पटना कॉलेज के दो अलग-अलग वोकेशनल कोर्सेज में पढ़ रही छात्राओं का एक ही रजिस्ट्रेशन नंबर होने का मामला सामने आया है. सत्र 2018-21 बैच के बीएमसी विभाग की आरती अनमोला सिंह और बीबीए विभाग की अंकिता राज का रजिस्ट्रेशन नंबर एक ही है. दोनों का रजिस्ट्रेशन नंबर 11180042 है. इसके अलावा बीएमसी विभाग की ही एक और छात्रा डॉली शाह और बीबीए विभाग की तानया वर्मा का रजिस्ट्रेशन नंबर भी एक समान है. इन दोनों का रजिस्ट्रेशन नंबर 11180043 है. ऐसे में सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने में छात्राओं को समस्या आ रही है. आपको यह भी बता दें कि आरती अनमोल सिंह पटना कॉलेज के बीएमसी 2018-21 बैच की गोल्ड मेडलिस्ट हैं. उन्हें पिछले ही वर्ष 6 अक्टूबर को बिहार के शिक्षा मंत्री प्रोफ़ेसर चंद्रशेखर द्वारा सम्मानित किया गया था.
छात्राओं को नहीं मिल पा रहा कन्या उत्थान योजना का लाभ
दरअसल मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना के तहत आवेदन करने वाली छात्राओं को अपना विश्वविद्यालय से आवंटित रजिस्ट्रेशन नंबर भी डालना पड़ता है. ऐसे में यदि एक छात्रा ने पहले अपना रजिस्ट्रेशन नंबर डाल दिया है तो दूसरी छात्रा अपना रजिस्ट्रेशन नंबर नहीं डाल सकती. वह अमान्य हो जाता है.
इसके अलावा कई और ऐसी सरकारी नौकरियों या योजनायें हैं जहां इसी प्रकार अपना स्नातक विश्वविद्यालय का रजिस्ट्रेशन नंबर देना होता है. विश्वविद्यालय से आवंटित एक पंजीयन संख्या पर कोई एक छात्र ही किसी नौकरी या योजना के लिए आवेदन कर सकता है.
इस विषय पर हमने पीड़ित छात्रा डॉली शाह से बात की. उन्होंने बताया कि
इस साल वोकेशनल कोर्स वालों को भी कन्या उत्थान योजना के तहत लाभ मिल रहा है. इसी के तहत हमारा नाम भी उसमें शामिल था. लेकिन जब कॉलेज की ओर से लड़कियों की लिस्ट जारी की गई, तब उसमें मेरा और आरती का नाम नहीं था. इस विषय पर हमने सर से बात की तो सर ने कहा कि अभी नाम अपडेट होने की प्रक्रिया में है. 20 दिसंबर को लिस्ट आया था. उसके बाद हमने 22 दिसंबर को विश्वविद्यालय जाकर पता किया लेकिन हमारा नाम नहीं था. 7 जनवरी को देखने पर पता चला कि हमारा रजिस्ट्रेशन नंबर 2018 से 21 बैच की ही किसी और लड़की को आवंटित कर दिया जा चुका है. जिसके बाद हमें यह कहा गया कि आपका रजिस्ट्रेशन नंबर अमान्य हो गया है. अब यह फिर से बनेगा.
पहले मैनुअली किया जाता था पंजीयन
जानकारी के अनुसार पहले विश्वविद्यालय में पंजीयन मैनुअली किया जाता था जिसमें पहले कॉलेज और विभाग का नाम लिखा जाता था, उसके बाद संख्या डाली जाती थी जैसे; Pc.BMC12345 और Pc.BBA12345. लेकिन अब डिजिटली रजिस्ट्रेशन किया जाता है जिसमें केवल संख्या लिखी जाती है.
छात्राओं को लगातार लगाने पर रहे विभाग के चक्कर
समस्या का समाधान नहीं हो पाने की वजह से छात्राओं को विश्वविद्यालय के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं. इस विषय पर हमने छात्रा डॉली शाह से बात की. उन्होंने हमें बताया कि
यह हमारे लिए एक समस्या का विषय है. शुरुआत में तो इसे गंभीरता से नहीं लिया गया लेकिन बाद में दबाव पड़ने के बाद विश्वविद्यालय ने आवेदन स्वीकार किया. इस चक्कर में मेरे अभिभावक भी परेशान हो रहे हैं. सबसे बड़ी समस्या तो यह है कि यूनिवर्सिटी जिस पंजीयन संख्या को अमान्य बता रही है, हमारा पोस्ट ग्रेजुएशन भी उसी रजिस्ट्रेशन नंबर के आधार पर हो रहा है.
एजेंसी पर सही तरीके से काम ना करने का आरोप
पटना विश्वविद्यालय में जो एजेंसी पुरानी डाटा को स्टोर रखती थी. उसने अपना काम सही तरीके से नहीं किया. इस वजह से कुछ साल पुराने डेटा भी विश्वविद्यालय के पास नहीं है. इस विषय पर भी हमने पीड़ित छात्रा डॉली शाह से बात की. उन्होंने बताया कि
विश्वविद्यालय और कॉलेज दोनों एक दूसरे के ऊपर आरोप लगा रहे हैं. पटना कॉलेज का कहना है कि 2017 के बाद से उसने रजिस्ट्रेशन से संबंधित कोई काम नहीं किया है. जबकि विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि उसके द्वारा 2019 से रजिस्ट्रेशन का काम किया गया है. 2018 का तो किसी ने नाम ही नहीं लिया. जब डाटा के विषय में हम लोगों ने पूछा तो हमें बताया गया कि जो एजेंसी यह काम देखती थी वह डाटा लेकर भाग गई है.
पहले भी देखने को मिलती रही हैं पीयू में इस तरह की समस्याएं
पटना यूनिवर्सिटी में इस तरह की समस्या कोई नई नहीं है. पहले भी छात्रों को ऐसी परेशानियों का सामना करना पड़ा है. वेबसाइट क्रैश करने से लेकर पेमेंट करने जैसी बुनियादी समस्याओं का सामना तो अक्सर छात्रों को करना पड़ जाता है.
हमने इस समस्या को लेकर छात्र कल्याण संकाय अध्यक्ष प्रोफेसर अनिल कुमार से बात की उन्होंने कहा कि
इस विषय पर आप परीक्षा नियंत्रक से बात कीजिए. वही कुछ बता सकते हैं.
जब छात्रों को दिक्कत होती है तब जाकर विश्वविद्यालय प्रशासन इस पर कदम उठाता है. इस तरह की असुविधा से छात्रों की समय और ऊर्जा दोनों ही बर्बाद होती है. इसलिए विश्वविद्यालय प्रशासन को चाहिए कि वह सबसे पहले इस तरह कि इन तमाम दिक्कतों को दुरुस्त करें ताकि छात्रों को विश्वविद्यालय के चक्कर न काटने पड़ें.