गोपालगंज में बाढ़ से कई लोग सड़क पर, सरकार और मीडिया बेफ़िक्र

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गोपालगंज में बाढ़ से कई लोग सड़क पर, सरकार और मीडिया बेफ़िक्र

अनिल यादव अपने घर में सालों के बाद गोपालगंज पहुंचे थे. वो बंगलौर में प्लम्बर का काम करते हैं. किसी तरह मेहनत करने के बाद उन्होंने अपने लिए दो कमरे का एक मकान बनाया था. अचानक गंडक नदी में आई बाढ़ की वजह से सरकारी आदेश आया और अनिल यादव को अपने परिवार के अन्य सदस्यों के साथ घर छोड़ना पड़ा. नेपाल में लगातार हो रहे बारिश के कारण गंडक नदी का जलस्तर बढ़ा हुआ था. पानी के बढ़ते दबाव के कारण सोमवार को गंडक नदी पर बना रिंग बांध टूट गया है जिसके कारण आस पास के गांवों में बाढ़ का पानी अंदर आने लगा है.

पश्चिम चंपारण ठकराहा प्रखंड के शिवपुर मुसहरी हरखटोला में गंडक नदी का कटाव बेकाबू हो गया है. वर्तमान में कटाव का दायरा काफ़ी बढ़ गया है. नदी लगभग तीन से चार सौ मीटर में कटाव कर रही है. बुधवार दोपहर से चौबीस घंटे में लगभग 40 एकड़ जमीन गंडक की धारा में समा चुकी है, इसमें राजेश चौधरी का आशियाना बह गया है. तेरस चौधरी का प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मिला आवास भी गंडक में विलीन होने के कगार पर है.


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अनिल यादव डेमोक्रेटिक चरखा से बात करते हुए बताते हैं

मेरा सिर्फ़ घर नहीं गया, बल्कि मेरी पूरी ज़िन्दगी और अरमान भी बह गया. जब सरकार को ये पता है कि यहां बाढ़ आ सकती है तो यहां पर पुख्ता इंतेज़ाम क्यों नहीं किया जा रहा है? क्यों हम गरीबों के सपनों से हमेशा खेला जाता है ?

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दो दिन पहले नेपाल में हुई भारी बारिश के बाद वाल्मीकि नगर बैराज से करीब साढ़े 4 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया था. वही पानी गोपालगंज में क्रॉस कर रहा है. इससे तटबंधों पर लगातार दबाव बना हुआ था. इसी दबाव की वजह से सोमवार सुबह को सारण तटबंध के समानांतर बने सिधवलिया प्रखंड के शीतलपुर में रिंग बांध टूट गया. इससे कई गांवों में बाढ़ का पानी घुस गया.

इस साल कमज़ोर मानसून के कारण लोगों को लगा था कि अब बाढ़ नहीं झेलनी पड़ेगी. लेकिन जाते हुए मानसून ने गोपलगंज क्षेत्र के लोगों के लिए बाढ़ और पलायन का दर्द कायम रखा है.

करीब 900 घरों का विस्थापन हो चुका है. सुधा देवी विस्थापन के बारे में बताती हैं

रातों-रात जो समान बचा सके, लेकर सड़क पर आ गये. यहां कब तक रहेंगे क्या पता? सरकारी की तरफ़ से तो हमें प्लास्टिक भी मुहैय्या नहीं करवाया गया है खाना देना तो दूर की बात है.

सुधा देवी की उम्र 38 साल हैं. पति मज़दूरी करते हैं. पांच बच्चों में दो को परिस्थितियों की वजह से पढ़ाई छोड़कर मजदूरी के लिए बाहर पलायन करना पड़ा. तीन छोटे बच्चें है, उसमें एक विकलांग है. सरकार का वादा कि सभी लोगों के लिए हर मुमकिन सामान मुहैय्या करवाया जा रहा है वो झूठ के अलावा और कुछ नहीं लगता.

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जिले के सिधवलिया प्रखंड के पांच गांव बाढ़ के चपेट में आ चुके हैं. सबसे पहले बंजरिया और शीतलपुर में बाढ़ का पानी घुसा और उसके बाद डुमरिया पंचायत के रामचंद्रपुर, रामपुरवा और डुमरिया गांव भी बाढ़ की चपेट में आ गये. हालांकि गंडक नदी का जलस्तर कम होने के कारण पानी का प्रवाह कम हो गया है. जिससे अभी 50 से 60 घरों के अंदर बाढ़ का पानी घुसा हुआ है.   

रविवार से ही तटबंध पर पानी का रिसाव हो रहा था. हालांकि इंजिनियर को तटबंधों पर मुस्तैद रहने को कहा गया था, लेकिन पानी के दबाव के कारण बांध टूट गया. जिसके बाद जिला प्रशासन, बाढ़ नियंत्रण व जल संसाधन की टीम बांध की मरम्मत में लगा है. साथ ही आसपास के इलाकों को भी अलर्ट कर दिया गया है.

वहीं बांध टूटने के बाद गोपालगंज के ग्रामीण गुस्से में है. उनका आरोप है कि पदाधिकारियों की लपरवाही के कारण बांध टूटा है.

गोपालगंज के जिलाधिकारी से डेमोक्रेटिक चरखा की टीम ने कई बार बात करने की कोशिश की और जानकारी लेनी चाही कि बाढ़ को लेकर प्रशासनिक व्यवस्था क्या है? लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो पाया. उनके दफ़्तर से ये जानकारी मिली है कि अभी जिलाधिकारी किसी मीडिया से बात नहीं कर रहे हैं और बाढ़ पर लगातार हर मुमकिन काम कर रहे हैं.

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बांध करीब 10 से 15 फीट की चौड़ाई में टूटा है. इससे गंडक का पानी तेज़ी से तटबंधों की तरफ बढ़ रहा है. हालांकि राहत की बात यह है कि जहां यह बांध टूटा है, वहां पर गंडक के जलस्तर में कमी आई है. इससे बाढ़ का प्रभाव ज़्यादा गांवों पर नहीं पड़ने की आशंका है.

जहां रविवार तक गोपालगंज में साढ़े चार लाख क्यूसेक पानी का डिस्चार्ज था, जो आज चार लाख क्यूसेक से घट गया है. अनुमान लगाया जा रहा है कि गंडक के जलस्तर घटने से बाढ़ का प्रभाव बहुत ज़्यादा क्षेत्रफल में नहीं होगा. इसके साथ ही तटबंधों पर दबाव भी ज़्यादा नहीं होगा. क्योंकि वाल्मीकि नगर बराज से अब महज़ 2 लाख क्यूसेक ही पानी छोड़ा जा रहा है.

पांच सालों बाद नदी में पानी की मात्रा बढ़ी

गंडक नदी के कारण हर वर्ष गोपलगंज, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, वैशाली, मुजफ्फरपुर और सारण जिले बाढ़ के चपेट में आते रहते हैं. गंडक नदी पांच सालों बाद इतनी मात्रा में पानी आया है. नदी में पानी बढ़ने का कारण नदी के जलग्रहण क्षेत्र में पिछले 48 घंटो में हुआ बारिश है. यहां पोखरा में इस दौरान लगभग 200 मिलीमीटर जबकि भैरवा में 170 मिलीमीटर बारिश रिकार्ड किया गया था. बढ़ते जलस्तर को देखते हुए गंडक नदी के वाल्मीकिनगर बराज के सारे 36 फाटक गुरुवार को ही खोल दिए गए थे. इसके बावजूद पानी की मात्रा लगातार बढ़ती ही रही है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शुक्रवार को गंडक बराज में बाढ़ की स्थिति का जायज़ा भी लिया था. 2022 से पहले 2017 में नदी में 5.24 लाख क्यूसेक पानी दर्ज किया गया था.

बिहार को बाढ़ और सूखे की विभीषिका से बचाने के लिए साल 1969-70 में वाल्मीकि नगर का बैराज बनाया गया था. इसकी लम्बाई 747.37 मीटर और ऊंचाई 9.81 है. इस बैराज का आधा भाग नेपाल में है.

लेकिन बांध निर्माण के बाद भी बिहार में गंडक नदी क्षेत्र में हर वर्ष बाढ़ आती है. हर साल मरम्मत के नाम पर पैसे ख़र्च किए जाते हैं लेकिन इसका कोई फ़ायदा लोगों को नहीं मिल पाता है. जल संसाधन विभाग की 2019 की रिपोर्ट के मुताबिक विभिन्न नदियों पर बने तटबंधों में पिछले तीन दशकों में 400 से अधिक दरारें आईं और बाढ़ का कारण बनी.

हर साल करोड़ों लगाकर इनकी मरम्मत होती है लेकिन फिर मॉनसून आते हालात जस के तस हो जाते हैं. एक्सपर्ट और बिहार की सरकार भी मानती है कि तटबंधों का निर्माण बाढ़ का टेंपररी समाधान ही है. 2008 के कोसी बाढ़ के समय भी भारी तबाही के बाद भी तमाम वादे किए गए. मास्टरप्लान, टास्क फ़ोर्स बनाई गई. हर चुनाव में बाढ़ नियंत्रण के बड़े उपायों के वादे होते हैं लेकिन हालात जस के तस बने हुए है.

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बाढ़ के कारण फ़सलों को नुकसान

गोपालगंज में गन्ना एक ‘कैश क्रॉप’ है. जिले में सिधवलिया और गोपालगंज में चीनी मिल संचालित हैं. इन चीनी मिलों में किसान अपना गन्ना बेचते हैं. लेकिन बाढ़ के कारण किसनों के गन्ना फ़सल हर वर्ष डूब जाते हैं, जिससे किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है. पिछले वर्ष भी समय से पहले आए मानसून के कारण गंडक का जलस्तर बढ़ गया था. जिसके कारण आए बाढ़ से किसानों के लगभग 22 हज़ार हेक्टयर में लगी गन्ना की फ़सल बर्बाद हो गयी थी. उससे पहले साल 2020 में भी लगभग 50 करोड़ की लागत की गन्ना फ़सल का नुकसान हुआ था. बाढ़ आने से सबसे ज़्यादा किसानों को क्षति होती है. किसानों के खेतों में लगे तैयार धान की फ़सल भी बर्बाद हो गयी है.

गंडक नदी में आये बाढ़ के कारण पश्चिम चंपारण के बगहा में 20 एकड़ में लगी गन्ने और धान की फ़सल गंडक के धारा में बर्बाद हो गयी है. बगहा, रामनगर, लौरिया में हुई तेज़ बारिश के कारण एक बार फिर गंडक का जलस्तर बढ़ गया है.    

हालांकि राहत की बात यह है कि मज़दूरों द्वारा सीमेंट बैग और बांस बल्ले की सहायता से पानी के प्रवाह को रोकने का प्रयास किया जा रहा है. गंडक का जल स्तर कम होने से स्थिति को जल्द नियंत्रण में लाने की संभावना है.