पटना नगर निगम वर्तमान में आर्थिक तंगी से गुजर रहा है. इस चक्कर में नगर निगम के कई विकास कार्य बंद पड़े हैं. नगर निगम उसे क्रियान्वित कर पाने में भी असमर्थ है. इसका कारण है पिछले 2 वर्ष से 15वें वित्त आयोग से मिलने वाला फंड का बंद हो जाना. आपको बता दें कि 1 साल में पटना नगर निगम को केंद्रीय वित्त आयोग के द्वारा 408 करोड़ रुपए मिलते हैं जो कि 2 वित्तीय वर्ष से अब तक नहीं मिल पाया है.
चुनाव ना होने से पैदा हो रही है समस्या
नगर निगम की आर्थिक स्थिति ख़राब होने के पीछे एक कारण नगर निगम का चुनाव ना होना भी है. क्योंकि नवनिर्वाचित कार्यकारिणी भंग हो गई है इसलिए केंद्रीय वित्त आयोग ने 2 वित्तीय वर्षों की राशि अब तक नगर निगम को नहीं दी है. इसी के तहत 15वें वित्त आयोग ने 2 साल से पटना नगर निगम को फंड ही नहीं किया है. इस चक्कर में प्रदेश की राजधानी पटना में नगर निगम के द्वारा होने वाला कई बुनियादी कार्य रुक गया है.
राज्य सरकार से मिल रही मदद
केंद्रीय वित्त आयोग के द्वारा नगर निगम की राशि रुक जाने के बाद नगर निगम की गाड़ी राज्य सरकार के भरोसे पर खींची जा रही है. राज्य सरकार के द्वारा नगर निगम को छठें वेतन आयोग से मिलने वाले 187 करोड़ रुपए में से 100 करोड़ रुपए अब तक नगर निगम को मिल पाए हैं.
हालांकि इस राशि से नगर निगम को बहुत लाभ तो नहीं मिल रहा अब सवाल यह उठता है कि आखिर राज्य सरकार कब तक नगर निगम को फंड देती रहेगी और इसमें हो रही देरी का नतीजा शहर में प्रदूषण और कचरा निस्तारण की व्यवस्था चौपट हो गई है बढ़ते प्रदूषण से शहर आबोहवा ख़राब और ख़तरनाक होती जा रही है.
सरकार पर सवाल उठना तय
अगर नगर निगम अपने आर्थिक तंगी की वजह से विकास कार्यों को सुचारू रूप से क्रियान्वित नहीं कर पा रहा है तो इसकी जवाबदेही का प्रश्न घूम-फिर कर सरकार पर ही उठेगा. सबसे पहला प्रश्न तो यह है कि सरकार अपना बजट किस प्रकार निर्धारित करती है कि नगर निगम जैसे बड़े निकाय में आर्थिक तंगी की स्थिति पैदा हो गई है.
दूसरा प्रश्न नगर निगम में कार्यरत अधिकारियों पर भी उठता है कि जितने इंतज़ाम राज्य सरकार उनके लिए करवा पा रही है. उनमें से अब तक कितने सफ़ल हो पाए हैं और यदि नहीं हुए तो वह सारा पैसा गया कहां?
800 करोड़ रुपए नाला निर्माण के लिए आवंटित होने से भी पैदा हो गई समस्या
आपको जानकर हैरानी होगी कि राज्य सरकार ने एक बड़ी भूल कर दी. जब नगर निगम पहले ही अपने कई बुनियादी कार्यों को क्रियान्वित करने में असमर्थ है तो ऐसे में राज्य सरकार द्वारा छठी वित्त आयोग के तहत पटना नगर निगम को मिलने वाला 1000 करोड़ रुपए का विशेष पैकेज नाला निर्माण कार्य में नहीं लगाना चाहिए था.
आपको बता दें कि राज्य सरकार ने पहले यह 1000 करोड रुपए पटना नगर निगम को देने की बात कही थी लेकिन फिर सरकार ने उस 1000 करोड़ में से 800 करोड रुपए नाला निर्माण के लिए बुडको को देने का फैसला कर लिया. इस वजह से जो राशि नगर निगम को सीधे तौर पर मिलनी चाहिए थी वह उसे ना मिलकर बुडको को मिल गई और पटना नगर निगम को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ गया.
कई बड़ी योजनाएं हुई हैं इससे प्रभावित
नगर निगम पर आए आर्थिक संकट का ख़ामियाज़ा कई विकास कार्यो में हो रही बाधा के रूप में चुकाना पड़ रहा है. पूरे पटना में अभी वायु गुणवत्ता सुधार का काम पूरी तरह से बंद है. इसका कारण है कि केंद्रीय वित्त आयोग के द्वारा मिलने वाले फंड का 50% हिस्सा वायु गुणवत्ता को बेहतर करने के लिए ख़र्च किया जाता है. लेकिन इस फंडिंग के आवंटित नहीं होने से यह काम पूरी तरह से बाधित है. इस चक्कर में पूरे पटना में वायु प्रदूषण की स्थिति बेहद ख़राब हो गई है.
एयर क्वालिटी इंडेक्स का आंकड़ा लगातार ख़तरनाक स्थिति में पहुंचता जा रहा है. इसके अलावा कचरा निस्तारण का काम भी पूरी तरह से ठप पड़ा है. करीबन 20% हिस्सा केंद्रीय वित्त आयोग का वेस्ट मैनेजमेंट के लिए खर्च किया जाता था,वह भी पूरी तरह से बंद हो गया है. आपको बता दें कि हालत तो ऐसी है कि नगर निगम के पास वेस्ट मैनेजमेंट के लिए काम करने वाली एजेंसियों को देने के लिए पैसे तक नहीं है. इसके अलावा वाटर सप्लाई जैसे बड़े प्रोजेक्ट पर भी इसका असर साफ देखने को मिल रहा है.
लोगों को झेलनी पड़ रही है परेशानी
पटना नगर निगम के वेस्ट मैनेजमेंट में हो रहे कार्य को लेकर हमने वार्ड नंबर 48 में रहने वाली सुष्मिता कुमारी से बातचीत की. सुष्मिता ने बताया कि
"कचरा उनकी गली में जमा रहता है और उसे नियमित रूप से नहीं उठाया जाता. कचरे की गाड़ी भी कभी-कभी ही आती है. नगर निगम हमारे वार्ड में बिल्कुल ध्यान नहीं दे रहा है. हमने कई बार आवेदन भी दिया है लेकिन उस पर काम नहीं किया गया है."
वहीं वार्ड नंबर 50 का कुछ ऐसा ही हाल है. वार्ड नंबर 50 में रहने वाली शंभू सहाय ने हमें बताया कि
"कचरे की गाड़ी आती है लेकिन सीटी नहीं बजाती. बिना सिटी बजाए ही निकल जाती है. जिससे हमें यह मालूम नहीं चल पाता कि कब कचरा फेंकना है."
इसके अलावा कई लोगों ने पानी के हाल में भी हमें बताया. पीने वाले पानी के बारे में हमें निखिल साव ने बताया कि
"मेरे यहां भी सप्लाई का पानी आता है. उसमें बदबू रहती है. नाली का पाइप फट जाने की वजह से वह सप्लाई के साथ मिलकर काफी बदबू आती है. लेकिन हमारी मजबूरी हो जाती है कि हम उसे इस्तेमाल करें."
चुनाव हो जाने के बाद भी स्थिति बदलने में लगेगा समय
यह ज़रूरी नहीं है कि पटना नगर निगम का चुनाव हो जाने के बाद स्थितियां तुरंत बदल जाएंगी. इस समस्या के निवारण में नगर निगम को काफ़ी समय लग जाएगा. यदि चुनाव का परिणाम बिना किसी रूकावट के इस महीने तक भी आ जाए तो भी केंद्र सरकार की तरफ़ से मिलने वाले केंद्रीय वित्त आयोग की राशि कब तक पटना नगर निगम को प्राप्त हो पाएगी इसकी गारंटी किसी के पास नहीं है. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर कब तक पटना नगर निगम के होने वाले नुकसान का लोगों को भुगतना पड़ेगा?
लोगों को भी हो रही काफ़ी परेशानी
पटना नगर निगम के अटके सभी बुनियादी कार्यों का ख़ामियाज़ा लोगों को भी भुगतना पड़ रहा है. लोग शहर में बढ़ते प्रदूषण की समस्या से परेशान हैं. इससे लोगों में कई बीमारियां भी फैलने का ख़तरा है. इसके अलावा वेस्ट मैनेजमेंट के लिए अगर सही तरीके से कार्य नहीं किया गया तो यह भी नगरवासियों के लिए एक भयानक समस्या बनकर खड़ी हो जायेगी.
ऐसे में सरकार को चाहिए कि वह जल्द-से-जल्द चुनाव को नैतिक रुप से संपन्न कराकर केंद्रीय वित्त आयोग से यह सिफ़ारिश करें कि वह शीघ्र पटना नगर निगम को उसे मिलने वाला फंड आवंटित कर दें. ताकि रुके हुए विकास कार्यों को फिर से पटरी पर लाया जा सके.