पटना: शहर में मौजूद नहीं प्याऊ, शौचालय का पानी पीते हैं रिक्शाचालक

गर्मियों की शुरुआत हो गयी है. लेकिन पटना नगर निगम के द्वारा सार्वजनिक स्थलों पर पीने के पानी या प्याऊ की व्यवस्था नहीं की है.

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पल्लवी कुमारी
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पटना: शहर में मौजूद नहीं प्याऊ, शौचालय का पानी पीते हैं रिक्शाचालक
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गर्मियों की शुरुआत हो गयी है. लेकिन पटना नगर निगम के द्वारा सार्वजनिक स्थलों पर पीने के पानी या प्याऊ की व्यवस्था नहीं की है. शहर का तापमान 39 डिग्री पहुंच चुका है. मौसम पूर्वानुमान के अनुसार एक दो दिनों के बाद दिन का पारा 40 से 42 डिग्री के करीब पहुंच जाएगा. इतनी भीषण गर्मी में सड़कों पर काम करने वाले रिक्शाचालक, गलियों में घूमकर सामान बेचने वाले फेरीवाले, सड़कों पर सब्ज़ी और फल बेचने वाले विक्रेता प्यास बुझाने के लिए होटल, चाय की दुकान और धार्मिक परिसरों के बाहर लगे नलों के भरोसे हैं. 

प्याऊ

लोगों को प्यास बुझाने के लिए सड़कों पर बिकने वाले बोतलबंद पानी का सहारा लेना पड़ रहा है. निगम प्रशासन के द्वारा शहर में अभी तक अस्थायी प्याऊ का निर्माण नहीं कराया गया है. वहीं कई स्थानों पर निगम द्वारा बनाए गए पक्के पेयजल स्थल देखरेख के अभाव में खराब पड़े हैं. अव्यवस्था के कारण पीने के पानी के स्थान पर केवल गंदगी का अंबार भर रह गया है.

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निगम के द्वारा नहीं बनाया गया ‘प्याऊ’

बिहार यंग मैन इंस्टिट्यूट के आगे निगम के द्वारा स्थायी पीने के पानी की व्यवस्था की गयी थी. लेकिन आलम यह है कि देखरेख के अभाव में इन नलों से पानी ही नहीं आता है.

कंकड़बाग अंचल के हनुमान नगर, टैम्पू स्टैंड, चिड़ियाटांड पुल और पटना जंक्शन गोलंबर पर राहगीरों और दैनिक कामगारों के लिए ठंडे पानी की व्यवस्था निगम की ओर से नहीं किया गया है.

पटना स्टेशन रोड से गुज़रने वाले यात्री और स्टेशन रोड से गुज़रने वाले ऑटो, रिक्शा और बस चालक प्यास बुझाने के लिए हनुमान मंदिर परिसर के बाहर लगे वाटर कूलर और नल का उपयोग करते हैं. कंकड़बाग हनुमान नगर से पटना जंक्शन तक ऑटों चलाने वाले सुरेश यादव बताते हैं

सुबह घर से निकलते हैं तो पानी घर से लेकर निकलते हैं. लेकिन गर्मीं इतना है कि दो घंटे बाद ही पानी ख़त्म हो जाता है. जब सवारी लेकर स्टेशन पहुंचते हैं तो हनुमान मंदिर के बाहर लगे नल से पानी भर लेते हैं. निगम के तरफ़ से कोई सुविधा नहीं मिला है.    

निगम के द्वारा सार्वजनिक प्याऊ की व्यवस्था अब तक क्यों नही हो सकी इस पर कंकड़बाग सर्किल में वाटर बोर्ड के एक्स्क्यूटीव ऑफिसर राकेश कुमार सिंह बताते हैं

अभी प्याऊ नहीं बनाया गया है. गर्मियों में नगर निगम के द्वारा अस्थायी प्याऊ की व्यवस्था की जाती है. इस वर्ष भी किया जाएगा. जल्द ही इसके लिए जगह का चयन किया जाएगा. साथ ही सार्वजनिक स्थानों पर जहां स्थायी नल की व्यवस्था निगम के द्वारा पहले से किया गया है और वो किसी कारण से ख़राब है उसे भी ठीक करवाया जाएगा.

शौचालय का पानी पीने को मजबूर 

आर ब्लाक चौराहे पर रिक्शा चालक विजय कुमार अपने रिक्शे पर पेड़ के नीचे आराम कर रहे हैं. बढ़ती गर्मी में रिक्शा चालकों या उन जैसे मज़दूरों के लिए धूप से बचने का एकमात्र सहारा पेड़ की छाव ही है. वहीं प्यास लगने पर इन मजदूरों का सहारा केवल चाय की दुकान, सड़क किनारे के छोटे-छोटे होटल और सार्वजनिक स्थलों पर निजी सहयोग से लगाए गए नल हैं.

रिक्शा चालक विजय कुमार बताते हैं

पिछले 15 सालों से पटना में रिक्शा चला रहे हैं. गर्मीं इतनी बढ़ गयी है कि 11 बजे के बाद ही मन बेचैन हो जाता है. प्यास लगने पर ठंढ़ा पानी नहीं मिलता है. होटल और चाय के दुकान पर पानी पीते हैं. सरकार के तरफ से कोई सुविधा नहीं है. कुछ जगहों पर मोहल्ले वाले पानी का व्यवस्था किए हुए हैं.

रिक्शा चालक दिनेश राय बताते हैं

ठंडा पानी तो छोड़ दीजिए सिर्फ पीने का पानी मिल जाए वही बहुत है. सरकार पीने का पानी का कोई व्यवस्था नहीं किया हैं. सुलभ शौचालय में लगे नल से पानी लाकर पीते हैं. कभी कभार 10-20 रुपया का खरीद कर भी पीते हैं.

प्याऊ

बेगूसराय के रहने वाले शंकर मिश्रा बताते हैं

10-12 साल से पटना में रिक्शा चला रहे हैं. पहले इतना गर्मीं नहीं पड़ता था जितना की अब पड़ रहा है. पहले चौक चौराहा पर प्याऊ मिल जाता था. लेकिन अब वो बहुत कम रह गया है. इधर उधर होटल से पानी मांग कर पीते हैं. रात में रोड पर सो जाते हैं.

तापमान बढ़ने पर और बढ़ेगी परेशानी

राज्य के सभी जिलों में गर्मीं का प्रकोप बढ़ रहा है. दिन में तेज़ धूप और गर्म पछुआ हवाओं के कारण तापमान बढ़ रहा है. मौसम वैज्ञानिकों का अनुमान है कि 24 घंटे के बाद पटना सहित बेगूसराय, कटिहार, दरभंगा, नालंदा, शेखपुरा, खगड़िया और पूर्णिया में दिन का तापमान 42 डिग्री और रात का तापमान 22 से 24 डिग्री हो सकता है. मौसम विभाग ने लोगों को आवश्यकता होने पर ही घर से बाहर निकलने की सलाह दी है.