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क्या है राम नाथ गोयनका और बिहार का रिश्ता?           

कौन है राम नाथ गोयनका ? 

रामनाथ गोयनका एक अखबार के संस्थापक थे, उन्होंने 1932 में THE INDIAN EXPRESS की स्थापना की थी. इमरजेंसी, रामनाथ गोयनका के पत्रकारिता जीवन का स्वर्णिम दौर था.

वर्ष 1975 के जून महीने में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा देश में आपातकाल लगाया गया. उस वक़्त रामनाथ गोयनका (आरएनजी) इंडियन एक्स्प्रेस अख़बार के संपादक थे. उन्होंने सत्ता के सामने सर नहीं झुकाया.

वह लगातार प्रेस की आज़ादी के लिए लड़ते रहे. 18 अगस्त 1976  को सरकार ने अखबारों पर सेंसरशिप लागू कर दी. समाचार पत्रों के संपादकों को कहा गया कि अख़बार छपने से पहले सरकार से इसे चेक करा लें, उसके बाद ही अख़बार छापें.

तब गोयनका ने प्रतिरोध में संपादकीय के स्थान को खाली छोड़ कर अख़बार निकाला. प्रेस की आज़ादी पर हमले का ये अनोखा जवाब था. हालांकि कि 30 दिसंबर 1976 को सरकार ने प्री-सेंसरशिप के आदेश को वापस ले लिया.

क्या है रामनाथ गोयनका का बिहार कनेक्शन

शायद बहुत कम लोगों को मालूम हो कि रामनाथ गोयनका का जन्म बिहार में हुआ. 1 अप्रैल 1904 को दरभंगा में इनका जन्म एक मारवाड़ी परिवार में हुआ. रामनाथ गोयनका के जीवनी के लेखक ‘बी जी वर्गीस’ के अनुसार इनकी आरंभिक शिक्षा दरभंगा के स्थानीय स्कूल और नेपाल के जनकपुर में हुई.

उसके बाद वह कलकत्ता चले गए. बाद के दिनों में गोयनका ने पत्रकारिता जगत में एक ऐसी लंबी लकीर खींची जिसकी मिसाल पूरे भारत में दी जाती है. प्रत्येक वर्ष पत्रकारिता में उत्कृष्ट कार्य के लिए रामनाथ गोयनका पुरस्कार दिया जाता है. रामनाथ गोयनका की बायोग्राफी, ‘वारियर ऑफ़ फोर्थ इसटेट’ में बी जी वर्गीज ने आरएनजी और बिहार के बारे में विस्तार से लिखा है. 5 अक्टूबर 1991 को ‘आरएनजी’ की मृत्यु मुंबई में हो गई.

रामनाथ गोयनका
ये गोयनका के पोते का ट्वीट है

व्यवसायी घराने में पैदा हुए गोयनका शुरू से ही व्यवसाय की तरफ आकर्षित रहे. इसी सिलसिले में पहले कलकत्ता और फिर वह मद्रास चले गए. 1926 में ब्रिटिश प्रांत, मद्रास से ‘मद्रास लेजिस्लेटिव कौंसिल’ के  लिए मनोनीत हुए.  उन्होंने अपने पत्रकारिता कैरियर की शुरुआत मद्रास से ही किया. 1932 में उन्होंने द इंडियन एक्सप्रेस की स्थापना की.

वर्ष 1941 में, उन्हें ‘राष्ट्रीय समाचार पत्र संपादकों’ के सम्मेलन का अध्यक्ष चुना गया. वह भारत के संविधान सभा के सदस्य भी रहे. पांचवीं लोक सभा( 1971-77) के सदस्य भी रहे. मध्यप्रदेश के विदिशा लोक सभा क्षेत्र से चुन कर गए थे.उस दौर के राजनीतिक विश्लेषकों में से कुछ इनके कार्यशैली के आलोचक भी रहे.

सत्ता,पत्रकारिता, रामनाथ गोयनका और उनकी विरासत

रामनाथ गोयनका की सत्ताधारी और विपक्षी दलों के नेताओं से काफ़ी नजदीकियां रहीं. परंतु ये नजदीकियां पेशागत कामों पर  कभी प्रभाव नहीं डाला. रामनाथ गोयनका के साथ काम करने वाले कुछ पत्रकारों ने भारतीय पत्रकारिता जगत में खूब नाम कमाया.

इनमें कुलदीप नैय्यर, प्रभात जोशी, सईद नक़वी जैसे नाम शामिल हैं. इनकी गिनती भारत के अच्छे संपादकों में की गई.  प्रभाष जोशी,  इंडियन एक्सप्रेस समूह के अखबार ‘जनसत्ता’ के  लम्बें समय तक संपादक रहें. जोशी के सम्पादकीय काल में जनसत्ता ने हिंदी पत्रकारिता में एक उच्च मुक़ाम हासिल  किया. हिंदी पत्रकारिता में एक मानक स्थापित किया. 

इंडियन एक्सप्रेस के वर्तमान मुख्य संपादक राज कमल झा के भाषण इन दिनों खूब वायरल हुए. झा ने अपने भाषण में प्रेस की स्वतंत्रता और वर्तमान सरकार के कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठाए. इसी संदर्भ में  कई विश्लेषकों ने रामनाथ गोयनका को याद किया जब उन्होंने सत्ता के निरंकुश दौर(आपातकाल) में उत्कृष्ट पत्रकारिता की. प्रेस की आज़ादी के लिए हर संभव प्रयास किए.

क्या है राम नाथ गोयनका अवार्ड?

रामनाथ गोयनका

रामनाथ गोयनका एक्सीलेंस इन जर्नलिज़्म अवॉर्ड उत्कृष्ट कार्य करने वाले पत्रकारों को यह अवार्ड दिया जाता है. वर्ष 2006 से इंडियन एक्सप्रेस समूह द्वारा इस अवार्ड की शुरुआत की गई. कोरोना महामारी के बाद तीन सालों बाद यह अवार्ड 2023 में दिया गया. मार्च के अंतिम सप्ताह हुए इस समारोह में  मुख्य  अतिथि भारत के सीजीआई डी वाई चंद्रचूड़ थे.

प्रेस की स्वतंत्रता पर दिए गए इनके भाषण काफी चर्चा में रहें. कुल 43 पत्रकारों को पुरिस्कृत किया गया था.

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