Impact: कई रिपोर्ट्स के बाद राज्य में शुरू हुआ SC/ST और महिला आयोग

SC/ST और महिला आयोग: राज्य सरकार ने सात सालों से बंद पड़े अनुसूचित जाति आयोग को पुनर्गठित कर दिया है. समाज कल्याण विभाग द्वारा जारी अधिसूचना

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Impact: कई रिपोर्ट्स के बाद राज्य में शुरू हुआ SC/ST और महिला आयोग
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SC/ST और महिला आयोग: राज्य सरकार ने सात सालों से बंद पड़े अनुसूचित जाति आयोग को पुनर्गठित कर दिया है. समाज कल्याण विभाग द्वारा जारी अधिसूचना में अनुसूचित जाति आयोग के साथ-साथ चार अन्य आयोगों  और दो बोर्ड के अध्यक्ष और सदस्य नियुक्त किये गये हैं. पिछले कई सालों से इन आयोगों के भंग हो जाने के कारण जिन उद्देश्यों की पूर्ति के लिए इनका गठन हुआ था उसका पालन नहीं हो पा रहा था.

SC/ST और महिला आयोग

आयोग बंद होने के कारण वंचित समुदाय के लोगों और महिलाओं को इंसाफ मिलने में होने वाली समस्या को डेमोक्रेटिक चरखा ने मई महीने में उठाया था.

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इस मामले में समाजसेवी राजीव कुमार ने अप्रैल 2023 में पटना हाईकोर्ट में पीआईएल (Public Interest Litigation (PIL) दाख़िल किया. जिसमें उन्होंने बिहार राज्य महिला आयोग अधिनियम (Bihar State Commission for Women Act,1999) तथा राज्य महादलित आयोग (State Mahadalit Commission) के बंद होने को लेकर सरकार से सवाल किया गया था. साथ ही इन आयोगों में खाली पड़े पदों को भरने के लिए शीघ्र नियुक्तियों की मांग भी की थी.

जिसके बाद पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के. विनोद चंद्रन और जस्टिस पार्थ सारथी की डिवीजन बेंच ने इस मामले में संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार को नोटिस जारी कर तीन हफ़्तों के अंदर जवाब मांगा था.

मामला हाईकोर्ट जाने के बाद हुई अध्यक्ष की नियुक्ति  

26 जुलाई को सामान्य प्रसाशन विभाग ने नोटिस जारी कर राजद के पूर्व विधायक राजेंद्र कुमार को अनुसूचित जाति आयोग का अध्यक्ष और पूर्व विधायक ललन भुइयां को उपाध्यक्ष बनाया है. वहीं सदस्य के तौर पर पूर्व विधायक श्याम बिहारी राम, वैशाली के अशोक पासवान और पटना के जगदीश चौधरी को सदस्य बनाया है.    

बिहार में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदाय के कल्याण और हित के लिए साल 2009 में ‘अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति कल्याण विभाग’ का गठन किया गया था. जिसका मुख्य उद्देश्य इन जातियों के कल्याण और विकास के लिए काम करना था.

साथ ही अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए आवासीय विद्यालय खोलना, अनुसूचित जातियों के कल्याण के लिए काम करने वाली शैक्षिक संस्थाओं और समितियों को सहायता देना, अनुसूचित जाति के छात्रों को किताबें तथा अन्य साधनों के लिए अनुदान देना, अनुसूचित जाति के सदस्यों के विकास के लिए ऋण उपलब्ध कराना, अनुसूचित जातियों के लिए विशेष गृह निर्माण की योजनाओं का क्रियान्वयन करना भी आयोग का काम है.

इन आयोगों के काम नहीं करने की वजह से पिछड़ी जातियों के न्याय और विकास के रास्ते बंद हो गये थे. 

राज्य में अनुसूचित जनजाति आयोग में भी अध्यक्ष की नियुक्ति की गयी है. कटिहार के शम्भू कुमार सुमन को अध्यक्ष, पूर्व विधायक स्वीटी हेम्ब्रम उपाध्यक्ष बनाये गये हैं. वहीं सदस्य के पद पर जमुई के केदार मुर्मू के साथ पश्चिम चंपारण के महेश्वर काजी सदस्य बनाये गये हैं.   

अब सरकार द्वारा इन पदों पर अध्यक्ष मनोनीत होने के बाद इन समुदायों के विकास की उम्मीद की जा सकती है.

महिला आयोग में भी हुई अध्यक्ष की नियुक्ति

बिहार राज्य महिला आयोग में भी पिछले दो सालों से काम नहीं कर रहा था. जिसके कारण पीड़ित महिलाएं न्याय के लिए इधर से उधर भटक रही थीं. राजीव कुमार द्वारा डाले गये पीआईएल में महिला आयोग के भंग होने को लेकर सवाल किया गया था.

लेकिन अब समाज कल्याण विभाग ने महिला आयोग में अध्यक्ष और सदस्य की नियुक्ति कर दी है.

समस्तीपुर से सांसद रह चुकी अश्वमेध देवी बिहार राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष बनाई गयी है. वहीं सदस्य के तौर पर अनुसूचित जाति से जहानाबाद की प्रभावती मांझी, अनुसूचित जनजाति से सिवान की डॉ सुजाता सुम्ब्रई की नियुक्ति हुई है. अल्पसंख्यक वर्ग से भागलपुर की राबिया खातुन, पिछड़ा वर्ग से गोपालगंज की सुनीता कुशवाहा, सामान्य वर्ग से पालीगंज की जदयू नेत्री श्वेता विश्वास की नियुक्ति हुई है. वहीं सामाजिक कार्यकर्त्ता के तौर पर पूर्णिया की सुलोचना देवी और शिक्षाविद् के तौर पर सहरसा से प्रो. गीता यादव को नियुक्त किया गया है.     

 

बिहार में SC/ST और महिला आयोग