कैसे 'सेल्फ़ी' की वजह से दृष्टिहीन शिक्षकों के साथ हो रहा है भेदभाव?

बिहार शिक्षा प्रणाली में कई तरह के फेर बदल किये गए हैं. इसमें एक नए नियम के तहत सभी सरकारी शिक्षकों को एक ऐप के तहत सेल्फ़ी लेकर हाज़िरी बनानी है. लेकिन क्या सरकार ने इस नियम को लागू करने से पहले दृष्टिहीन शिक्षकों के बारे में सोचा? पढ़िए ये ख़ास रिपोर्ट.

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नाजिश महताब
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कैसे 'सेल्फ़ी' की वजह से दृष्टिहीन शिक्षकों के साथ हो रहा है भेदभाव?

बिहार में लगभग 2200 दिव्यांग शिक्षक है. बिहार के विभिन्न जिलों में कार्यरत औसतन 45 प्रतिशत दृष्टिहीन शिक्षकों की ऑनलाइन हाज़िरी नहीं बन रही है.

दिव्यांग शिक्षकों की ऑनलाइन हाज़िरी नहीं बन पाने की वजह से वो स्कूल अटेंडेंस सिस्टम में अनुपस्थित दिखाए जा रहे हैं या देर से बनने की वजह से वह अनुपस्थित दिखते है. ऐसे में हर 900 से अधिक शिक्षक हर दिन अनुपस्थित होते हैं. जबकि वास्तविकता में ये शिक्षक नियमित रूप से स्कूल आ रहे हैं और बच्चों को पढ़ा रहे हैं. विशेष रूप से दृष्टिहीन शिक्षक, जो प्रतिदिन अपने दायित्वों का निर्वहन करते हैं, हाज़िरी लगाने में असमर्थ हैं क्योंकि ई-शिक्षा कोष पोर्टल पर उपस्थिति दर्ज कराने के लिए सेल्फ़ी अपलोड करने की अनिवार्यता है.

राजेश जिनकी आंखों की रौशनी 2 साल से भी कम उम्र में चली गई लेकिन आज वो बच्चों के जीवन में रोशनी डाल रहें हैं. हज़ारों तरीके की समस्या से आगे बढ़ कर आज वो सरकारी शिक्षक हैं. जब हमने इस मामले पर राजेश से बात की तो उन्होंने बताया कि “हमें कुछ नहीं दिखता. मैं पूरी तरह दृष्टिहीन हूं. मुझे सेल्फ़ी लेकर उपस्थिति बनाने में काफ़ी समस्या होती है.” 

बिहार में दृष्टिहीन शिक्षकों की परेशानी कम होने का नाम नहीं ले रही है. शिक्षकों की ऑनलाइन हाज़िरी के लिए उन्हें सेल्फ़ी लेकर भेजना होता है, लेकिन उनकी लाचारी को नज़रंदाज़ कर दिया जाता है.

नहीं बन रहा 45% दृष्टिहीन शिक्षकों की ऑनलाइन हाज़िरी

चूंकि दृष्टिहीन शिक्षक स्वाभाविक रूप से सेल्फ़ी लेने में सक्षम नहीं है, इसलिए उन्हें अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए किसी अन्य व्यक्ति पर निर्भर रहना पड़ता है. सुधीर जायसवाल भी दृष्टिहीन शिक्षक हैं. जब हमने उनसे बात की तो उन्होंने बताया कि “देखिए ऐसा प्रतीत हो रहा है कि विभाग हमारा मज़ाक बना रही है. हमें सेल्फ़ी लेकर भेजने बोला जाता है अब आप बताए कि एक दृष्टिहीन कैसे सेल्फ़ी लेगा. हमें कुछ भी नहीं दिखता है. फोटो लेंगे तो क्या पता उसमें क्या हो. हम रोज़ाना स्कूल जाते हैं लेकिन इस वजह से अटेंडेंस छूट रहा है यहां तक कि मैं वक्त से पहले स्कूल आ जाता हूं, लेकिन सेल्फ़ी के लिए दूसरे पर निर्भर रहता हूं जब दूसरे हमारा सेल्फ़ी लेते हैं तो लेट हो जाता है. क्या ये मेरी गलती है. सरकार जल्द से जल्द इस पर संज्ञान ले.” 

दृष्टिहीन छात्र

सेल्फ़ी ही नहीं ले पाते शिक्षक

सेल्फ़ी अपलोड करने में कठिनाई के कारण, कई बार उनकी उपस्थिति ऑनलाइन दर्ज नहीं हो पाती, जिससे उनकी गैरहाजिरी दर्ज होती है. परिणामस्वरूप, उनके वेतन और अन्य सुविधाओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है. यह समस्या न केवल शिक्षकों के लिए मानसिक और व्यावसायिक तनाव का कारण बन रही है, बल्कि शिक्षा व्यवस्था पर भी प्रश्न खड़े करती है, जहां तकनीकी समस्याओं के चलते सक्षम और ज़िम्मेदार शिक्षक भी गैरहाज़िर दिखाए जा रहे हैं. 

मधेपुरा में कार्यरत गौतम दृष्टिहीन शिक्षक हैं. जब हमने उनसे बात की तो उन्होंने बताया कि “हमलोगों को काफ़ी ज़्यादा समस्या हो रही है. मैं हमेशा स्कूल आता हूं बच्चों को पढ़ाने के लिए लेकिन सेल्फ़ी के वजह से अटेंडेंस नहीं बन पाता है. ऐप में लोकेशन सेल्फ़ी ये सारी चीज़ें करनी होती है और ये सब हम करने में असक्षम हैं. अटेंडेंस जब नहीं बनेगा तो हम लोगों का वेतन भी कट कर मिलेगा जबकि हम हमेशा स्कूल आते हैं."

यह मामला उन शिक्षकों के लिए और भी जटिल हो जाता है जो हर दिन बच्चों को समर्पित भाव से पढ़ाते हैं, लेकिन तकनीकी चुनौतियों के कारण उनकी उपस्थिति दर्ज नहीं हो पाती. इस स्थिति में उन्हें बार-बार दूसरों की मदद लेनी पड़ती है, जो हमेशा संभव नहीं हो पाता. ऐसे में दिव्यांग शिक्षकों के लिए विशेष व्यवस्थाओं की आवश्यकता है, ताकि उनकी उपस्थिति सहज और सही तरीके से दर्ज की जा सके और उनके अधिकारों का हनन ना हो.

राजेश आगे बताते हैं कि “पूरा मोबाइल वॉइस कंट्रोल से चलता है, पर शिक्षा विभाग का जो ऐप है जिससे हम सेल्फ़ी लेते हैं वो वॉइस कंट्रोल नहीं करता है. जिसके कारण हमारा अटेंडेंस नहीं बन पाता है. विभाग द्वारा जो ऐप बनाया गया है वो खुद ठीक तरह से काम नहीं करता है. हम सरकार से मांग करते हैं कि इसे दृष्टिहीनों के लिए सुलभ बनाना चाहिए.” 

दृष्टिहीन शिक्षक

क्या है शिक्षा विभाग द्वारा जारी निर्देश

शिक्षा विभाग के निर्देश के मुताबिक अक्टूबर से यदि शिक्षक ऑनलाइन हाज़िरी नहीं बनाते हैं, तो उनको वेतन नहीं दिया जाएगा. हालांकि शिक्षा विभाग ने निर्देश दिया कि जिन शिक्षकों का ऑनलाइन हाज़िरी नहीं बनती है, उनकी हाज़िरी स्कूल के प्रधान शिक्षक बनाएंगे. लेकिन यह हाज़िरी विशेष परिस्थितियों में होगी. ऐसे में दिव्यांग शिक्षकों की हर दिन हाज़िरी बनाने के लिए भी परिवार के सदस्य या फिर शिक्षक और छात्र का सहयोग लेना होता है. 

नेटवर्क में दिक्कत की वजह से हाज़िरी नहीं

बिहार में 13 हज़ार से अधिक शिक्षकों की अभी ऑनलाइन हाज़िरी नहीं बन रही है. शिक्षकों का कहना है कि नेटवर्क में दिक्कत की वजह से हाज़िरी बनाने में परेशानी हो रही है. कई बार स्कूल कैंपस में पहुंचने के बाद मोबाइल में शिक्षा पोर्टल नहीं खुलता है. ऐसे में ऐप स्कूल में उपस्थिति होने के बाद ऑनलाइन अनुपस्थिति ही दिखाता है. 

दिल्ली, मध्य प्रदेश, यूपी सहित आधा दर्जन राज्यों में दिव्यांग शिक्षकों को ऑनलाइन हाज़िरी बनाने में छूट है. वो ऑनलाइन हाज़िरी बनाने से मुक्त हैं. दिव्यांग शिक्षकों को लेकर मध्य प्रदेश लोक शिक्षण के संचालक एके दीक्षित ने सभी जिलों के जिला शिक्षा पदाधिकारी को पत्र लिखा है. जिसमें आंख से दिव्यांग शिक्षकों ऑनलाइन हाज़िरी बनाने से मुक्त रखने का निर्देश दिया गया है.

उसी तरह बिहार सरकार और शिक्षा विभाग को इस समस्या का तुरंत समाधान निकालने की आवश्यकता है, जिससे दिव्यांग शिक्षक अपनी ज़िम्मेदारियों को बिना किसी तकनीकी अड़चन के पूरा कर सकें और उनकी सेवा में कोई रुकावट न आए. विभाग को चाहिए कि  ऐप में वाइस कंट्रोल सिस्टम लाए ताकि दृष्टिहीन शिक्षकों के साथ कोई भेदभाव न हो सके.

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