इस मूर्ति को बनाने में 92 लाख रुपए खर्च हुए हैं. लेकिन सबसे बड़ा सवाल उठता है कि चौराहे पर मूर्ति महाराणा प्रताप की ही क्यों?
प्रदेश की राजधानी पटना में महाराणा प्रताप की मूर्ति लगाई गई है. यह मूर्ति पटना के एसपी वर्मा रोड के पास स्वामीनंद चौराहे पर लगाई गई है जिसका अनावरण बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया. यह मूर्ति लगभग साढ़े 10 फीट ऊंची है जिसमें महाराणा प्रताप को एक घोड़े पर बैठे देखा जा सकता है. इसके साथ ही उन्होंने हाथ में भाला भी ले रखा है जो उनके शौर्य को दिखाता है.
महाराणा प्रताप की मूर्ति ही क्यों
भारत एक महापुरुषों का देश है. यहां कई वीर सपूत हुए हैं. सभी किसी न किसी क्षेत्र या राज्य से आते हैं. आमतौर पर देखा गया है कि किसी खास राज्य से ताल्लुक रखने वाले महापुरुषों के नाम पर किसी चौक-चौराहे या भवन का नाम रखने का काम उसी राज्य की सरकार करती है.
ऐसे में एक बड़ा सवाल यह उठता है कि महाराणा प्रताप जो मूल रूप से राजस्थान के रहने वाले हैं और राजस्थान में कई भवन, कई चौक-चौराहे पर ना जाने कितने नाम महाराणा प्रताप के ऊपर रखे गए हैं. तो आखिर बिहार में महाराणा प्रताप की मूर्ति एक चौराहे पर लगाने के पीछे क्या कारण हो सकता है?
बिहार के महापुरुषों की मूर्ति भी लगा सकती थी राज्य सरकार
ऐसे कई नाम हैं जो बिहार की धरती को गौरवान्वित करते हैं लेकिन उन्हें वह सम्मान किसी दूसरे राज्य में नहीं मिलता. ऐसे में राज्य सरकार चाहती तो स्वामीनंद चौराहे पर महाराणा प्रताप की मूर्ति लगाने के बजाय किसी ऐसे शूरवीर की मूर्ति लगा सकती थी जो बिहार से आते हों.
इनमें वीर कुंवर सिंह, सम्राट अशोक, चाणक्य, महावीर, आर्यभट्ट, गुरु गोविंद सिंह, चंद्रगुप्त मौर्य जैसे नाम शामिल हैं.
सोचने वाली बात यह है कि उक्त नामों पर किसी दूसरे राज्य में मूर्ति या किसी चौराहे का नाम नहीं रखा गया है. ऐसे में राज्य सरकार ने महाराणा प्रताप की मूर्ति ही क्यों चुनी?
2022 के जनवरी में महाराणा प्रताप की जयंती पर समारोह आयोजित करने का लिया गया था फैसला
माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और वरिष्ठ पत्रकार साकेत दुबे बताते हैं कि
बिहार सरकार ने पिछले वर्ष के जनवरी महीने में महाराणा प्रताप की जयंती पर राजकीय समारोह आयोजित करने का फैसला लिया था. उसी वक्त पटना के फ्रेजर रोड में महाराणा प्रताप की प्रतिमा स्थापित किए जाने पर भी फैसला लिया गया था. जदयू के इस फैसले से कई राजपूत नेताओं को खुशी हुई थी और उन्होंने मुख्यमंत्री की सराहना भी की थी.
ऐसे में इस वर्ष मूर्ति का अनावरण एक बार फिर जदयू के राजनीतिक रणनीति की तरफ संकेत कर रहा है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आदेशानुसार महाराणा प्रताप की जयंती पर हर वर्ष बिहार में राजकीय समारोह आयोजित किया जाना है.
राजपूत वोटरों को लुभाने की कोशिश कर रही जदयू
दरअसल जदयू इस तरह के कार्यक्रमों से अपने राजपूत वोटरों को अपनी तरफ करने का प्रयास कर रही है. अक्सर ऐसा देखा गया है कि बिहार की राजनीति में किसी महापुरुष की जयंती को मनाकर या उनकी पुण्यतिथि समारोह को आयोजित कर किसी खास वर्ग के वोटरों को लुभाया जाता रहा है.
इसके अलावा विधानसभा चुनाव में लगातार कम हो रहे राजपूत वोट प्रतिशत को बढ़ाने के लिए भी जदयू इस तरह के दांव खेल रही है.
2015 के विधानसभा चुनाव में जदयू ने 6 राजपूत उम्मीदवारों को खड़ा किया था लेकिन उनमें केवल दो ही जीत पाए थे.
इसके अलावा 2020 में जदयू ने केवल 2 क्षत्रिय उम्मीदवार ही खड़े किए. ऐसे में माना जा रहा है कि राजपूत समाज जदयू से नाराज है. इसलिए जदयू आगामी 2024 के विधानसभा चुनाव से पहले राजपूत वोटरों को अपनी ओर खींचने का प्रयास कर रही है.
इससे पहले भी नीतीश कुमार ने वीर कुंवर सिंह की जयंती पर राजकीय समारोह किया है आयोजित
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जदयू ने पहले भी राजपूत वोटरों को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए वीर कुंवर सिंह जयंती पर राजकीय समारोह आयोजित किया था जिसकी प्रशंसा राजपूत वर्ग से आने वाले लोगों ने की थी.
ऐसा करने से उस वक्त जदयू को चुनाव में फायदा मिला था. इसी तर्ज पर पार्टी फिर एक बार महाराणा प्रताप की जयंती मनाकर राजपूत समाज के वोटरों को लुभाने का प्रयास कर रही है.
मूर्ति के अनावरण के समय उत्साहित दिखे लोग
महाराणा प्रताप की यह मूर्ति जो पटना के फ्रेजर रोड के निकट आने वाले एसपी वर्मा रोड के स्वामीनंद चौराहे पर लगाई गई है, यह मूर्ति साढ़े 10 फीट ऊंची है और यह पूरी कांस्य की बनी है.
इसे बनाने में करीब 92 लाख रुपए खर्च हुए हैं. 19 जनवरी को अनावरण के ठीक बाद इसे देखने के लिए लोगों की काफी भीड़ दिखाइ दे रही थी. हमने मूर्ति को लेकर उत्साहित लोगों से बात की और उनके विचार जानें.
वहां मौजूद श्रेया सिंह ने हमें बताया कि
महाराणा प्रताप देश के सबसे बड़े शूरवीरों में से एक हैं. उनके साहस और शौर्य का डंका पूरे विश्व में बजता है.श्रउनकी मूर्ति लगना पटना के लोगों के लिए एक गौरव की बात है और यह राज्य सरकार का सराहनीय कदम है.
वहां मौजूद प्रमोद नाम के एक व्यक्ति से हमारी बात हुई जो पेशे से एक शिक्षक हैं. प्रमोद ने हमें बताया कि
महाराणा प्रताप की गिनती तो महापुरुषों में की जाती है. मैं तो अपने विद्यालय में बच्चों को महाराणा प्रताप के अदम्य साहस और शौर्य की गाथा सुनाता हूं और उनके आदर्शों पर चलने के लिए बच्चों को प्रेरित करता हूं. बिहार सरकार का यह कदम सराहनीय है और प्रशंसा के योग्य है.