“हमें दिन के सिर्फ़ 60 रूपए मिलते हैं, हम डॉक्टर हैं लेकिन पैसे मज़दूरों से भी कम है”

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क्या हम डॉक्टर नहीं हैं? क्यों हमारे साथ इस तरह का भेदभाव किया जा रहा है. मैं यूजी फर्स्ट ईयर की छात्रा हूं. लेकिन मुझे आगे अपने कैरियर की चिंता है. अगर इसी तरह हमारे साथ भेदभाव किया जाएगा तो मैं आगे पीजी में नामांकन क्यों लूंगी. मेडिकल की बाकी स्ट्रीम में हमारे कोर्स से ज्यादा सम्मान मिल रहा है. आज हम नौ दिनों से इस चिलचिलाती धूप और  गर्मी में बैठे हैं लेकिन कॉलेज प्रशासन हमारी मांगो को नहीं सुन रहा है.

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ये कहना है यूजी फर्स्ट इयर की छात्रा शालिनी का, जो आज नौ दिनों से वेटेनरी कॉलेज के गेट पर पीजी के छात्रों के साथ पर धरने पर बैठीं हैं.  

आज नौवें दिन भी वेटनरी कॉलेज में छात्रों की हड़ताल जारी है. छात्र और छात्राएं आज नौ दिनों से यहां अपनी मांगो को लेकर शांतिपूर्ण ढंग से धरना दे रहे हैं. वेटनरी कॉलेज के छात्रों का कहना है कि उन्हें पीजी फेलोशिप 1800 और इंटर्नशिप एलाउंस 5000 दिया जा रहा है जो बिहार के अन्य चिकित्सा पद्धति जैसे मेडिकल, यूनानी, आयुर्वेदिक, होमियोपैथी, डेंटल से काफ़ी कम है. बाकी चिकित्सा पद्धतियों में जहां छात्रों को 65000 से 82000 तक पीजी फेलोशिप और इंटर्नशिप एलाउंस मिलते हैं. वेटनरी की पढ़ाई में जो एलाउंस मिल रहा है वो बाकी चिकित्सा पद्धति के मुकाबले बहुत कम है. छात्रों का कहना है कि जब तक हमलोगों का मानदेय बाकी चिकित्सा पद्धति के समकक्ष नहीं किया जाएगा तब तक हड़ताल जारी रहेगी.

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हालांकि छात्र प्रतिनिधि मंडल सोमवार की सुबह 10 बजे कुलसचिव से मिलने गए थे लेकिन उन्हें कुलसचिव ने बिना वार्ता किए ही लौटा दिया. उसके बाद विश्वविद्यालय की ओर से एक पत्र जारी किया गया जिसमे धरना को अविलंब समाप्त करने को कहा गया और जल्द से जल्द छात्रों को पठन-पाठन में शामिल होने को कहा गया.  

हमने जब इस संबंध में छात्रों से बात कि तो उनका कहना था कि आज से छह महीने पहले भी हमलोगों ने धरना दिया और तब भी यह आश्वासन दिया गया था. उस समय मंत्रिमंडल में रहे मंत्री मुकेश सहनी धरना स्थल पहुंचे थे और हमलोगों से बातचीत किया था.

इस दौरान उन्होंने हमारी मांग को जायज़ करार दिया था और ये आश्वासन दिया कि आने वाले 15 दिनों के अंदर हमारी मांगें पूरी कर दी जायेंगी. लेकिन महीनों बीत जाने के बाद भी कोई करवाई नही हुई. तब जाकर हमलोगों ने दुबारा अपनी मांगों को लेकर धरना देना शुरू किया है.

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पीजी के छात्र डॉ पंकेश कुमार ने कहा कि

हमलोग इतनी मेहनत करते हैं लेकिन हमे दिन के 60 रूपए मिलते हैं जो मज़दूर को मिलने वाली दिहाड़ी से भी कम है. हम एमबीबीएस डॉक्टर से ज़्यादा मेहनत करते हैं लेकिन हमें उनका आधा मानदेय भी नहीं मिलता है. हमारा देश की जीडीपी में अहम योगदान रहता है. हमें एक सम्मानित राशि मिलनी चाहिए.

हॉस्पिटल की ओपीडी में इलाज और पढ़ाई पूरी तरह से बाधित है. छात्रों का कहना है कि हम शांतिपूर्ण ढंग से कार्य बाधित कर अपना विरोध जता रहे हैं. छात्रों का कहना है कि वेटनरी छात्रों का सेलेक्शन नीट के ज़रिये होता है और एमबीबीएस के छात्रों का नामांकन भी नीट के माध्यम से ही होता है. जब नामांकन प्रक्रिया में समानता बरती जाती है तो इंटर्नशिप एलाउंस और पीजी फेलोशिप में इतना अंतर क्यों है? आयुर्वेद, होमियोपैथी, यूनानी से वेटेनरी ऊपर ग्रेड का आता है लेकिन फिर भी हमारा मानदेय उनसे कम है.

गोविन्द कुमार जो इंटर्न के तौर पर वेटनरी कॉलेज में ट्रेनिंग कर रहे है उनका कहना है कि

हमें बार-बार सिर्फ़ आश्वासन दिया जाता रहता है. सोमवार को भी हमें कॉलेज प्रशासन की तरफ़ से कहा गया है कि आपकी मांगो को पूरा किया जाएगा लेकिन हमलोगों की मांग है कि जबतक हमें लिखित में नहीं दिया जाएगा तब तक हमलोग धरना समाप्त नहीं करेंगे.

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वहीं डॉ पंकेश कुमार ने कहा कि

पहले कॉलेज प्रसाशन के तरफ से हमे डराया भी गया. हमारे साथ यूजी के छात्र भी धरने में शामिल हैं. कॉलेज प्रशासन की तरफ़ से हमारे बीच फूट डालने का भी प्रयास किया गया. हमारे साथ यूजी की तान्या गुप्ता, दीपशिखा, आकृति, रूप नारायण और शालिनी बैठी हैं. साथ ही पीजी की डॉ अंकिता, डॉ अमिता रक्षा, डॉ रौशन शर्मा और डॉ राणाप्रताप सिंह शामिल हैं.     

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छात्रों का कहना है कि बीएएसयू (बिहार एनिमल साइंस यूनिवर्सिटी) के कुलसचिव, डीन (पीजी पीवीसी) और डीन बीवीसी (बैचलर इन वेटेनरी साइंस) ने धरना स्थल पर आकर हमलोगों से बात की और कहा कि धरना जल्द से जल्द समाप्त कर दो नही तो कॉलेज प्रशासन कार्यवाही करेगी.

हमने जब कॉलेज प्रशासन से इस संबंध में और जानकारी के लिए मिलना चाहा लेकिन कॉलेज में छुट्टी होने के कारण हमारी कॉलेज प्रशासन से बात नहीं हो पायी. (बात होने के बाद इस आर्टिकल को अपडेट किया जाएगा.)