पटना की गलियों में मैनहोल खुला, कई लोगों का हो चुका है एक्सीडेंट

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पल्लवी कुमारी
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पटना की गलियों में मैनहोल खुला, कई लोगों का हो चुका है एक्सीडेंट
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खुले मैनहोल राहगीरों और बाइक सवार लोगों के लिए जानलेवा बन सकते हैं. इसी समस्या को देखते हुए पटना नगर निगम क्षेत्र के सभी 75 वार्डों के खुले मैनहोल में ढक्कन लगा रहा है. इसके लिए सभी वार्ड को 19 जोन में बांटकर काम पूरा करवाने की बात कही गई थी. 

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मैनहोल में ढक्कन लगाने की शुरुआत जून महीने में ही की गयी थी. लेकिन तीन महीने बीतने के बाद भी आज कई मोहल्लों के मैनहोल बिना ढक्कन के हैं. जिससे उस रास्ते से गुज़रने वाले लोगों के दुर्घटना ग्रस्त होने की आशंका है.

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पिछले वर्ष नगर निगम ने निजी एजेंसी की सहायता से शहर में खुले मैनहोल और कैटपीट का सर्वे करवाया था. उस सर्वे में शहर के सभी 75 वार्डों के 6,320 मैनहोल के ढक्कन टूटे और खुले पाए गये थे. वहीं 22 हज़ार के करीब ऐसे मैनहोल के ढक्कन थे जो वाहनों के भार से कभी भी टूट या क्षतिग्रस्त हो सकते थे.

हादसों से बचाव के लिए स्थानीय लोग अपने स्तर से सुरक्षा के उपाय करते हैं. लेकिन यह उपाय हादसों से बचाव के लिए नाकाफ़ी हैं.   

स्टेशन रोड पर सालों से ख़राब है मैनहोल का ढक्कन

न्यू स्टेशन रोड से रोज़ाना हज़ारों गाड़िया और लोग गुज़रते हैं. इन गाड़ियों में कार, बस, ऑटो, बाइक और ई-रिक्शा शामिल हैं. लेकिन दुर्घटना ग्रस्त होने का सबसे ज़्यादा ख़तरा बाइक और ई-रिक्शा को रहता है. चूंकि ये जब अचानक गड्ढे या ऐसी किसी जगह से बचने का प्रयास करते हैं तो उनके अनियंत्रित होने की संभावना ज़्यादा रहती है.

चिरैयातांड़ पुल से स्टेशन रोड के तरफ़ उतरने वाले रास्ते में दो जगहों पर मैनहोल के ढक्कन जर्जर स्थिति में हैं. यह ढक्कन पिछले कई सालों से ख़राब हैं. मैनहोल के ऊपर लगा ढक्कन किनारे से टूट हुआ. जिसे जुगाड़ के साथ लोगों ने किसी तरह टिकाया हुआ है. बरसात के समय इस गड्ढे में पानी जमा हो जाता है.

चूंकि यह भीड़-भाड़ वाला इलाका है. यहां हज़ारों की संख्या में पब्लिक ट्रांसपोर्ट और दुकानों के माल ले जाने ठेले और ई रिक्शा गुज़रते हैं. ऐसे में उन्हें काफ़ी परेशानी उठानी पड़ती है.

मैनहोल की जर्जर हालत को ठीक करने के लिए निगम की क्या व्यवस्था है. इस पर जानकारी देते हुए पटना नगर निगम की पीआरओ श्वेता भास्कर बताती हैं “अभी हाल ही में हमारे सारे इंजीनियर्स की टीम पैदल घूमकर सभी मैनहोल का निरीक्षण किया है. इस निरीक्षण में मैनहोल की जो स्थिति सामने आई उसके अनुसार टेंडर निकाला गया है. निगम ने एजेंसी हर क्षेत्र के प्रत्येक जर्जर मैनहोल के ढक्कन को ठीक करने का टेंडर दिया है.”  

वहीं निगम पीआरओ का कहना है कि लोग जर्जर या खुले मैनहोल की जानकारी निगम के हेल्पलाइन नंबर 155304 पर कॉल करके दे सकते हैं. जानकारी के बाद उसे जल्द ठीक करने का प्रयास किया जाएगा.      

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भुपत्तिपुर न्यू आदर्श विहार कॉलोनी में दो सालों से खुला है मैनहोल

मैनहोल के खुले ढक्कन के कारण पिछले दो सालों से भुपत्तिनगर न्यू आदर्श विहार कॉलोनी के लोग परेशान हैं. लोगों का कहना है वार्ड पार्षद से समस्या बताने के बाद भी इसे ठीक नहीं कराया जा रहा है. खुले मैनहोल के कारण स्कूल जाने वाले छोटे बच्चों के उसमें गिरने का डर बना रहता है.  

न्यू आदर्श विहार के वार्ड संख्या 30 के रहने वाले धर्मेंद्र जी बताते हैं “यहां पिछले 2 सालों से मैनहोल खुला है. जिसके वजह से आए दिन एक्सीडेंट और दुर्घटना होती रहती है. जब बारिश का मौसम आता है तो पानी भर जाता है. जिसकी वजह से समस्या बढ़ जाती है.”

इसी कॉलोनी में पंचर की दुकान पर काम करने वाले एक व्यक्ति बताते हैं कि “मैनहोल पिछले कई सालों से खुला है जिसके वजह से आने-जाने वाले लोगों को काफी परेशानी होती है. साथ ही छोटे स्कूली बच्चों को इस रास्ते से अकेले स्कूल भेजने में डर लगता है. अनजान बाइक चालक अक्सर गिर जाते हैं और उनका हाथ पैर जख्मी हो जाता है.”  

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वार्ड काउंसलर पर अनदेखी का आरोप

लोगों ने वार्ड काउंसलर पर समस्या की अनदेखी का आरोप लगाया है. उनका कहना है वार्ड काउंसलर समस्या के समाधान के लिए काम नहीं कर रहे हैं.  

मां तारा जनरल स्टोर की संचालक बताती हैं “मैनहोल खुले होने की वजह से मेरा ग्राहक प्रभावित होता हैं. पिछले 10 सालों से यहां के वार्ड काउंसलर ने इस पर काम नहीं किया है. पटना नगर निगम भी इसको लेकर कोई कार्य नहीं कर रही है. जब बारिश होती है तो रोड पर पानी जम जाता है और मैनहोल पता भी नहीं चलता है. जिसकी वजह से आम लोगों को काफी समस्या होता है.”

डेमोक्रेटिक चरखा ने वार्ड 30 की वार्ड पार्षद कावेरी सिंह से संपर्क करने का प्रयास किया. लेकिन कई फोन कॉल के बाद भी उन्होंने हमारे कॉल का जवाब नहीं दिया.

खुले मैनहोल पर ढक्कन लगाने, साथ ही जर्जर ढक्कन को ठीक कराने के लिए निगम ने पिछले बजट में 5 करोड़ रूपए आवंटित किए थे. वहीं प्रत्येक अंचल को 3 लाख रूपए दिए थे. हालांकि मेयर सीता साहू ने भी यह माना था की इतनी बड़ी संख्या में जर्जर और खुले मैनहोल को ढकने के लिए इतना बजट काफ़ी नहीं है.