पीएमसीएच में जांच की कई मशीन ख़राब, मरीज़ों को लेकर भटक रहे परिजन

पीएमसीएच में जांच मशीनों का खराब होना कोई नई बात नहीं है. अस्पताल में रोज ही किसी ना किसी जांच के लिए मरीज़ को बाहरी जांच घरों में जाने के लिए बाध्य होना पड़ता है. जो जांच सुविधा अस्पताल में मरीज को मुफ़्त या कम दरों पर मिल सकती है.

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पल्लवी कुमारी
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पीएमसीएच में जांच की कई मशीन ख़राब, मरीज़ों को लेकर भटक रहे परिजन

पीएमसीएच में जांच की कई मशीन ख़राब

पीएमसीएच में जांच मशीनों का खराब होना कोई नई बात नहीं है. अस्पताल में रोज ही किसी ना किसी जांच के लिए मरीज़ को बाहरी जांच घरों में जाने के लिए बाध्य होना पड़ता है. जो जांच सुविधा अस्पताल में मरीज को मुफ़्त या कम दरों पर मिल सकती है. उसके लिए ही उन्हें  बाहरी जांच घरों में हज़ारों ख़र्च करने पड़ते हैं.

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हाल के दिनों में भी अस्पताल में कई जांच मशीनें ख़राब हैं. इसमें मुख्य रूप से एमआरआई (MRI), रेडियोलॉजी विभाग की सोनोग्राफी मशीन, गैस्ट्रोएंट्रोलाजी विभाग की इंडोस्कोपी, कोलोनोस्कॉपी और सिग्मावोडोस्कोपी शामिल हैं. 

पीएमसीएच में इस महीने के शुरुआत से एमआरआई (MRI) जांच की सुविधा बंद है. सेंट्रल इमरजेंसी वार्ड में लगा एमआरआई जांच मशीन लगभग 20 दिनों से खराब है. मशीन खराब होने के कारण मरीज़ों को जांच के लिए बाहर भटकना पड़ रहा है. 

मरीज़ों को लेकर भटकते मिले परिजन

छपरा से अपनी बहन का इलाज करने आये श्याम कुमार परेशान नज़र आते हैं. एमआरआई जांच के लिए रसीद काटने के काउंटर पर परेशान श्याम कर्मचारी से रसीद काटने को कहते हैं. जहां उन्हें जांच बंद होने की जानकारी मिलती है.

श्याम से बात करने पड़ पता चला कि उनकी बहन की तबियत खराब है. श्याम बताते हैं “मेरी बहन यहां आईसीयू में भर्ती है. डॉक्टर ने एमआरआई जांच लिखा है. लेकिन काउंटर पर बताया गया कि जांच नहीं होगा. मशीन ख़राब है.”

श्याम जैसे कई परिजन रोज़ाना जांच बंद होने के कारण परेशानी झेल रहे हैं. लेकिन अस्पताल प्रशासन इसको लेकर सुस्त पड़ा हुआ है.

हमने काउंटर कर्मी से एमआरआई जांच कब तक शुरू होगी इस पर जानकारी मांगी जिसपर एक अस्पताल कर्मी ने बताया कि “कुछ कहा नहीं जा सकता लेकिन संभवतः 10 तारीख के बाद जांच शुरू हो जाए.”

दो दिन में ठीक करने की बात थी लेकिन अभी भी मशीन ख़राब

हालांकि पीएमसीएच के उपाधीक्षक ने 24 अगस्त को दिए जानकारी में बताय था कि दो दिनों में मशीनों को ठीक करा लिया जाएगा. प्रशासन के अनुसार “पानी गिरने से एमआरआई मशीन में खराबी आ गयी है. छत की मरम्मत हो रही है. बीएमएसआईसीएल से बात हो गयी है. मशीन ठीक होने में एक दो रोज अभी और लगेगा.”

दिमाग, घुटने, रीढ़ की हड्डी जैसे शरीर के विभिन्न हिस्सों में कोई दिक्कत तो नहीं है इसको जांचने के लिए एमआरआई स्कैन किया जाता है. एमआरआई जांच मंहगे जांच प्रक्रियाओं में शामिल है. मरीज को इस जांच के लिए निजी जांच घरों में 10 हज़ार तक ख़र्च करने पड़ सकते हैं. हालांकि पीएमसीएच में मरीज़ों को यह सुविधा बाजार से आधे दर पर दिया जाता है.

अलग-अलग जांच के हिसाब से शुल्क के तौर पर 1000 से लेकर 5000 तक लिए जाते हैं. जबकि यही जांच बाहरी जांच घरों में दोगुने शुल्क पर किये जाते हैं. 

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(PMCH में होने वाले जांच का रेट चार्ट)

गैस्ट्रोएंट्रोलाजी विभाग की कई जांच मशीने ख़राब

एमआरआई के आलावे पीएमसीएच के गैस्ट्रोएंट्रोलाजी विभाग की कई जांच मशीनें ख़राब है. इस विभाग में जांच की तीन प्रमुख मशीने इंडोस्कोपी, कोलोनोस्कॉपी और सिग्मावाडोस्कोपी खराब हैं. जिसके कारण मरीज़ बाहरी जांच घरों में जांच करवाने को मजबूर हैं.

वहीं रेडियोलॉजी विभाग की अल्ट्रा सोनोग्राफी जांच की चार मशीन मौजूद है. लेकिन अभी इनमे से केवल एक कार्यरत है. बाकि तीन मशीनों में ख़राबी आने के कारण मरीज़ों को लंबा इंतज़ार करना पड़ रहा है.

एक दिन में 25 से 30 मरीज़ की ही सोनोग्राफी हो पाती है क्योंकि जांच शाम 4 बजे से बंद कर दिया जाता है. पर्ची कटने के बाद भी मरीज को अगले दिन का इंतज़ार करना पड़ रहा है.

पीएमसीएच उपाधीक्षक ने कहा है कि “रेडियोलॉज़ी विभाग में सोनोग्राफी हो रहा है. कुछ मशीनों में गड़बड़ी आ गयी है. उनकी मरम्मत कराई जा रही है.”

पीएमसीएच में सोनोग्राफी जांच मुफ्त में किया जाता है जबकि बाहरी जांच घरों में इसके लिए  800 से 1200 रूपए ख़र्च करने पड़ते हैं.

इमरजेंसी और गायनी विभाग में भी एक-एक सोनोग्राफी मशीन ख़राब है. 

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(पर्ची कटवाने के बाद इंतज़ार करते मरीज़)

अस्पताल में लेट लतीफ़ी के कारण मरीज़ नहीं आना चाहते अस्पताल

सरकारी अस्पताल में होने वाले इन्हीं सब परेशानियों के कारण मरीज अस्पताल आने से कतराते हैं. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 के रिपोर्ट के अनुसार बिहार में 45.2% लोग सिर्फ इस कारण सरकारी अस्पताल नहीं आना चाहते क्योंकि उन्हें सरकारी अस्पतालों में इलाज के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है. जबकि 27% लोग ने असुविधाजनक टाइमिंग के कारण सरकारी अस्पताल आने से परहेज़ करते हैं.

वहीं पिछले वर्ष मार्च महीने में कैग द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया था कि बिहार के सरकारी अस्पतालों में 67% से 74% तक डायग्नोस्टिक सेवाओं की कमी हैं. जिसके कारण गरीब और मजबूर लोगों कों मज़बूरी में प्राइवेट संस्थानों में जांच करवाना पड़ता है.

कैग ने इन कमियों के लिए स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव को दोषी ठहराया था. कैग ने रिपोर्ट में कहा कि “बिहार के जिला स्तरीय अस्पतालों और माध्यमिक स्तरीय स्वास्थय सेवाओं कि निगरानी करना तथा हेल्थकेयर प्रणाली का प्रबंधन करना प्रधान सचिव(स्वास्थ्य विभाग) की जिम्मेदारी है.”

बिहार में जहां स्वास्थ्य बजट का आधा हिस्सा PMCH को वर्ल्ड क्लास बनाने में ख़र्च हो रहा है. ऐसे में PMCH में जांच की मशीन पानी लगने से ख़राब होना प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल उठाता है.

PMCH testing machines in PMCH bihar hospital