर्फ खूब चर्चा हुई थी बल्कि मौजूदा सरकार की खूब वाहवाही भी हुई थी। लेकिन अगर जमीनी हकीकत को देखे तो बिहार में शराब माफियाओं का राज है।

10 लीटर बना हुआ शराब और 450 लीटर आधा बना हुए शराब हुए बरामद
इसी मामले में अब डीजीपी के दखल से कार्यवाहीं के बाद पूरे मामले की सच्चाई सामने आई है और शिकायतकर्ता साजिद अली की शिकायत सही साबित हुई है।
न्यूज टीम को पहले मिले पत्र के अनुसार उनके द्वारा पत्र में यह बताया गया है कि, उनके गांव बरखा बरोली से लगभग 1 किलोमीटर दूर पश्चिम रेलवे लाइन के पंडाई पुल पर सुबह चार बजे से ही खुलेआम शराब बिक्री का काम शुरू हो जाता है और यह लगातार शाम के सात बजे तक चलते रहता है।
इस पूरे मामले में शिकायतकर्ता साजिद अली से बात करने पर उन्होंने बताया कि, वह कई मर्तबा नरकटिया के डीएसपी कुंदन कुमार से बात करने पहुंचे पर उन्होंने कोई कार्यवाही नहीं की। इससे परेशान हो कर उन्होंने डीजीपी को इस पूरे मामले से अवगत कराया और डीजीपी ने एसपी और एसपी ने फिर से थानाप्रभारी को इस मामले पर कार्यवाही का आदेश दिया।
थानाप्रभारी ने बिना जांच किए शिकायत को बता दिया था झूठा
अधिकारियों से दबाव पड़ने पर थानाप्रभारी ने शिकायतकर्ता साजिद अली से संपर्क साध कर इस बारे में जानकरी के कार्यवाही की बात कही और फिर अगले दिन डीएसपी को यह खबर दी कि, घटनास्थल पर वह पहुंचे लेकिन वहां कोई शराब बरामद नहीं हुआ और शिकायतकर्ता साजिद अली की जानकारी झूठी निकली है।

डीएसपी ने जहां कोई शराब बरामद ना होने की बात कही अगले दिन उत्पाद विभाग ने वहीं से शराब पकड़ी
शिकायतकर्ता ने कहा कि, डीएसपी और थानाप्रभारी की शराब माफियाओं की मिलीभगत से पूरा शराब का कारोबार चल रहा था। उन्होंने यह भी दावा किया कि हर महीने उन्हें 70 हजार तक का भुगतान भी होता है। इसलिए उन्होने हमारी जानकारी को झूठा बताया।
लेकिन हार ना मानते हुए शिकायतकर्ता एक बार फिर डीजीपी से मिले और पूरी मिलीभगत की बात बताई। इसके बाद डीजीपी ने खुद कदम उठाते हुए जिला उत्पाद विभाग को छापामारी का आदेश दिया।
इस छापामारी में शिकायतकर्ता की निशानदेही पर 10 लीटर शराब बरामद किया गया साथ ही लगभग 450 लीटर शराब बनाने का काम जारी था। उत्पाद विभाग ने शराब जब्त कर लिया और बाकी 450 लीटर शराब को बन रहे थे उसे नष्ट कर दिया।
मिलीभगत सामने आने पर डीजीपी ने डीएसपी आए थानाप्रभारी पर कार्यवाही का दिया आश्वासन
इस पूरे मामले पर शिकायकर्ता ने कहा कि, शराब बरादमागी के बाद अब डीएसपी थानाप्रभारी और शराब माफियाओं की मिलीभगत सबके सामने है। इसपर उन्होंने डीजीपी से मांग किया की उनपर बोर्ड बैठा कर कार्यवाहीं किया जाए और उन्हें उनके पद से हटाया जाए।
“खुलेआम शराब बिक्री में पुलिसवालों को भी मिलता है पैसा”
शिकायकर्ता का कहना है कि शराब की खुलेआम बिक्री में पुलिस की भी पूरी मिलीभगत है और उन्हें भी इसके बदले पैसे दिए जाते है। यही वजह है कि पुलिस ने इतनी शिकायतों के बाद भी कोई कदम नहीं उठाया है।
शिकायतकर्ता ने अपने पत्र में आगे लिखा है की अगर पुलिस सिविल ड्रेस में आकर कार्यवाहीं करे तो सभी आरोपी पकड़े जाएंगे। उन्होंने पुलिस को हर मुमकिन सहयोग के लिए अपना मोबाइल नम्बर भी दिया है। वह चाहते है कि जल्द से जल्द इस मामले का निपटारा हो सके।