राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा: क्या नागरिकों को खाद्य सुरक्षा का लाभ दिया जा रहा है?

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा पोर्टल पर मौजूद आंकड़ों के अनुसार देश के 37 राज्यों के 744 जिलों में 79.35 करोड़ लोगों को खाद्य सुरक्षा का लाभ

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राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा: क्या नागरिकों को खाद्य सुरक्षा का लाभ दिया जा रहा है?

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा पोर्टल पर मौजूद आंकड़ों के अनुसार देश के 37 राज्यों के 744 जिलों में 79.35 करोड़ लोगों को खाद्य सुरक्षा का लाभ दिया जा रहा है.

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बेगूसराय में उठा राशन वितरण में गड़बड़ी का मामला

बिहार में पीडीएस यानि जन वितरण प्रणाली सेवा के अंतर्गत राशन कार्ड की संख्या 17,907,319 है जिसके द्वारा कुल 87,172,572 लोगों को राशन दिया जा रहा है. इसमें शहरी लाभार्थियों की संख्या 14,86,687 और ग्रामीण लाभार्थियों की संख्या 1,64,13,824 है.

कार्ड और लाभुकों की संख्या से इतर समय-समय पर राज्य के विभिन्न जिलों से राशन वितरण में गड़बड़ी का मामला उठता रहा है. राशन वितरण में गड़बड़ी का नया मामला बेगूसराय जिले के छौड़ाही प्रखंड के ऐजनी गांव का है.

जन वितरण प्रणाली और राशन वितरण में हो रही गड़बड़ी को दूर करने के लिए ऐजनी पंचायत के पंचायत भवन में ग्राम सभा का आयोजन किया गया. इस ग्राम सभा में जनप्रतिनिधियों और ग्रामीणों ने राशन वितरण में हो रही गड़बड़ी को जल्द दूर करने पर विचार किया.

खाद्य सुरक्षा का लाभ

"अनाज मांगने पर भगा देता है"

ऐजनी गांव की रहने वाली शांति देवी राशन वितरण में हो रही गड़बड़ी से गुस्से में है और सवालिया लहज़े में पूछती हैं

सरकार अनाज खाने के लिए देती है या फेंकने के लिए. चावल का दाना टूटा और सड़ा रहता जिसको केवल माल-जाल (मवेशी) ही खा सकता है. सब जगह उसना चावल दिया गया जबकि हमारे यहां अरवा चावल दिया गया है वो भी टूटा हुआ.

ऐजनी प्रखंड के रहने वाले रमेश कुमार बताते हैं

हमें जनवरी और फ़रवरी महीने का भी राशन नहीं मिला है. जबकि अब मार्च महीने का भी आवंटन हो चुका है. इस तरह पूरे तीन महीने का अनाज अभी तक नहीं दिया गया. कुछ डीलर है जो सिंगल कोटा बांट दिया है. उससे जब बाकि महीनों का अनाज मांगते हैं तो डांटकर भगा देता है और कहता है जाओ जहां जाना है जाओ.

खाद्य सुरक्षा का लाभ

रसीद नहीं देने का भी है आरोप

ग्रामीणों का आरोप है कि राशन वितरण के दौरान जब ग्रामीण अपने कोटे का अनाज ख़रीदते हैं, तो उन्हें डीलर रसीद नहीं देता है. ग्रामीणों की मांग है कि उन्हें किस और कितने महीने का अनाज दिया जा रहा है उसकी रसीद (रिसिविंग) दिया जाए. जिससे उन्हें यह पता हो की इतने महीने का इतना किलों अनाज मिला है.

ग्रामीण रमेश कुमार कहते हैं

जो अनाज दिया जाता है उसमें पांच किलो अनाज कम दिया जाता है. विरोध करने पर 12 नंबर वार्ड के डीलर जुबैर खां कहते है कम देंगे ही. मेरे दुकान पर जो मज़दूर काम कर रहा है उसको वेतन कहां से देंगे. ऊपर से ही आदेश है और डांटकर कहता है जहां जाना है जाइये.

वहीं सुनीता देवी का कहना है

डीलर अनाज तो देता है लेकिन कोटा से कम और सड़ा हुआ. ये बात पूरा गांव जानता है. किसी का बात भी नहीं मानता है और बोलने पर मारने के लिए दौड़ता है.

जुबैर खां पर ग्रामीणों के आरोप के बाद डेमोक्रेटिक चरखा के पत्रकार करण कुमार ने डीलर जुबैर खां से संपर्क करने का प्रयास किया लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका.

खाद्य सुरक्षा का नहीं मिल रहा है लाभ, पैसा लेकर बनता है राशन कार्ड

ऐजनी गांव के सामाजिक कार्यकर्त्ता दानिश आलम जन वितरण प्रणाली और राशन कार्ड बनाने में हो रही गड़बड़ी का विरोध कर रहे हैं. उनका कहना हैं

पीडीएस दूकानदार शुरू से मनमानी करते आए हैं. सरकार की जो पहल है ‘नेट वेट और नेट रेट’ उसपर पीडीएस डीलर खड़े नहीं उतर पा रहे हैं. डीलर दो महीने का राशन गोल करने के चक्कर में लगा हुआ है. ऐसा नहीं है कि यह सिर्फ किसी एक पंचायत की समस्या है. बल्कि यह समस्या पूरे प्रखंड में फैली हुई है.

दानिश आगे कहते हैं

पूरे प्रखंड में राशन कार्ड बनाए जाने में अनियमिता है. कई परिवार ऐसे हैं जिन्हें असल में राशन कार्ड की आवश्यकता है लेकिन उनके पास राशन कार्ड नहीं है. वहीं कुछ परिवार ऐसे हैं जो बहुत सम्पन्न है, उन्हें राशन कार्ड की कोई आवश्यकता नहीं है लेकिन उनके पास राशन कार्ड है.

ग्रामीणों का आरोप है कि डीलर पैसे लेकर राशन कार्ड बनाते हैं. ऐसे में निम्न आय वर्ग के लोग जिन्हें राशन कार्ड की सबसे ज्यादा आवश्यकता है, इससे वंचित रह जाते हैं.

दानिश आलम बताते हैं

जन वितरण प्रणाली में इतना भ्रष्टाचार व्याप्त है कि यदि आपके पास चार पहिया गाड़ी हो तब भी आपका राशन कार्ड बन जाएगा लेकिन जिनके पास खाने को अनाज नहीं है उनका राशन कार्ड नहीं बनेगा. डीलर मनमाने ढंग से 2 हज़ार रूपए लेकर 30 दिनों के अंदर राशन कार्ड बना रहे हैं.

दानिश आलम उच्च अधिकारी से मांग करते हैं कि

भ्रष्टाचारी पीडीएस दुकानदार जो गरीबों का हक मार रहे हैं उनका लाइसेंस रद्द किया जाए. साथ ही ऐसे अधिकारी या कर्मचारी जो भ्रष्टाचार में संलिप्त है उनपर सख्त कार्यवाही किया जाए.

खाद्य सुरक्षा का लाभ

पंचायत प्रतिनिधियों की है मांग, खाद्य सुरक्षा योजना में जल्द हो सुधार

ग्राम पंचायत ऐजनी के पंचायत समिति सदस्या पति सुनील कुमार बताते हैं

राशन डीलर ग्रामीणों से दो महीने का चुटकी (अंगूठे का बायोमेट्रिक) ले लेता है. लेकिन अनाज एक ही महीने का देता है. ग्रामीण विरोध करते हैं, लेकिन डीलर उन्हें डराकर भेज देता है. ग्रामीणों की समस्या देखते हुए पंचायत के सभी जनप्रतिनिधि आज यहां ग्राम सभा में एकत्रित हुए और निर्णय लिए हैं कि अगर राशन वितरण में हो रही समस्या को जल्द दूर नहीं किया गया तो हम सभी जनप्रतिनिधि धरना प्रदर्शन करेंगे.

ऐजनी ग्राम पंचायत के उप मुखिया रामशंकर साहू बताते हैं

सरकार की घोषणा के अनुसार फ़रवरी और मार्च महीने का राशन एक बार ही देना था. लेकिन डीलर बिना ग्रामीण और जनप्रतिनिधि को बताए दो महीने का थंब लेने के बाद भी एक महीने का ही राशन दे रहे थे. ग्रामीणों के शिकायत के बाद हमने डीलर से इस संबंध में बात की और जल्द से जल्द समस्या को दूर करने को कहा.

बायोमेट्रिक भी नहीं रोक सकी खाद्य सुरक्षा योजना में गड़बड़ी

बायोमैट्रिक ऑथेंटिकेशन को अनिवार्य करने के पीछे का कारण योजना में पारदर्शिता और भ्रष्टाचार को समाप्त करना था. लेकिन बायोमैट्रिक पद्धति लागू होने के बाद भी समस्या जस की तस बनी हुई है. यहां तक की पीडीएस में आधार आधारित बायोमैट्रिक ऑथेंटिकेशन अनिवार्य होने से कई बार ज़रूरतमंद लोग भी इसका लाभ लेने से वंचित हो जा रहे हैं.  

बायोमैट्रिक ऑथेंटिकेशन नहीं होने के कारण लाभुकों को कई बार राशन दुकान पर पहुंचकर लौटना पड़ता है. नेटवर्क और बिजली समस्या के कारण लाभुकों का सत्यापन नहीं होने की स्थिति में भी राशन नहीं दिया जाता है. लाभुकों का कहना है कि हर महीने बिना एक दो बार दुकान से लौटे राशन नहीं मिलता है.

सार्वजानिक वितरण प्रणाली में व्याप्त भ्रष्टाचार और गड़बड़ी इसके मुख्य उद्देश्य (प्रत्येक गरीब और वंचित परिवार की खाद्य सुरक्षा) को पूरा करने में बाधक बन रही है.