पटना में जिन जगहों पर वेंडिंग ज़ोन बनाए गए हैं, वहां ना तो पानी और ना ही शौचालय की व्यवस्था की गयी है. कुछ वेंडिंग ज़ोन ऐसे जगहों पर बनाए गए हैं, जहां ग्राहकों का पहुंच पाना मुश्किल है. ऐसे में बहुत संभव है की दुकानकार आवंटन के बाद भी उन जगहों पर दुकान लगाने ना जायें.
दीनदयाल अंत्योदय योजना के अंदर आने वाली ‘राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन’ के तहत शहरी गरीबों को रोजगार के लिए बेहतर माहौल देने की योजना है. सड़कों के किनारे दुकान लगाकर अपनी आजीविका चलाने वाले दुकानदारों को एक व्यवस्थित जगह यानी वेंडिंग ज़ोन देने की योजना भी इसी के तहत आती है.
वेंडिंग जोन ऐसे क्षेत्र को कहा जाता है जहां फुटपाथी दुकानदार अस्थाई रूप से अपना रोज़गार कुछ शर्तों के साथ कर सकता है. जबकि नॉन वेंडिंग ज़ोन का मतलब है, जहां अस्थाई दुकानें या ठेला नहीं लगाया जा सकता है.
बिहार सरकार ने भी बिहार अर्बन लाइवलीहुड मिशन (BULM) की शुरुआत की है. जिसमें सपोर्ट टू अर्बन स्ट्रीट वेंडर्स (SUSV) योजना लाया गया. इसका उद्देश्य स्ट्रीट वेंडरों को कौशल प्रशिक्षण प्रदान करना, छोटे उद्योगों के विकास के लिए समर्थन करना, ऋण सक्षम बनाना, महिलाओं, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति और अल्पसंख्यक जैसे कमज़ोर समूहों के रोज़गार के लिए सक्षम बनाना है.
दो सालों में केवल 6 जगहों पर बने वेंडिंग ज़ोन
पटना नगर निगम ने राजधानी पटना में 98 जगहों पर वेंडिंग ज़ोन बनाने का फ़ैसला लिया था. लेकिन दूसरे विभागों ने अपनी ज़मीन देने से इंकार कर दिया. इसके बाद नगर विकास विभाग ने पटना नगर निगम की ज़मीन पर 32 जगहों पर वेंडिंग ज़ोन और वेंडिंग सेंटर बनाने की सहमति दी.
लेकिन निगम प्रशासन 32 में से मात्र 6 जगहों पर केवल 10 वेंडिंग ज़ोन ही बना पाया. 2 साल बाद भी वेंडिंग ज़ोन वेंडरों को आवंटित नहीं हो सका है.
नगर विकास विभाग ने वेंडिंग ज़ोन निर्माण के लिए 3 करोड़ 98 लाख 68 हजार 800 रुपए की राशि स्वीकृत किया गया था. इस राशि को प्रशासनिक स्वीकृति 21 अक्टूबर 2021 को ही दे दिया गया था. लेकिन इस राशि का बेहतर ढंग से उपयोग नहीं किया गया है.
वेंडिंग ज़ोन में स्टॉल ना मिलने से परेशान धर्मेंद्र, जो मौर्य लोक के पास गन्ने के जूस का दुकान लगाते हैं, वो बताते हैं कि
हमारे पास वेंडिंग लाइसेंस है लेकिन अभी तक वेंडिंग ज़ोन हमें आवंटित नहीं किया गया है. इस वजह से हमें मजबूरी में सड़क पर दुकान लगाना पड़ता है. सरकार हम गरीबों को पटना से भागने की कोशिश कर रही है.
धर्मेंद्र प्रसाद आगे बताते हैं कि
मुझे प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना से लोन भी मिल गया है लेकिन दुकान ही लगाने नहीं दिया जाता. अब दुकान लगेगा नहीं तो लोन कैसे चुकाएंगे? जब दुकान लगाते हैं तो हमेशा 2000 या कभी 5000 रुपए का फाइन लगा दिया जाता है.
एक तरफ वेंडिंग ज़ोन का लाभ वेंडरों को नहीं दिया जा रहा है तो वहीं दूसरे तरफ प्रशासन अतिक्रमण हटाने के नाम पर फुटपाथी दुकानदारों पर जुर्माना लगाती है.
नगर निगम पटना द्वारा दी गयी जानकारी के अनुसार पटना नगर निगम में कुल 23,803 फूटपाथ विक्रेताओं को चिन्हित किया गया है. जिनमें 22,636 फुटपाथ विक्रेताओं को पहचान-पत्र दिया जा चुका है.
यहां बने वेंडिंग ज़ोन का आवंटन नहीं
राजधानी पटना में बने वेंडिंग जोन में पाटलिपुत्र अंचल में 6, नूतन राजधानी अंचल में 3, बांकीपुर अंचल में 7, पटना सिटी अंचल में 4 और अज़ीमाबाद अंचल में 1 वेंडिंग जोन बनाया गया है.
इन सारे जगहों पर वेंडिंग ज़ोन तो बनकर तैयार हो गया है लेकिन अभी तक इसका आवंटन दुकानदारों को नहीं किया गया है.
इस्कॉन मंदिर के पास गोलगप्पे का ठेला लगाने वाले ओम प्रकाश बताते हैं कि
हमें किसी भी तरह की सुविधा नहीं मिल रही है. हमें अभी तक वेंडिंग ज़ोन में दुकान नहीं दी गई है. ऊपर से हमें हमेशा भागा दिया जाता है, अब ऐसे में हम अपना घर कैसे चलाएं.
भावुक होकर ओम प्रकाश आगे कहते हैं
हम गरीब हैं सर, मेहनत करते हैं. एक दिन में जितना कमाते हैं उसमें बस दो वक्त की ही रोटी हो पाती है. सरकार ने अगर ये सुविधा हमारे लिए बनाई है तो हमें उसका लाभ क्यों नहीं मिलता.
वेंडिंग ज़ोन में सुविधाएं भी नदारद
पटना में जिन जगहों पर वेंडिंग ज़ोन बनाए गए हैं, वहां ना तो पानी और ना ही शौचालय की व्यवस्था की गयी है. कुछ वेंडिंग ज़ोन ऐसे जगहों पर बनाए गए हैं, जहां ग्राहकों का पहुंच पाना मुश्किल है. ऐसे में बहुत संभव है की दुकानकार आवंटन के बाद भी उन जगहों पर दुकान लगाने ना जाए.
असंगठित क्षेत्र कामगार संगठन, बिहार के सदस्य विजय कांत बताते हैं कि
पटना में वेंडिंग ज़ोन की जो स्थिति है वो हाथी के दांत के तरह है - खाने के कुछ और दिखाने के कुछ. लेटर पर तो बहुत से वादे हैं, लेकिन ज़मीनी स्तर पर कोई काम नहीं है. वेंडर ज़ोन जो है वो बिल्कुल ही आउट ऑफ रीच एरिया में बनाया गया है यानी ऐसी जगह पर जहां लोगों का आगमन ही नहीं है.
विजय कांत आगे बताते हैं कि
इसमें भी बहुत पॉलिटिक्स हो रहा है. जीपीओ से लेकर स्टेशन तक कई सारे स्ट्रीट वेंडर है लेकिन सिर्फ़ कुछ ही वेंडर्स को प्रमाण पत्र दिया गया है.
वेंडिंग जोन के संचालन और स्ट्रीट वेंडरो के विकास पर फैसला लेने के लिए पांच साल पहले टाउन वेंडिंग कमिटी का गठन किया गया था. जिसके अध्यक्ष नगर आयुक्त होते हैं. लेकिन कमिटी के संचालन को लेकर विभाग की उदासीनता का आलम है कि इसकी बैठक पिछले एक साल से ज़्यादा समय से नहीं हुई है.
वेंडिंग जोन का निर्माण होने के बाद भी इसका आवंटन दुकानदारों को क्यों नहीं किया जा सका है. इस पर जानकारी के लिए डेमोक्रेटिक चरखा ने पटना नगर निगम के आयुक्त से समपर्क करने का प्रयास किया. लेकिन लगातार कॉल करने के बाद भी उन्होंने हमारे फोन कॉल का जवाब नहीं दिया.