Begusarai Government Schemes Investigation

ना बिजली ना ही शौचालय, बेगूसराय में जानवरों जैसी स्थिति में रह रहे हैं लोग

साल 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई महत्वपूर्ण योजनाओं की शुरुआत की और कई योजनाओं के नाम बदले. जैसे इंदिरा गांधी आवास योजना से प्रधानमंत्री आवास योजना, राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना का नाम दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण ज्योति योजना रखा गया.

दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण ज्योति योजना (DDUGJY) के तहत केंद्र सरकार ने ये वादा किया था कि अगले 1000 दिनों में सभी ग्रामीण इलाकों में बिजली पहुंचा दी जायेगी. इस योजना के लिए 43,033 करोड़ रूपए प्रदान किये गए थे. इसमें से सिर्फ़ 33,453 करोड़ रूपए ख़र्च किये गए. इसमें हर राज्य में केंद्र सरकार द्वारा 60% राशि दी जाती थी और राज्य सरकार द्वारा 40%, विशेष दर्जे वाले राज्यों में 85% राशि केंद्र सरकार द्वारा दी जाती थी. साल 2019 में केंद्र सरकार ने ये घोषणा कर दी कि देश के 99.93% घरों में बिजली पहुंच चुकी है. केवल छत्तीसगढ़ के कुछ घरों में (0.4%) बिजली नहीं पहुंची है. ये सारी जानकारी सरकारी वेबसाइट के आधार पर कही जा रही है. जब हमने उस वेबसाइट पर बिहार के आंकड़ों पर नज़र डाली तो पता चला कि बिहार में सभी घरों में 100% बिजली पहुंच चुकी है. इस DDUGJY योजना के तहत 24 घंटे बिजली देने का वादा भी है, लेकिन अभी ये वादा पूरा होने में समय है. सरकार ने आज से दो साल पहले जो घोषणा की थी पूरी तरह से सही नहीं है.

साबरकोठी गांव में फैला अंधेरा.

बिहार के बेगूसराय के इलाके में बखरी विधानसभा है. बखरी विधानसभा आरक्षित सीट है. बखरी में अधिकांश लोग दलित ही हैं. शायद इसी वजह से पूरे बेगूसराय में सबसे कम विकास बखरी में ही हुआ है. बखरी में बाघबन पंचायत में कई ऐसे गांव हैं जहां आजतक बिजली ही नहीं पहुंची है. कुछ इलाकों में सिर्फ़ खंभे गड़े हुए हैं और कुछ में तो खंभे भी नहीं हैं. सरकार की नज़रों में शायद इन गांव वालों को ना ही बिजली की ज़रूरत है और ना ही उच्च मानक जीवन जीने की.

बाघबन पंचायत में एक गांव है साबरकोठी, इस गांव में आज़ादी के 73 सालों के बाद भी बिजली नहीं पहुंची है. हमारे ग्रामीण पत्रकार अरुण सम्राट जब वहां पर पहुंचे तो उन्होंने देखा कि इस गांव में एक भी बिजली का खंभा भी नहीं लगा है. बाघबन पंचायत में अंदर गांव की तरफ़ जाने वाले रास्ते में कहीं एक बल्ब भी नहीं लगा हुआ था. जबकि सरकार की विद्युतकरण से जुड़ी ‘ऊर्जा‘ (URJA) योजना के तहत पूरे बिहार में सरकार द्वारा 1,95,87,435 LED बल्ब लगाये गए हैं और सिर्फ़ बेगूसराय में 5,62,404 LED बल्ब लगाए गए हैं. (ये आंकड़ें 20 अप्रैल, 2021 के शाम 5 बजे तक की है.

अंधेरे में पगडंडियों के सहारे जब ग्रामीण पत्रकार अरुण साबरकोठी गांव पहुंचे तो उन्हें कुछ ग्रामीणों से बातचीत की. गांव के निवासी लालू ने बताया कि आज तक उनके गांव में कभी भी बिजली नहीं पहुंचाई गयी है. उनका कहना है,

सरकार हमेशा आजकल-आजकल कर रही है. लेकिन बिजली का खंभा तक नहीं लगा रही है. सरकार बोल दे कि उससे बिजली नहीं आएगी तो हमलोग ख़ुद ही बिजली का खंभा लगा लेंगे

ग्रामीण पत्रकार अरुण जब गांव में अगले घर की ओर बढ़े तो वहां पर कई बच्चे अंधेरे में बैठे हुए थे. अरुण ने उनसे बातचीत करके ये समझना चाहा कि सरकार ने जो उनके गांव में अंधेरा करके रखा हुआ है उसका असर उनके जीवन पर कितना पड़ रहा है?

इन बच्चों का स्कूल कोरोना वायरस के फैलने के कारण पहले ही बंद करवा दिया गया था. इन बच्चों के पास शहरी बच्चों की तरह अलग मोबाइल फ़ोन या लैपटॉप नहीं है. इनके घर में सिर्फ़ एक मोबाइल फ़ोन ही है, जो घर के कामकाजी पुरुष के पास ही रहता है. घर के कामकाजी पुरुष फ़ोन लेकर दिनभर बाहर काम के सिलसिले में रहते हैं जिसके वजह से ये बच्चे दिन में पढ़ नहीं पाते और जब शाम में वो पढ़ सकते थे तब सरकारी लापरवाही के कारण वो शाम में पढ़ नहीं पाते.

कुछ ऐसी ही कहानी लक्ष्मी पासवान की भी है. लक्ष्मी पासवान के 3 बच्चे हैं. तीनों बच्चे तीसरी कक्षा, छठी कक्षा और सातवीं में पढ़ाई करते हैं. लक्ष्मी दिन भर मज़दूरी के तलाश में बाहर ही रहते हैं और इनके पास सिर्फ़ एक ही मोबाइल फ़ोन है, जो वो अपने बच्चों को शाम में ही दे सकते हैं. बकौल लक्ष्मी

हमारे बच्चे कभी भी शाम में पढ़ाई कर ही नहीं पाते हैं. रात में जब हम लौटते हैं तो अंधेरे के कारण कुछ काम भी नहीं कर सकते हैं. बच्चे बस ऐसे ही बैठते हैं, गांव के कई लोग दूसरे गांव (लगभग 4 किलोमीटर दूर) जाकर फ़ोन चार्ज करते हैं

लक्ष्मी पासवान का एक बेटा बादल, छठी कक्षा में पढ़ता है. सागर का कहना है कि

रात में जब बिजली रहेगी ही नहीं तो फिर पढ़ेंगे कहां से? हम तो कभी भी शाम में पढ़ते ही नहीं हैं. इसके अलावा गांव में बिजली नहीं रहने के कारण इतना अंधेरा रहता है कि कुछ बुझाता (दिखाई) ही नहीं है

बिजली ना रहने के कारण शाम से ही उस गांव में लोग एकजुट होकर रहते हैं. क्योंकि अगर उनके गांव में या घर में कोई घुस भी आएगा तो उन्हें पता नहीं चलेगा. जिस वक़्त ग्रामीण पत्रकार अरुण वहां लोगों से बात ही कर रहे थे तब ही कुछ गांव वालों ने बताया कि एक बच्चे को सांप ने काट लिया है. गांव वालों ने बताया कि उनके गांव में शौचालय भी नहीं है इसके वजह से उनका पूरा गांव खेत में ही शौचालय के लिए जाता है. अंधेरे में बच्चा शौचालय के लिए गया, उसे कुछ दिखा नहीं, कब सांप आया और काट लिया उसे पता ही नहीं चला. गांव वालों ने ये भी बताया कि आये दिन खेत में शौचालय जाने के दौरान उन्हें कीड़े या सांप काट लेते हैं. अंधेरे में कुछ पता भी नहीं चलता और बाद में उनकी मृत्यु इस वजह से हो जाती है. गांव में कई लोगों की मौत इस वजह से हुई है.

जिस तरीके से केंद्र सरकार ने 100% बिजली का दावा किया है ठीक उसी तरह उन्होंने शौचालय का भी दावा किया है. साल 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वच्छ भारत अभियान के तहत सभी शौचालय निर्माण का कार्य शुरू किया था. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, साल 2014 तक ग्रामीण भारत में केवल 38.7%  शौचालय का ही निर्माण किया गया था. लेकिन साल 2019 में केंद्र सरकार ने दावा किया कि 5,99,963 गांव में 10 करोड़ से भी अधिक शौचालय का निर्माण किया गया है और साथ ही पूरे भारत में शौचालय का निर्माण हो चुका है.

लेकिन शौचालय होने का ये झूठा दावा सिर्फ़ साबरकोठी गांव में ही नहीं बल्कि कई जगहों पर यही स्थिति है. बेगूसराय के ही करनपुर गांव में भी शौचालय का निर्माण नहीं किया गया है.

जब हम लोगों ने बखरी के प्रखंड विकास पदाधिकारी अमित कुमार पांडे से बातचीत की तो उन्होंने कहा कि

सामुदायिक शौचालय के प्रपोजल पर काम चल रहा है और हमारी कोशिश होगी कि शौचालय का निर्माण जल्द ही हो जाए. साथ ही बिजली के बारे में सही जानकारी बिजली विभाग दे पायेगा लेकिन अगर गांव के लोग मुझे आवेदन देते हैं तो मैं उसपर त्वरित कारवाई करूंगा

बेगूसराय के अलावा पटना के कमला नेहरू नगर, जो बिहार की सबसे बड़ी बस्ती है, वहां पर भी शौचालय निर्माण नहीं हुआ है. जब हमने वहां के लोगों से पूछा कि वो शौचालय के लिए कहां जाते हैं तो उन्होंने एक नाले की तरफ़ इशारा करके बताया कि वो लोग वहीं पर शौचालय के लिए जाते हैं.

ऐसे में केंद्र सरकार का बिजली और शौचालय के लिए झूठा दावा करना कितना सही है जबकि सच्चाई उनके दावे से कोसो दूर है.

Amir Abbas
My name is Amir

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *