मौलाना आज़ाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी (MANNU) हैदराबाद के सैकड़ों छात्रों की छात्रवृत्ति (Scholarship) 6 जनवरी को रोक दिया गया है. इस यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले ज्यादातर छात्र गरीब अल्पसंख्यक परिवार से आते हैं और पूरी तरह से सरकार द्वारा दिए जाने वाले छात्रवृति पर निर्भर हैं. पूरे यूनिवर्सिटी की छात्रवृति रोके जाने से विभिन्न कोर्सों में पढ़ रहे छात्रों को काफ़ी परेशानी उठानी पड़ रही है. लेकिन सबसे अधिक परेशानी अल्पसंख्यक वर्ग के छात्रों को हो रही है.
दरअसल राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल (NSP) के माध्यम से सभी तरह की छात्रवृत्ति के लिए एक ही स्थान पर आवेदन किया जाता है. इसी पोर्टल पर मौलाना आज़ाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी (MAANU) के छात्रों ने भी आवेदन किया था. आवेदन की अंतिम तिथि 23 दिसंबर 2022 थी.
MAANU यूनिवर्सिटी के 1600 से ज्यादा छात्रों ने एनएसपी (NSP) पोर्टल के माध्यम से छात्रवृत्ति के लिए आवेदन दिया. पोर्टल के माध्यम से छात्रों को आवेदन स्वीकृत होने का मैसेज भी मिल गया. छात्र अब छात्रवृत्ति राशि खाते में आने का इंतजार कर रहे थे. लेकिन 6 जनवरी 2023 को जब यूनिवर्सिटी के किसी छात्र ने ‘स्कॉलरशिप स्टेटस’ चेक किया तब पोर्टल पर पूरे यूनिवर्सिटी का स्कॉलरशिप रोके जाने की जानकारी मिली.
स्कॉलरशिप रोके जाने से परेशान छात्र अली अबूबक्र बताते हैं
मेरा घर बिहार गया में हैं. बिहार से दूर छात्रवृत्ति के भरोसे ही यहां पढ़ने आया हूं. लेकिन इस वर्ष मुझे अभी तक छात्रवृत्ति नहीं मिली है. मुझे ही नहीं बल्कि पूरे यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे बच्चों को स्कॉलरशिप नहीं मिलेगी ऐसा पोर्टल पर दिखाया जा रहा है. छात्रवृत्ति नहीं मिली तो मुझे आगे पढ़ाई पूरा करने में बहुत परेशानी होगी.
अली अबूबक्र बीटेक तीसरे वर्ष के छात्र हैं. उनके पिता गया में बाइक मैकेनिक की दुकान चलाते हैं. अबूबक्र कहते हैं
मुझे 25 हजार की राशि स्कॉलरशिप के तहत मिलती है. जिससे मैं कॉलेज फीस जमा करता हूं लेकिन इस साल राशि नहीं मिली है तो फीस जमा करने में बहुत समस्या आने वाली हैं. मेरे अलावा मेरी बहन भी इस यूनिवर्सिटी में पढ़ती है और उसे भी स्कॉलरशिप नहीं मिलेगी. ऐसे में दो बच्चों की फीस देना मेरे परिवार के लिए आसान नहीं है.
अबूबक्र की बहन शफ़क अंजुम MAANU में बीएससी तीसरे वर्ष की छात्रा हैं. शफ़क को हर वर्ष 15 हजार की राशि स्कालरशिप के तहत मिलती थी.
क्यों रोकी गई स्कॉलरशिप?
ये मामला दरसल बिहार के सारण जिले के नोडल अधिकारी के अनुशंसा किए जाने के बाद आया है. जिसमें उन्होंने यूनिवर्सिटी के तरफ से बी.वोक (B.Voc) कोर्स के छात्रों द्वारा फॉर्म भरने की जानकारी दी है. मंत्रालय के वेबसाइट पर इस कोर्स के छात्रों को छात्रवृत्ति दिए जाने का कोई प्रावधान नहीं हैं. यही वजह है कि यूनिवर्सिटी को सस्पेंड किया गया है.
लेकिन छात्रवृति रोके जाने को लेकर यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन का कहना है कि तकनीकी ख़राबी के कारण यूनिवर्सिटी को सूची से निलंबित किया गया है.
डीएसडब्लू (DSW) प्रोफेसर सैय्यद अलीम अशरफ जायसी ने डेमोक्रेटिक चरखा को बताया कि
हमने छात्रों को परेशान नहीं होने को कहा है. वीसी सर पिछले दिनों मिनिस्ट्री ऑफिस भी गए हैं. वहां से कहा गया है जल्द समस्या को दूर किया जाएगा. और ये जो समस्या हुई है उसमें यूनिवर्सिटी का कोई दोष नहीं है. बल्कि बिहार के सारण जिले के नोडल ऑफिसर की गलती के कारण यह हुआ है.
दो चरण में होता हैं कागजों का सत्यापन
राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल (NSP) पर आवेदन करने के बाद छात्रों द्वारा दी गई जानकारी और सर्टिफिकेट की जांच दो चरणो में की जाती है. पहला चरण विश्विद्यालय स्तर का होता है. विश्विद्यालय दवारा छात्रों को वेरीफाई (Verify) करने के बाद जिला स्तर जांच के लिए भेजा जाता है. जिला स्तर पर अधिकारी कागजों की जांच करने के बाद उसे मिनिस्ट्री में भेजते हैं. इसके बाद ही छात्रों के खाते में छात्रवृत्ति की राशि पहुंचती है.
MAANU से बीएड कर रहीं नर्गिस फ़ातिमा यूपी के मऊ जिले के रहने वाली हैं और छात्रवृत्ति नहीं मिलने से परेशान हैं. नर्गिस कहतीं हैं
एक छात्र या किसी एक अधिकारी की गलती के कारण पूरे यूनिवर्सिटी की स्कॉलरशिप रोकना बहुत गलत है. जबकि मैंने सारे क्रेटेरिया के साथ फॉर्म भरा था. मैं बीएड लास्ट इयर (अंतिम वर्ष) में हूं. अगर छात्रवृत्ति नहीं मिली तो मुझे आगे की पढ़ाई पूरी करने में बहुत परेशानी होगी.
मौलाना आज़ाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी हैदराबाद के छात्र संघ के पूर्व उपाध्यक्ष मो० अबुहमजा का कहना है कि
यूनिवर्सिटी में गरीब परिवार के बच्चे पढ़ाई करने के लिए आते हैं जो पूरी तरह से इसी छात्रवृति पर आश्रित रहते हैं. छात्रवृति नहीं मिलने से छात्रों का पढ़ाई जारी रख पाना मुश्किल है. जबकि सरकार का नारा है 'सब पढ़े सब बढ़े' क्या ऐसे में बच्चे आगे बढ़ेंगे और पढ़ेंगे?
अबु हमजा कहते हैं
12 जनवरी को हमने यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन के सामने प्रोटेस्ट भी किया था. यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर सैय्यद ऐनूल हसन, रजिस्ट्रार प्रोफेसर इस्तियाक अहमद व डीएसडब्लू के डीन प्रोफेसर सैय्यद अलीम अशरफ जायसी मौके पर पहुंचे थे. उन्होंने कहा था इस मामले की जानकारी अल्संख्यक मंत्रालय को दे दिया गया है. जल्द छात्रवृत्ति बहाल कर दी जायेगी. उन्होंने यह भी कहा था कि मंत्रालय अगर काम नहीं करती है तो मैं खुद दिल्ली जाकर अल्पसंख्यक मामलों के सेक्रेटरी से मिलकर छात्रवृत्ति मिलने में आ रही समस्याओं का समाधान कराऊंगा.
यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन ने जो समय लिया था उसे बीते भी महीनों हो गए हैं लेकिन अभी तक समस्या का हल नहीं हुआ है.
यूनिवर्सिटी के छात्रों ने सूचना के अधिकार (RTI) के माध्यम से छात्रवृत्ति नहीं मिलने का जवाब मांगा. जिसके जवाब ने कार्यालय ने उत्तर दिया कि कार्यालय छात्रों द्वारा उठाए गए मुद्दे से अवगत है. जिला नोडल अधिकारी, सारण, बिहार द्वारा MANUU के आवेदक को फर्जी बताकर वापस कर दिया गया, जिसके कारण संस्थान नोडल अधिकारी ने संस्थान के सभी आवेदन को वापस भेज दिया है. हालांकि, इसके आलावा और कोई अपडेट उपलब्ध नहीं है.
‘स्कॉलरशिप आएगी या नहीं आएगी’ इस आशंका में छात्र परेशान हैं. स्कालरशिप नहीं आने से छात्रों को आगे की पढ़ाई मुश्किल लग रही है. किसी एक छात्र या अधिकारी की गलती के कारण पूरे यूनिवर्सिटी की छात्रवृत्ति रोकना कहीं से भी जायज नहीं है.