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मकर संक्रांति: इंसानों के लिए त्यौहार लेकिन पक्षियों के लिए एक श्राप

मकर संक्रांति में पतंग उड़ाने की परंपरा काफी पुरानी है. लेकिन इसकी वजह से हर साल कई पक्षी घायल होते हैं.

मकर संक्रांति का पर्व कई मायनों में बेहद खास है. बिहार समेत भारत के कई हिस्सों में इस पर्व को अलग-अलग रूपों में मनाया जाता है. बिहार में मकर संक्रांति के दिन दही-जुड़ा और कहीं खिचड़ी खाने का रिवाज है.

इसके अलावा कई स्थानों पर पतंग भी उड़ाई जाती है. पतंगों का उड़ाया जाना जहां एक और लोगों के उत्साह और उल्लास का कारण बनता है तो वहीं दूसरी ओर यह पक्षियों के लिए एक श्राप. पतंग की रस्सियों में फंसकर कई पक्षी घायल हो जाते हैं. कई पक्षियों की तो इस पतंगबाजी में जान भी चली जाती है.

मकर संक्रांति का पावन पर्व आसमान में लहराती-बलखाती हजारों पतंगों की एक खूबसूरत तस्वीर बनाता है तो वहीं पक्षियों के बीच इस दिन एक अजीब किस्म की मायूसी छा जाती है. पक्षियों के कटे, क्षत-विक्षत पंख और मृत शरीर मनुष्यों के उत्साह की भेंट चढ़ जाते हैं.

मांझी या नायलॉन की रस्सी से होता है पक्षियों को ज्यादा नुकसान

मकर संक्रांति के दिन आम तौर पर लोग ना केवल पतंग उड़ाते हैं बल्कि पतंगबाजी भी करते हैं. पतंगबाजी से अभिप्राय है आपस में पतंगों के लड़ाने का खेल. इस खेल में कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति की पतंग को काटता है. इसके लिए पतंग की डोर काफी मजबूत और धारदार बनाई जाती है. लोग शीशे का इस्तेमाल करके पतंग के धागे को मांझते हैं ताकि उनकी पतंग बाकिं पतंगों को काट सके. कुछ लोग चाइनीज निर्मित नायलॉन रस्सी का भी इस्तेमाल करते हैं.

इस प्रकार की रस्सियां आमतौर पर सामान्य धागे से काफी मजबूत होती हैं. यह इतनी मजबूत होती है कि इनकी चपेट में आने से पक्षियों के पंख पूरी तरह से क्षत-विक्षत हो जाते हैं और कई बार उनकी मृत्यु भी हो जाती है.

लेकिन ऐसा भी नहीं है कि सामान्य धागे का इस्तेमाल करने से पंखों को नुकसान नहीं पहुंचता. कई बार पक्षी इसमें उलझ कर फंस जाते हैं. लेकिन सामान्य धागे का इस्तेमाल करने से पक्षियों के पंख नहीं कटते.

मकर संक्रांति पर पक्षियों को पहुंचने वाली क्षति के ऊपर हमने पक्षियों के विशेषज्ञ और कलमकार फाउंडेशन के सुमन सौरव जी से हमने बात की. उन्होंने हमें बताया कि

मकर संक्रांति के दौरान जिस मांझे का इस्तेमाल किया जाता है वह पतला होता है और दिखता नहीं है. ऐसे में जब कोई पक्षी फ्लाइट करता है या अपने पंख को फैलाता है तो वह मांझा हुआ धागा उसके पैर में फंस जाता है और वह पक्षी घायल हो जाता है. 14 जनवरी या इसके आसपास घायल पक्षियों का अनुपात काफी बढ़ जाता है. यह एक बड़ी समस्या है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद एक दिन अहमदाबाद के एक पतंगोंत्सव में पतंग उड़ा रहे थे. मोदी जैसे बड़े नेता जिन्हें लोग कॉपी भी करते हैं. उन्हें इस तरह की चीजों से बचना चाहिए.

क्या होता है चाइनीज मांझा

इस विषय पर सुमन सौरभ जी ने हमें बताया कि

चाइनीज मांझा दरअसल पतंगबाजी के लिए इस्तेमाल किया जाता है. किसी सामान्य धागे के ऊपर शीशे के छोटे-छोटे टुकड़े का एक लेयर लगा होता है. यह इतना शार्प होता है कि पक्षियों के पंख में जरा-सा टकराने पर ही उनका घायल होना तय है.

बिहार में किस तरह के पक्षियों को होता है अधिक नुकसान

सुमन सौरभ जी हमें बताते हैं कि

जिस क्षेत्र में जो पक्षी ज्यादा उपलब्ध है, सबसे ज्यादा हानि उन्हीं पक्षियों को होती है. खासकर बिहार में कौआ, कबूतर इन पक्षियों को ज्यादा खतरा रहता है. दिल्ली जैसे शहरों में मैना आदि पक्षियों को पतंगबाजी से ज्यादा खतरा होता है.

इन उपायों से बच सकती है पक्षियों की जान

कुछ उपाय हैं जिनसे पतंगबाजी करने से पक्षियों की होने वाली मौत को रोका जा सकता है. पतंगों को ज्यादा ऊंचा नहीं उड़ाना चाहिए. कोशिश करें सुबह और शाम को पतंगबाजी ना करें क्योंकि यह पक्षियों का के आने जाने का समय होता है. इस वक्त ने उन्हें सबसे ज्यादा खतरा होता है इसलिए टाइमिंग भी बहुत मायने रखती है.

घायल पक्षी के दिख जाने पर करें ये उपाय

यदि आपके आस-पड़ोस में कोई पक्षी घायल पड़ा हुआ दिख जाए तो इन उपायों से आप उसे ठीक कर सकते हैं. इन उपायों को जानने के लिए हमने सुमन सौरभ जी से बात की. उन्होंने हमें बताया कि

इसमें सबसे पहले आपको हैंडलिंग ऑफ बर्ड की जानकारी होनी चाहिए. कुछ लोग पक्षियों को पंख पकड़ के उठा लेते हैं. कुछ लोग उनके पांव पकड़कर उठा लेते हैं. ऐसे में आप उनकी मदद नहीं कर रहे हैं बल्कि उन्हें और नुकसान पहुंचा रहे हैं. अगर घायल पड़े हुए पक्षी को उठाना है तो उसे किसी हार्ड चीज से या पलाई का इस्तेमाल करके उठाएं.  इसके बाद उसे जरूरी प्राथमिक उपचार दें जिससे उसे राहत मिल सके.

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