पटना विश्वविद्यालय: फ़ीस कम को लेकर संशय, नहीं जारी हुआ नोटिफ़िकेशन

पटना विश्वविद्यालय में पारंपरिक कोर्स में हुई फ़ीस वृद्धि को कम किया गया है. विश्वविद्यालय में नए सत्र से पारंपरिक कोर्स

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पटना विश्वविद्यालय: फ़ीस कम को लेकर संशय, नहीं जारी हुआ नोटिफ़िकेशन

पटना विश्वविद्यालय में पारंपरिक कोर्स में हुई फ़ीस वृद्धि को कम किया गया है. विश्वविद्यालय में नए सत्र से पारंपरिक कोर्स में क्रेडिट बेस्ड चॉइस सिस्टम (CBCS) लागू किया गया है. सीबीसीएस लागू होने के कारण विश्वविद्यालय में नए सत्र से पारंपरिक कोर्स में फ़ीस बढ़ाई गयी थी.

फ़ीस कम

डेमोक्रेटिक चरखा ने 24 मार्च को फ़ीस वृद्धि के कारण मध्यम और निम्न वर्गीय छात्रों को हो रही परेशानी को लेकर अपनी रिपोर्ट जारी की थी. रिपोर्ट प्रकाशित होने के 20 दिनों के अंदर विश्वविद्यालय ने छात्रों की समस्या को दूर करते हुए फ़ीस वृद्धि को कम किया है.


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स्नातक कोर्स की फ़ीस हुई कम

सीबीसीएस लागू होने के कारण ट्रेडिशनल कोर्स के फ़ीस में वृद्धि किया गया था जिससे छात्र परेशान थे. ट्रेडिशनल कोर्स में बढ़ाई गयी फ़ीस में कुछ मदों में फ़ीस घटाई गयी है. डीएसडब्लू द्वारा मिली जानकारी के अनुसार कुल 1800 रूपए की कमी गयी है, जिससे छात्रों को थोड़ी राहत मिलने की उम्मीद है.

सीबीसीएस पद्धति लागू होने के बाद से ट्रेडिशनल कोर्स जैसे- बीए, बीएससी और बीकॉम के छात्रों को सेमेस्टर पद्धति सहित कई बदलाव अपने कोर्स में देखने को मिलेंगे. लेकिन

कितनी फ़ीस कम हुई?

हालांकि ट्रेडिशनल कोर्स के अलग-अलग विभागों में कितना फ़ीस कम किया गया है इसको लेकर अभी कोई ऑफिसियल नोटिफिकेशन जारी नहीं किया गया है. पटना विश्वविद्यालय के स्टूडेंट्स वेलफेयर डीन प्रो अनिल कुमार बताते हैं

फ़ीस कम करने का निर्णय एकेडमिक काउंसिल द्वारा लिया गया है. किस सेमेस्टर में कितना फ़ीस कम किया जाएगा इसका डिटेल नोटिफिकेशन वेबसाइट पर डाला जाएगा. ट्रेडिशनल कोर्स के हर सेमेस्टर में कुछ फ़ीस कम करते हुए कुल 1700 से 1800 रूपए तक की कमी गयी है.

छात्र इसे आंशिक कमी मानते हैं

खगड़िया के रहने वाले शिवम प्रजापति पटना विश्वविद्यालय में पॉलिटिकल साइंस के छात्र हैं. शिवम कहते हैं

नामांकन फार्म से लेकर एडमिशन फ़ीस और परीक्षा फॉर्म भरने तक 7 से 8 हज़ार रूपए ख़र्च हो गये हैं. फ़ीस कम किये जाने की जानकारी मिली है, लेकिन अभी यह पता नहीं है की हर सेमेस्टर में 1800 रुपया कम किया गया है या पूरे साल में कम किया गया. अगर पूरे साल में या पूरे कोर्स स्ट्रक्चर में 1800 कम किया जाएगा तो इसका कोई फ़ायदा नहीं है. एक सामान्य से कोर्स के लिए सरकारी कॉलेज में इतना फ़ीस लेना छात्रों के साथ अन्याय है.

फ़ीस कम

सुविधा बढ़ाना सरकार की ज़िम्मेदारी

दिशा छात्र संगठन से जुड़े अजीत कुमार बताते हैं

फ़ीस में 1800 की कमी कहां और कैसे किया जाएगा यह तो विश्वविद्यालय साफ़ करेगा. लेकिन फ़ीस वृद्धि में 1800 की कमी बहुत कम है. फ़ीस में की गयी कमी ठीक वैसे ही है जैसे- 100 रूपए लीटर पेट्रोल का दाम 10 रूपए बढ़ाने के बाद 2 रूपए कम कर देना. हमारा कहना है कि जिन सुविधाओं के नाम पर फ़ीस बढ़ाया जा रहा है वह कॉलेज में कहीं है ही नहीं. कॉलेज में सुविधा देना सरकार की ज़िम्मेदारी है. इसके लिए छात्रों से फ़ीस बढ़ाकर लेना सही नहीं है.

फ़ीस कम

शिक्षकों की कमी सहित कई सुविधाएं अभी भी नदारद

छात्रों के कड़े विरोध और विश्वविद्यालय में दिए गये आवेदन पर विचार करते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन ने फ़ीस में कमी का फ़ैसला लिया है. लेकिन छात्र इसे आंशिक कमी मानते हैं. छात्रों की मांग है कि विश्वविद्यालय पहले से लागू फ़ीस को वापस से लागू करे.

छात्रों का कहना है

नया सेशन शुरू होने के बाद भी कॉलेज की लाइब्रेरी में सिलेबस के अनुरूप किताबें नहीं रहती है. ना पर्याप्त स्थाई शिक्षक हैं, साथ ही कॉलेज में कैंटीन, साफ़ पानी, शौचालय और कॉमन रूम की सुविधा भी अच्छी नहीं है.

संपादकीय नोट:- ट्रेडिशनल कोर्स बीए, बीएससी और बीकॉम में फ़ीस वृद्धि कम करने से संबंधित विभागीय नोटिफिकेशन यानी किस विषय में कितने फ़ीस कम हुई इसकी जानकारी विश्वविद्यालय से जारी होने के बाद हम उसकी पूरी जानकारी इस लेख में अपडेट करेंगें.