किसान क्रेडिट कार्ड: क्यों बिहार के किसानों को इसका लाभ नहीं मिल रहा?

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भारत किसानों का देश है. यहां की लगभग 70 प्रतिशत आबादी खेती पर निर्भर करती है.इतनी बड़ी आबादी के कृषि पर निर्भर होंने के बाद भी यह क्षेत्र आज भी अनिश्चितताओं पर आधारित है. भारत के अधिकांश भूभाग में किसानों को अच्छी फ़सल के लिए मानसून पर निर्भर रहना पड़ता है.

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अगर मानसून अच्छा और समय पर आया तो फ़सल अच्छी, वहीं अगर मानसून समय पर नहीं आया तो किसानों को कई बार खेती में नुकसान भी उठाना पड़ता है. खेती में नुकसान के कारण अधिकांश किसानों के जीवकोपार्जन के लिए पर्याप्त कमाई के लिए यह साधन पर्याप्त नहीं हो पा रहा था. जिसके कारण उनके ऊपर एक बड़ा वित्तीय बोझ बढ़ता जा रहा था.

इसी वित्तीय बोझ को कम करने और किसानों की आर्थिक मदद करने के उद्देश्य से भारत सरकार ने साल 1998 में ‘किसान क्रेडिट कार्ड’ योजना का आरंभ किया था. इस योजना का मुख्य उद्देश्य किसानों को लचीली और सरल प्रक्रियाओं के साथ एक ही स्थान पर पर्याप्त और समय पर ऋण प्रदान करना है. इस योजना के तहत किसानों को बीज, उर्वरक, कीटनाशक, मछली पालन, कुक्कुट पालन, आदि जैसे कृषि कार्यो को करने के लिए ऋण प्रदान किया जाता है.

वर्ष 2004 में इस योजना को किसानों की निवेश ऋण आवश्यकताओं और गैर-कृषि गतिविधियों के लिये भी आगे बढ़ाया गया था. साल2018-19 के बजट में सरकार ने मत्स्य पालक और पशुपालक किसानों को भी इस योजना के तहत मदद करने का प्रावधान बनाया गया.

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जून 2020 तक राष्ट्रव्यापी मत्स्य पालन हेतु किसान क्रेडिट कार्ड के लिए लगभग 25 लाख आवेदन स्वीकृत किए गए हैं. आत्मनिर्भर भारत पैकेज के हिस्से के रूप में सरकार ने एक विशेष सेचुरेशन कैंपेन के माध्यम से 2 लाख करोड़ रुपए के ऋण संवर्द्धन के साथ किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) योजना के तहत 2.5 करोड़ किसानों को लाभ पहुंचाने की घोषणा की थी.

सरकार के सफ़ल प्रयासों के परिणामस्वरूप 1.35 लाख करोड़ रुपए की स्वीकृत ऋण सीमा के साथ किसान क्रेडिट कार्ड के तहत 1.5 करोड़ से अधिक किसानों को कवर करने का एक प्रमुख लक्ष्य हासिल भी कर लिया गया है.

पीएम किसान सम्मान निधि पोर्टल पर मिली जानकारी के अनुसार साल 2020 तक बिहार के 3,138,038 किसानों को ‘किसान क्रेडिट कार्ड’ बनाया जा चुका है. वही पूरे भारत में ‘67,602,109’ किसानों का किसान क्रेडिट कार्ड बनाया जा चुका है.

किसान क्रेडिट कार्ड योजना के लिए आवेदनकरना बहुत आसान है. अगर आप ग्रामीण क्षेत्र में रहते हैं तो आप किसी की ग्रामीण बैंक से इस योजना का लाभ उठा सकते हैं. वहीं शहरी क्षेत्र में रहने वाले किसान किसी भी सरकारी बैंक से इस योजना के लिए आवेदन कर सकते है.

वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले किसानों को समय-समय पर योजनाओं के बारे में जागरूक भी किया जाता है. नदियौना पंचायत के कृषि सलाहकार विक्की कुमार बताते हैं

हम किसानों के बीच जाकर योजनाओं की जानकारी देते हैं. साथ ही योजना के लिए किन-किन दस्तावेजों की आवश्यकता होती है हम उसकी भी जानकारी किसानों को देते हैं. अभी अहियापुर पंचायत में हमने किसान चौपाल में किसान क्रेडिट कार्ड की जानकारी किसानों को दिया था. साथ ही पराली जलाने से क्या नुकसान होता है वह भी बताया गया है. किसान क्रेडिट कार्ड बनवाने के लिए हम किसानों के घर तक फॉर्म पहुंचाते हैं और फिर उसे वापस लाकर बैंक में जमा करते हैं.लेकिन उससे आगे की प्रक्रिया करना बैंक का काम है.

वहीं नदियौना पंचायत के सरगांव गांव के रहने वाले मुकेश सिंह बताते हैं

मेरा किसान क्रेडिट कार्ड नहीं बना है. जबकि मुझे पीएम किसान सम्मान निधि का लाभ मिल रहा है. मेरे गांव के मात्र 25 से 30 लोगों ने आवेदन दिया था. अब उनमे से कितनों को क्रेडिट कार्ड का लाभ मिला मुझे इसकी जानकारी नहीं है. लेकिन पंचायत या ब्लॉक से जो भी किसान सलाहकार आते हैं वो मात्र चिन्हित लोगों का ही काम करते हैं.

किसान क्रेडिट कार्ड के जरिए किसानों को कम ब्याज़ दर पर 5 साल तक के लिए लोन दिया जाता है. सरकार किसानों को कुल 3 लाख रुपये तक का लोन इस कार्ड पर दे सकती है जिसमें 1.60 लाख रुपये का लोन बिना गारंटी के मिलता है. वहीं 1.60 लाख रुपये से अधिक का लोन किसी गारंटी पर मिल सकता है.

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लेकिन किसान क्रेडिट कार्ड पर मिलने वाली राशि से किसान नेता अशोक पंडित सिंह सहमत नहीं है. उनका कहना है

महंगाई जिस रफ़्तार से बढ़ रहा है उसमे  इतने कम राशि में किसानों को भला क्या लाभ मिलेगा. बीज, खाद, कीटनाशक से लेकर सिंचाई सब भी महंगा हो गया है. उसके बाद भी फ़सल अच्छा होगा या नहीं इसकी कोई गारंटी(निश्चितता) नहीं है. तब बताइए किसान क्या करेगा? उसपर भी इस कार्ड के तहत खेत में उपयोग होने वाले यंत्र जैसे ट्रक्टर, मिनी हार्वेस्टर आदि को खरीदने के लिए लोन नहीं दिया जाता है.

ब्याज दर में मिलती है छूट

आमतौर पर किसी भी लोन को लेने पर ग्राहकों को 9 से 10 प्रतिशत तक का ब्याज दर देना पड़ता है. वहीं किसान क्रेडिट कार्ड पर बैंक सिर्फ 7 प्रतिशत के ब्याज दर पर लोन देती है. अगर किसान पहला लोन समय पर 5 साल की अवधि में चुकाता है तो उसे 2 प्रतिशत की छूट मिलती है. वहीं 3 लाख रुपए तक के अल्पकालिक फ़सल ऋण के लिये 2 प्रतिशतकी ब्याज सहायता योजना लागू की है.इसके अतिरिक्त भारत सरकार किसानों को 2 प्रतिशत की ब्याज़ सहायता और 3 प्रतिशतका त्वरित पुनर्भुगतान प्रोत्त्साहन भी प्रदान करती है.

किसान क्रेडिट कार्ड के लिए वैसे किसान भी पात्र है जो इस राशि से खेती-किसानी, मछलीपालन और पशुपालन से जुड़ा कोई भी काम शुरू करना चाहते हैं. न्यूनतम उम्र 18 साल और अधिकतम 75 साल का वैसा कोई भी किसान जो अपनी या किसी और की जमीन पर भी खेती करता हो वो भी इसका लाभ ले सकता है.वहीं वैसे किसान जिनकी उम्र 60 साल से अधिक है,उन्हें एक को-अप्लीकेंट(सह-आवेदनकर्ता) भी लगेगा, जिसकी उम्र 60 से कम हो.

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