बिहार में बिजली व्यवस्था की लापरवाही, दर्दनाक हादसों की अनदेखी

बिजली विभाग, प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को यह समझना होगा कि सिर्फ़ मुआवजा और बयानबाजी से बदलाव नहीं आएगा. इन हादसों को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे.

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नाजिश महताब
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बिहार में बिजली व्यवस्था की लापरवाही, दर्दनाक हादसों की अनदेखी

बिहार में बिजली की बदहाल व्यवस्था ने फिर से इंसानी जिंदगियों को लील लिया. पटना जिले के परसा बाजार इलाके में 2 दिसंबर की सुबह एक ट्रांसफॉर्मर फटने से 75 वर्षीय यशोदा देवी की मौत हो गई. इस हादसे में उनकी बेटी सरिता देवी और पोती गीता कुमारी गंभीर रूप से घायल हो गईं. हादसे के बाद स्थानीय लोगों के आक्रोश ने बिजली विभाग की लापरवाही को फिर से उजागर कर दिया.

दर्दनाक हादसा, इंसानी जान की कीमत पर लापरवाही

परसा बाजार के पुनपुन बांध के पास एक पुराना और लोड से दबा हुआ ट्रांसफॉर्मर सोमवार सुबह अचानक फट गया. यशोदा देवी, उनकी बेटी और पोती इस हादसे का शिकार हो गए. यशोदा देवी बुरी तरह से झुलस गई थी , जबकि सरिता देवी 70% झुलस गईं. स्थानीय लोगों का कहना है कि ट्रांसफॉर्मर 63 केवी का था, जबकि उसकी क्षमता से ज्यादा लोड डाला गया था. यह हादसा बिजली विभाग की लापरवाही का जीता-जागता उदाहरण है. लोगों ने 200 केवी के ट्रांसफॉर्मर लगाने की मांग की, लेकिन क्या इससे खोई हुई जिंदगी वापस आ सकती है?

जब हमने वहां से स्थानीय लोगों से बात की तो उन्होंने बताया कि “कई बार ट्रांसफार्मर में आग लगा है तो कभी स्पार्क होता है, लेकिन शिकायत के बावजूद कोई सुधार नहीं होता है. जो ट्रांसफार्मर लगा हुआ है वो काफ़ी पुराना है और कभी रख रखाव भी नहीं होता है. हमारी मांग है की इसे बदला जाए और हर महीने मेंटेनेंस हो."

ट्रांसफर्मर जलने से लोगों की लगातार हो रही है मौत

बिजली विभाग की अनदेखी और सिस्टम की खामियां

बिजली विभाग के कर्मचारियों और अधिकारियों की लापरवाही की वजह से ऐसे हादसे बार-बार हो रहे हैं. पुनपुन के जेई तारकेश्वर कुमार का कहना था कि ट्रांसफॉर्मर में गैस बनने के कारण यह हादसा हुआ. लेकिन यह बयान इस लापरवाही को सही नहीं ठहरा सकता.

घटनास्थल पर मौजूद लोग बताते हैं कि इस ट्रांसफॉर्मर की हालत बहुत ख़राब थी. उसकी समय पर मरम्मत या क्षमता बढ़ाने की कोशिश कभी नहीं की गई. यह हादसा केवल एक परिवार की त्रासदी नहीं है, बल्कि सिस्टम की विफलता की दर्दनाक कहानी है.

जब हमने उनके परिवार वालों से बात कि तो उनका दर्द हमारे सामने छलक गया. रोते हुए उन्होंने कहा कि “हमारा घर टूट गया है. मां की मौत हो गई लेकिन और लोग बुरी तरह झुलस गए. एक बार भी सरकार या किसी ने हमसे बात तक नहीं की कि हम किस तरह इलाज करा रहें हैं. हम गरीब लोग हैं. हमें मुआवजा तक नहीं मिला है. हम सरकार की गुहार करते हैं कि हर ट्रांसफार्मर की मरम्मत हो ताकि किसी और का परिवार का कोई ना मरे और हमें सरकार मुआवजा दे.”

सहरसा में भी दर्दनाक मौत

ऐसा ही एक हादसा 13 नवंबर को सहरसा के सत्तर कटैया प्रखंड के मोकुना गांव में हुआ, जहां एक 30 वर्षीय युवक पप्पू कुमार यादव की मौत ट्रांसफॉर्मर फटने से हो गई. एम्बुलेंस समय पर न पहुंच पाने के कारण पप्पू की जान चली गई. यह सिर्फ़ एक मौत नहीं, बल्कि तीन मासूम बच्चों के सिर से पिता का साया छिन जाना है.

पप्पू की पत्नी और बच्चे अब अनिश्चित भविष्य की ओर देख रहे हैं. यह हादसा दिखाता है कि हमारी बिजली व्यवस्था और स्वास्थ्य सेवाएं कितनी असंवेदनशील और कमजोर हैं. स्थानीय लोगों को कहना था कि “ट्रांसफार्मर की मरम्मत नहीं होती थी. और ये घटना हुई जिसके वजह से बच्चों के सर से छत छीन गया. हमेशा ट्रांसफार्मर में कोई न कोई समस्या ज़रूर होती रहती थी.” 

ट्रांसफार्मर जलने से आक्रोशित लोग
ट्रांसफार्मर जलने से आक्रोशित लोग

 

आक्रोशित लोग, असंवेदनशील प्रशासन

पटना और सहरसा की घटनाओं के बाद मुजफ्फरपुर के स्थानीय लोग बिजली विभाग के खिलाफ प्रदर्शन करने उतरे. 24 दिसंबर को मुजफ्फरपुर के मुहब्बतपुर पंचायत में भी लोग ट्रांसफॉर्मर न लगाए जाने को लेकर आक्रोशित हैं. छह महीने से अंधेरे में जी रहे ये लोग अब धरने की चेतावनी दे रहे हैं. दरअसल ट्रांसफार्मर न होने के कारण लोगों को काफ़ी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

जब हमने प्रदर्शनकारियों से बात की तो उन्होंने बताया कि “ट्रांसफार्मर न होने के कारण हमारे घर पर बिजली नहीं है. हमने कई बार अधिकारियों से बात की लेकिन आज तक कुछ नहीं हुआ. सरकार को चाहिए की सरकार बिजली कंपनी पर संज्ञान ले और समस्या का हल जल्द से जल्द करे वरना हमें मजबूरन अनिश्चितकालीन धरना देना पड़ेगा.”

हादसों से बचाव के लिए क्या जरूरी है?

ऐसे हादसों को रोकने के लिए बिजली व्यवस्था में सुधार करना बेहद जरूरी है. ट्रांसफॉर्मर और बिजली आपूर्ति की नियमित जांच और रखरखाव करना प्राथमिकता होनी चाहिए.

दैनिक निरीक्षण और रखरखाव 

  1. मुख्य टंकी और संरक्षक टंकी के तेल स्तर की जांच.
  2. ब्रीथर में सिलिका जेल का रंग.
  3. तेल रिसाव की स्थिति का निरीक्षण. 

मासिक रखरखाव

  1. सिलिका जेल ब्रीथर और तेल के स्तर की जांच.  
  2. बुशिंग के तेल गेज का निरीक्षण.

वार्षिक और अर्धवार्षिक जांच 

  1. ट्रांसफॉर्मर के तेल की जांच. 
  2. बुखोज़ रिले और शीतलन प्रणाली का निरीक्षण. 
  3. ट्रांसफॉर्मर के अवरोधन प्रतिरोध और ध्रुवीकरण सूचकांक की जांच. 

जनता की भूमिका और जिम्मेदारी

बिजली विभाग की लापरवाही पर सवाल उठाना हर नागरिक का हक है. लेकिन हमें भी अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी. बिजली उपकरणों का सही उपयोग और विभाग को समय पर शिकायतें करना जरूरी है.

एक सवाल जो हर दिल को झकझोरता है

पटना और सहरसा की घटनाएं हमें एक सवाल छोड़ जाती हैं – क्या इंसानी जिंदगियां इतनी सस्ती हो गई हैं कि प्रशासन और बिजली विभाग की लापरवाही इन्हें बार-बार छीन सकती है? 

यशोदा देवी की मौत, पप्पू यादव का परिवार, और गीता कुमारी की आंखों में झलकता डर – ये सिर्फ़ हादसों की कहानियां नहीं हैं. ये हमारी व्यवस्था की असफलता और संवेदनहीनता की तस्वीर हैं. जब हमने बिजली विभाग और साउथ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कपंनी लिमिटेड से बात करने की कोशिश की उन्होंने हमारा कॉल काट दिया. कई बार कॉल किए जाने पर वहां के अधिकारी ने कहा की मैं इस मामले पर बोलने के लिए अधिकृत नहीं हूँ. लेकिन हम लगातार कोशिश करेंगे की समस्या का जल्द से जल्द समाधान हो और ट्रांसफार्मर फटने से किसी की जान न जाए और समय समय पर ट्रांसफार्मर का मरम्मत हो.

बिजली विभाग, प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को यह समझना होगा कि सिर्फ़ मुआवजा और बयानबाजी से बदलाव नहीं आएगा. इन हादसों को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे. अगर ऐसा नहीं हुआ, तो यशोदा देवी और पप्पू यादव जैसे नाम आगे भी लापरवाही की भेंट चढ़ते रहेंगे. अब समय आ गया है कि हम इस व्यवस्था को बदलने के लिए आवाज उठाएं. नहीं तो हमारी खामोशी और उनकी लापरवाही के बीच, जाने कितने घर उजड़ जाएंगे.