पटना नगर निगम रिपोर्ट कार्ड: 5 सालों में कितनी योजनायें कागज़ पर ही रह गयी

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चुनाव आते ही बड़े-बड़े नेताओं के चाल बदल जाते हैं तो नगर के पार्षदों के क्या कहने. हमारे वार्ड में ऐसे तो सफाई और नालों की व्यवस्था तो ठीक है लेकिन सप्लाई वाले पानी की व्यवस्था थोड़ी खराब थी. हालांकि कुछ महीने पहले सप्लाई के पानी की पाइप को बदला गया है. उसकी मरम्मती करायी गयी थी, जिससे अब पानी साफ आने लगा है साथ ही अब पानी का प्रेशर भी बढ़ गया है.  

ये कहना है वार्ड 44 के रहने वाले संजीव कुमार का.

पटना नगर निगम के वर्तमान बोर्ड का पांच सालों का कार्यकाल 19 जून (रविवार) को पूरा हो गया है. इन पांच सालों में नगर सरकार ने कई योजनाओं को पूरा किया लेकिन 18 ऐसी परियोजनाएं है जिन्हें पूरा नही किया जा सका. पूरे कार्यकाल में 57 बार स्थायी समिति और 26 बार निगम बोर्ड की बैठक आयोजित की गयी. शहर में तीन जगहों पर शॉपिंग मॉल, स्लम बस्तियों में गरीबों के लिए तीन मल्टीस्टोरी बिल्डिंग और कई वार्डो में जलापूर्ति का सिस्टम पर्याप्त रूप में नहीं पहुंच सका है. नगर निगम पिछले तीन सालों से अपनी आय बढाने के उद्देश्य से शहर में तीन जगहों पर मॉल बनाने का प्रस्ताव लाया था. बिहार औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकार (बियाडा) ने नगर निगम को मॉल बनाने की अनुमति नहीं दी जिसके कारण निगम की यह योजना फाइलों में ही रह गयी.

कहां और कितने लागत से बनेगा मॉल

नगर निगम ने राजेंद्र नगर में 113.99 करोड़ की लागत से एक मॉल बनाने की योजना है, दूसरा मछुआ टोली मोड़ के पास 66.43 करोड़ की लागत से एक मॉल और खेतान मार्केट के नजदीक भंवर पोखर पार्क के आसपास तीसरा मॉल 37.50 करोड़ की लागत से बनाने की योजना नगर निगम की है. इस मॉल को बनाने से स्थनीय लोगों में कई तरह के रोज़गार का सृजन होने की उम्मीद थी. लेकिन योजनायें फाइल पर ही रह गयी जिस वजह से सब कुछ अधर में रह गया.

इसी तरह पटना के 75 वार्डों में से 30 वार्ड ऐसे हैं, जहां जलापूर्ति का सिस्टम अधूरा है या पर्याप्त रूप से यहां सुविधा नहीं पहुंच सकी है. कई वार्ड है जहां पानी की गुणवत्ता सही है लेकिन कई वार्डों में अभी भी बहुत काम बाकी है. लेकिन सरकारी फाइलों के अनुसार पटना जिलें के 71 वार्ड में पानी पहुंचाया गया है. बिहार के हर घर में शुद्ध पेयजल पहुंचाने की योजना के तहत 56,000 वार्ड में नल लगाने का काम किया गया है. नीतीश कुमार कि हर घर नल जल योजना का शुभारंभ 28 अगस्त 2020 को किया गया था. नल जल योजना के तहत हर घर को 30 रूपए प्रतिमाह शुल्क चुकाने की बात भी कही गयी थी. 

ठोस कचरा प्रबंधन में निगम फेल

नगर निगम ने शहर में डोर-टू-डोर कचरा उठाव की सुविधा शुरू कर दी है लेकिन उठाए गए कचरों के निष्पादन की कोई ठोस व्यवस्था निगम नहीं कर पाया है. निगम ने वर्ष 2021-22 मटेरिअल रिकवरी सिस्टम के तहत 50 टन और 8 टन प्रतिदिन क्षमता के दो कचरा निष्पादन प्लांट लगाये थे, लेकिन वो प्रभावी नहीं रहे थे. लेकिन निगम ने फिर 2022-23 के बजट में ठोस कचरा प्रबंधन के लिए 214.10 करोड़ का बजट प्रस्ताव बनया है. निगम ने गीले और सूखे कचरे का सिर्फ वर्गीकरण किया है लेकिन इस कचरे को डिस्पोज करने की व्यवस्था फाइलों में ही रह गयी. इसके साथ ही कचरा प्रबंधन से सीएनजी बनाने की योजना भी फेल हो गयी है.

प्राइवेट स्कूल में शिक्षिका सीमा कहती है कि

कचरा प्रबंधन के लिए हम सिर्फ निगम को दोष नही दे सकते हैं. मै अपने आस-पास देखती हूं कि लोग कचरे का ठीक से प्रबंधन नहीं करते हैं. निगम की तरफ से गीला और सूखा कचरा अलग-अलग रखने को कहा जाता है. लेकिन लोग गीले और सूखे कचरे को अलग-अलग नहीं करते हैं. दोनों तरह के कचरे को एक ही साथ रख देतें हैं. कई घरों से तो कचरा रोड पर ही फेक दिया जाता है और ये पढ़े लिखे लोगों के घरो की कहानी है.

कितना शुल्क लेता है नगर निगम कचरा उठाव के लिए

निगम कचरा उठाव के लिए अलग अलग संस्थानों से अलग-अलग शुल्क वसूलता है. पहले आवासीय इलाकों से 30 रूपए शुल्क लिए जाते थे लेकिन अब 50 वर्ग किलोमीटर से 50 रूपए, 100 और 200 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में 100 और 200 रूपए देने होंगे. वहीं मिठाई दुकान, कॉफी हाउस को 500, धर्मशाला और गेस्ट हाउस से 2000, रेस्टारेंट, डिस्पेंसरी, क्लिनिक, प्रयोगशाला, बायो मेडिकल और छोटे-बड़े हॉस्पिटल को 2000 से लेकर 4000 रूपए वसूले जाएंगे. वहीं सिनेमा हॉल, मल्टीप्लेक्स, मैरेज हॉल, लघु और कुटीर उद्योग और अन्य व्यवसायिक संस्थानों से 2000 से 5000 रूपए लिए जाएंगे.

निगम ने शहर कि आधारभूत संरचना को बढ़ाने के लिए 486 करोड़ खर्च करने की योजना बनाई है. जिसके तहत गलियों, चौक-चौराहे, नाली-गली, स्ट्रीट लाइट, वेडिंग जोन, स्ट्रीट लाइट, प्लांटेशन आदि पर खर्च किया जाएगा. साथ ही विद्युत् शवदाह गृह, टॉयलेट, डंपिंग ग्राउंड की बाउंडरी निर्माण, ऐतिहासिक धरोहर को सजाने के लिए, तालाबों के पुनर्निर्माण, जल-जीवन-हरियाली मिशन को पूरा करने के लिए, इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलप्मेंट आदि पर काम किया जाएगा.

वार्ड-44 में जल-जीवन-हरयाली के तहत पौधारोपण किया गया है. यह जगह जगह पर सजावटी पौधे लगाए गए हैं. लेकिन पिछले 4 सालों में इसे लेकर कोई काम नहीं किया गया था. साथ ही हनुमान नगर पानी टंकी के नजदीक सार्वजनिक शौचालय का निर्माण कराया गया है. लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि ये सब चुनाव आने पर किया जा रहा है.

निगम हर साल शहर के विकास के लिए कई योजनाए बनाता है लेकिन अपने योजना को पूर्ण रूप देने में वह विफल हो जाता है. सबसे पहले नगर निगम अपनी खुद की बिल्डिंग बनाने में ही विफल रहा है. अपने कार्यकाल के दौरान निगम कई वादों को पूरा नहीं कर पाया. जैसे शहर को प्रदूषण मुक्त बनाने की योजना, वार्डों में जर्जर सड़कों का निर्माण, मोहल्ला क्लिनिक बनाने की योजना, साइकिल योजना और स्मार्ट पार्किंग का प्लान, शहर में मंदिरी नाला छोर आठ बड़े नालों का जीर्णोधार, शहर में ट्रांसपोर्ट सिस्टम को बेहतर करने की योजना, जलजमाव की 128 योजनाएं, गंगा किनारे हरित पट्टी बनाने की योजना, दो करोड़ से अधिक की 13 योजनाएं, सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट की योजना भी पूरी नहीं हुई.

अगर बात मोहल्ला क्लिनिक कि जाए तो इसे दिल्ली की सरकार के तर्ज पर बनाए जाने की योजना थी. इसका उद्देश्य था कि हर मोहल्ला में गरीबों को इलाज मिल सके. इससे गरीबों की पहुंच में डॉक्टर होगा और मेडिकल स्टोर से परामर्श लेकर दवा खाने का चलन बंद होगा. इससे मोहल्ले में लोगों को बड़ी राहत होगी. नगर निगम के पिछले बजट में ही मोहल्ला क्लिनिक बनाए जाने की योजना थी लेकिन निगम इसे बनाने में असफल रहा.

नगर निगम के द्वारा शहर के विकास के लिए कुछ काम किए भी गए हैं, जैसे सभी वार्डों में 82 हजार स्ट्रीट लाइट लगाई गयी, 110 बोरिंग लगाए गए हैं, कोरोनाकाल में नगर निगम ने प्रत्येक वार्ड में सफाई और सेनेटाइज़ेशन का कार्य करने में सफल रहा है. सड़कों की सफाई के लिए आधुनिक स्प्रिंक्लर मशीन का प्रयोग किया गया है, टीकाकरण अभियान में भी नगर निगम की टीम ने बेहतर काम किया. साथ ही नगर निगम ने इस साल 98 करोड़ की टैक्स वसूली की गयी है.

स्मार्ट सिटी अवार्ड में पटना का स्थान कहां

नगर निगम के कार्यों का असर पटना के स्वच्छता रैंकिंग पर भी पर रहा है. पिछले वर्ष पटना स्मार्ट सिटी अवार्ड के लिए 100 शहरों की सूची में तो आ गया था लेकिन अवार्ड और रैंकिंग के मामले में बहुत नुकसान हुआ था. पिछले साल पटना को 61वां  रैंक दिया गया था. इस साल भी बिहार के चार शहर पटना, भागलपुर, मुज्जफरपुर और बिहार शरीफ अंतिम राउंड में पहुंच गया है. जहां पर सीवरेज, सड़क, आवास, पेयजल, साफ-सफाई, यातायात, पर्यावरण, मनोरंजन सहित अन्य चीजों की जांच के बाद नंबर दिया जाएगा. फिलहाल, स्मार्ट सिटी अवॉर्ड के लिए देश के 100 शहरों ने आवेदन किया था. जिसमें प्रथम राउंड में 55 शहरों का चयन हुआ है. जिसमें बिहार के चारों स्मार्ट सिटी अवार्ड पाने की दौर में शामिल हैं. अंतिम राउंड में पहुंचे पटना, मुजफ्फरपुर, भागलपुर और बिहारशरीफ के स्मार्ट सिटी के संबंधित अधिकारी तैयारी कर रहे हैं.