"13 साल की उम्र में शादी हुई," बिहार में बाल विवाह की स्थिति क्यों चिंताजनक?

बिहार में बाल विवाह एक प्रमुख सामाजिक समस्या के रूप में चिन्हित की गई है. यूनिसेफ की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में शहरी क्षेत्र के मुकाबले अधिक बाल विवाह होते हैं.

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कुणाल कुमार शांडिल्य
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बिहार में बाल विवाह

बिहार में बाल विवाह

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बिहार में बाल विवाह एक प्रमुख सामाजिक समस्या के रूप में चिन्हित की गई है. यूनिसेफ की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में शहरी क्षेत्र के मुकाबले अधिक बाल विवाह होते हैं. इन आंकड़ों के अनुसार बिहार में सबसे अधिक लगभग 68% बाल विवाह की घटनाएं होती हैं.

बिहार में बाल विवाह

शाहाना (बदला हुआ नाम) जमुई के सोनो प्रखंड की रहने वाली हैं. शाहाना की शादी 13 साल की उम्र में हुई. शाहाना 14 साल की उम्र में पहली बार गर्भवती हुईं. और अभी उनके 3 बच्चे हैं. शाहाना की उम्र अभी 17 साल है. कम उम्र में शादी और मां बनने की वजह से शाहाना का स्वास्थ्य ख़राब रहता है. उन्हें डॉक्टर ने सख्ती से दुबारा गर्भधारण करने से मना किया है. डॉक्टर के अनुसार अगर अब शाहाना गर्भवती होती हैं. तो उनकी जान को ख़तरा है. इसके बावजूद शाहाना चौथी बार गर्भवती हैं.

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डेमोक्रेटिक चरखा से बात करते हुए शाहाना बताती हैं,

कई बार मुझे लगता है कि मेरा जीवन बर्बाद हो गया है. हमको पढ़ने का मन था लेकिन मां-बाप ने पढ़ाई बंद कर शादी करवा दी. अब चाह कर भी हम पढ़ाई नहीं कर सकते हैं. कुछ पैसों की वजह से मेरा भविष्य बर्बाद हो गया. आज मैं अपनी किस्मत को कोसती हूं.

करीब 40% महिलाएं ऐसी, जिनका हो चुका है बाल विवाह

एन.एच.एस.एफ (NFHS) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार में 18 वर्ष से कम उम्र की लगभग 40.8 % महिलाओं का बाल विवाह हुआ है.

जबकि 25 से 29 वर्ष की आयु वाले पुरुष जिनका विवाह 21 वर्ष से कम उम्र में हुआ है, ऐसे पुरुषों की संख्या लगभग 30.5% हैं. इन आंकड़ों से एक बात तो स्पष्ट है, कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं के बाल विवाह का अनुपात काफी अधिक है.

हमने इस विषय पर कई बाल विवाह पीड़ितों से भी बात की जिनमें पटना की तबस्सुम में हमें बताया कि,

मेरी शादी 17 साल की उम्र में हुई थी. मेरे 4 बच्चे हैं जिसमें एक बच्चा 9 साल का, एक बच्चा 6 साल का, एक बच्चा 5 साल का और एक बच्चा 3 साल का है. बाल विवाह तो मजबूरी ही है. मां-बाप देखता है कि कोई कमाने-खाने वाला नहीं है और बेटी जवान है. इसलिए शादी कर दी जाती है. लेकिन बाल विवाह है तो गलत ही.

बिहार में बाल विवाह

इस विषय पर पटना के कमला नेहरू नगर में रहने वाली रूही खातून ने हमें बताया कि,

मेरी शादी तब हुई थी. जब मैं 15 साल की थी. वह कौन सा वर्ष था यह तो मुझे याद नहीं है. मेरे तीन बच्चे हैं जिसमें एक बच्चा 11 साल का, एक बच्चा 8 साल का और एक बच्चा 6 साल का है.

अदालत गंज के पास रहने वाली शबाना खातून और उनकी मां ने हमें बताया कि,

मेरी शादी भी 15 साल की उम्र में हो गई थी. उस वक्त मुझे काफी कमजोरी का एहसास होता था. हमारी मजबूरी थी कि हमारे पास पैसा-कौड़ी नहीं था. घर नहीं था, सबसे मांग के शादी किए. जो बच्चा हुआ वह भी ऑपरेशन से हुआ. उसमें भी बहुत पैसे खर्च हुए.

बिहार में लखीसराय सबसे अधिक बाल विवाह के मामलों वाला जिला

नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (NFHS) की रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार का लखीसराय जिला बाल विवाह की समस्या से सबसे ज्यादा प्रभावित है. आंकड़ों के अनुसार लखीसराय में 56.1% विवाह बाल विवाह हैं.

इसके अलावा जमुई, अररिया, सिवान, सहरसा और पूर्णिया भी सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में से एक है. एनएचएसएफ की रिपोर्ट के मुताबिक अररिया में 52.0%, अरवल में 37.5%, औरंगाबाद में 27.3%, बांका में 49.4%, बेगूसराय में 49.5%, भागलपुर में 42.4%, भोजपुरी में 31.2%, बक्सर में 30.8%, दरभंगा में 45.1%, गया में 42.8%, गोपालगंज में 28.0%, जमुई में 51.9%, जहानाबाद में 41.6%, कैमूर में 27.1%, कटिहार में 49.4%, खगड़िया में 44.9%, किशनगंज में 36.6% बाल विवाह के मामले हैं.

 इसके अलावा मधेपुरा में 52.0%, मधुबनी में 39.2%, मुंगेर में 34.7%, मुजफ्फरपुर में 32.9%, नालंदा में 42.0%, नवादा में 43.3%, पश्चिम चंपारण में 39.1%, पटना में 26.6%, पूर्वी चंपारण में 49.2%, पूर्णिया में 51.2%, रोहतास में 30.3%, सहरसा में 51.0%, समस्तीपुर में 49.8%, सारण में 26.2%, शेखपुरा में 46.1%, शिवहर में 34.6%, सीतामढ़ी में 46.8%, सिवान में 21.3%, सुपौल में 55.9%, और वैशाली में 44.9% बाल विवाह के मामले हैं.

बिहार में बाल विवाह

कई संगठन और एनजीओ कर रहे हैं बाल विवाह रोकथाम के क्षेत्र में अच्छा काम

बिहार में कई ऐसे संगठन हैं. जो बाल विवाह रोकथाम को लेकर काफी अच्छा काम कर रहे हैं. इनमें शहरी गरीब विकास संगठन, नेहा ग्रामीण महिला विकास समिति, परिवर्तन नेटवर्क सहित कुछ लोग व्यक्तिगत रूप से भी लोगों को जागरूक करने का कार्य कर रहे हैं.

इस विषय पर हमने एक-एक कर संगठन के सभी लोगों से बात की. साथ ही यह जानने का प्रयास किया कि वे लोग किस प्रकार इस मुहिम को सफल बनाते हैं. इस दौरान किस तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. नेहा ग्रामीण महिला विकास समिति नवादा की सचिव मंजू देवी ने हमें बताया कि,

जब भी हम लोगों के पास कोई इस तरह की सूचना आती है , कि किसी नाबालिग बच्चे की शादी हो रही है. उसके बाद हम लोग वहां जाते हैं. लोगों को समझाने का प्रयास करते हैं. फिर उन बच्चियों को स्कूलों में दाखिल करवाते हैं. बिहार में बाल विवाह के कई मामले सामने आ रहे हैं. खासकर नवादा जिले में तो बाल विवाह से जुड़े कई मैटर देखने को मिले हैं. पिछले 4 महीने में हम लोगों ने 100 बाल विवाह पर कार्य किया है. जिसमें हमने 25 विवाहों को होने से रोका है. आमतौर पर ग्रामीण इलाकों में इस तरह की ज्यादा समस्या देखने को मिलती है. ऐसे में हमलोग वहां के सरपंच से मदद लेते हैं. शपथ पत्र पर हस्ताक्षर भी करवाते हैं. कई लोग ऐसे होते हैं. जो परवाह नहीं करते हैं. और कई दबंग प्रवृत्ति के लोग जो समझाने के बावजूद नहीं मानते हैं. तब हमें प्रशासन का सहारा लेना पड़ता है. और प्रशासन से मदद हमें मिलती भी है. हमारी टीम ने नवादा के अलावा नालंदा, शेखपुरा जैसे जिलों में भी बाल विवाह रोकथाम को लेकर कई कार्य किए हैं.

बिहार में बाल विवाह

इस विषय पर हमने शहरी गरीब विकास संगठन के प्रभाकर जी से बात की. उन्होंने हमें बताया कि,

बाल विवाह को बिहार में खत्म करना बेहद जरूरी है. एनएसएफएस की एक रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में 40% से अधिक शादियां बाल विवाह हैं. इसमें दहेज प्रथा एक सबसे बड़ी बाधा है. जिन लोगों को डर लगता है, कि शहर में बाल विवाह कराने से पुलिस आ जाएगी, वो गांव ले जाकर शादियां करवा देते हैं. हमें लड़कियों को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है, खासकर वैसी लड़कियां जो जीवन में कुछ कर सकती हैं.

इस विषय पर हमने परिवर्तन नेटवर्क की संगीता कुमारी ने भी बताया कि,

मैं कमलानेहरू नगर में रहती हूं. जहां में सबसे ज्यादा बाल विवाह देखने को मिला है. इसी उद्देश्य से हमने परिवर्तन नेटवर्क बनाया. बाल विवाह को रोकना हमारा प्रमुख कार्य है. हमने करीब 7 बाल विवाह कमलानेहरू नगर और एक अदालतगंज इलाके में रोके हैं.

'सेव द चिल्ड्रन' के साथ जुड़कर रिया पासवान ने भी बाल विवाह रोकथाम को लेकर काफी अच्छा प्रयास किया है. रिया ने बताया कि

लोगों में जागरूकता की बेहद आवश्यकता है. बहुत से लोग व्यक्तिगत रूप से समझाने के बावजूद नहीं समझते, उल्टा नाराज हो जाते हैं. इसलिए कभी-कभी हमें चाइल्ड हेल्प लाइन 10,9,8 पर फोन भी करना पड़ता है.

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दलित परिवारों में सबसे ज्यादा बाल विवाह के मामले- मंजू देवी

नेहा ग्रामीण महिला विकास समिति नवादा की सचिव मंजू देवी ने हमें बताया कि,

दलित परिवारों में बाल विवाह के सबसे ज्यादा मामले सामने आते हैं. कई दलित परिवार ऐसे हैं जो काम करने के लिए ईंट की भट्टी पर चले जाते हैं. वहां से सारे लोग लौट कर आते हैं और शादी करते हैं. अमूमन अभी के समय में सबसे ज्यादा बाल विवाह होता है. इसका सबसे प्रमुख कारण शिक्षा की कमी है. शिक्षा का अभाव होने की वजह से दलितों में सबसे ज्यादा बाल विवाह के मामले देखे गए हैं.

कई वजहों से मां-बाप करा देते हैं बच्चियों का बाल विवाह

इस विषय पर हमें नेहा ग्रामीण महिला विकास समिति की सचिव मंजू देवी और शहरी गरीब विकास संगठन के प्रभाकर जी ने कुछ बिंदुओं पर प्रकाश डालते हुए समस्या को बताया. उन्होंने बाल विवाह के कई कारण बताएं जिनमें:-

  • शिक्षा के अभाव के कारण बिहार में अधिक बाल विवाह की घटना देखने को मिल रही है.
  • आर्थिक रूप से सक्षम नहीं होने की वजह से भी मां-बाप बाल विवाह कराने पर विवश हो जाते हैं.
  • समाज में असुरक्षा को देखते हुए भी अभिभावक बाल विवाह करा देना ठीक समझते हैं.
  • बच्चों द्वारा मोबाइल फोन के अत्यधिक इस्तेमाल से मां-बाप को यह लगता है, कि उनके बच्चे कोई गलत कदम ना उठा लें. इसलिए भी कई बार वह कम उम्र में विवाह करा देना ठीक समझते हैं.
  • ज्यादा दहेज देने से बचने के लिए भी बाल विवाह करा दिए जाते हैं.

बाल विवाह की वजह से कन्या विवाह योजना का लाभ लेने से भी लोग रह जाते हैं वंचित

मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना की शुरुआत बिहार सरकार के द्वारा की गई थी. इस योजना का मुख्य उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर बालिकाओं के विवाह हेतु सरकार द्वारा अनुदान राशि दिया जाना है.

यह प्रयास बाल विवाह को रोकने के लिए उठाए गए कदमों में से एक है. यदि किसी के अभिभावक अपने बच्चों का बाल विवाह करा देते हैं. तो वह इस योजना का लाभ उठाने से वंचित रह जाएंगे.

इस विषय पर नेहा ग्रामीण महिला विकास समिति नवादा की सचिव मंजू देवी ने बताया कि,

यदि मां-बाप अपने बच्चों की शादी खासकर बेटियों की शादी 18 वर्ष के बाद करेंगे. तो उन्हें कन्या विवाह योजना का लाभ भी मिल पाएगा. कन्या विवाह योजना से मिलने वाले लाभ की राशि बहुत ज्यादा नहीं है. यह 5 से 6 हजार ही है, लेकिन सरकार का अच्छा प्रयास है. इसके लिए केवल उन्हें शादी का कार्ड, आधार कार्ड और बीपीएल राशन कार्ड लेकर जाना है. तब जाकर सरकार की तरफ से आर्थिक सहयोग मिलता है. मैं तो अक्सर अधिकारियों से बैठक के दौरान कहती हूं, कि मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना के तहत मिलने वाली राशि सीधे उनके खाते में डालिए.

बिहार में बाल विवाह

बाल विवाह को लेकर क्या है कानून?

इस विषय पर हमने पटना हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता विशाल कुमार सिंह जी से बात की उन्होंने हमें बताया कि,

चाइल्ड मैरिज प्रोहिबिशन एक्ट 2006 पूरे देश में लागू है. इसके तहत विवाह के वक्त लड़के की उम्र 21 और लड़की की 18 होनी अनिवार्य है. ऐसा नहीं होने पर दोषी व्यक्ति जैसे कि लड़का और लड़की के मां बाप रिश्तेदार आदि को 2 साल तक की कैद और जुर्माना लगाया जा सकता है. अभी हाल ही में इसमें संशोधन लाने को लोकसभा में बिल पेश किया गया है. जिसका नाम है चाइल्ड मैरिज प्रोहिबिशन अमेंडमेंट बिल 2021, जिसमें लड़की की उम्र 18 से बढ़ा कर 21 किए जाने की सिफारिश है. इसके अलावा बिहार में बिहार राज्य बाल विवाह रोकथाम अधिनियम 2010 लागू है. इसके तहत हर जिले में एक चाइल्ड मैरिज प्रोबेशन ऑफिसर नियुक्त करने को प्रावधान है. सजा आदि सब सेंट्रल एक्ट यानी की चाइल्ड मैरिज प्रोहिबिशन एक्ट 2006 के हिसाब से ही तय है.

बाल विवाह रोकथाम के लिए सरकार को उठाने होंगे कई सख्त कदम

बिहार में बाल विवाह के आंकड़े सरकार के द्वारा चलाए गए. अभियान पर प्रश्नचिन्ह लगाने के लिए पर्याप्त हैं. बाल विवाह से ना केवल बच्चियों की जिंदगी बर्बाद होती है. बल्कि संविधान द्वारा प्रदत कई मौलिक अधिकारों का भी हनन होता है.

इसकी वजह से बहुत सारे बच्चे अनपढ़ और अकुशल रह जाते हैं. जिससे उनके सामने अच्छे रोजगार और आर्थिक रूप से स्वतंत्र होने की ज्यादा संभावनाएं नहीं बच पातीं. राज्य सरकार को चाहिए, कि वह अपने स्तर से तो इसके ऊपर काम करें ही, इसके साथ ही उन संगठनों को भी सहयोग करें, जो स्वतंत्र रूप से बाल विवाह रोकथाम के लिए काम कर रहे हैं.

एक लंबे और सफल प्रयास के बाद ही जाकर बाल विवाह पर अंकुश लग पाएगा. तभी समाज का प्रत्येक बच्चा एक पूर्ण और परिपक्व व्यक्ति के रूप में विकसित हो पाएगा. अन्यथा बाल विवाह की वजह से उसका जीवन क्षत्-विक्षत् हो जाना निश्चित है.

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