पटना में बाइपास के जर्जर सर्विस लेन से पांच लाख की आबादी प्रभावित

राजधानी पटना में बाइपास के किनारे बनी सर्विस लेन जर्जर अवस्था में पहुंच चुका है. NH-30 के किनारे केवल सर्विस लेन का ढांचा तैयार कर दिया गया है. सर्विस लेन की यह बदहाल स्थिति मीठापुर से ट्रांसपोर्ट नगर तक करीब छह किलोमीटर में हैं.

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बाइपास रोड का हाल

राष्ट्रीय राजमार्ग का निर्माण राज्यों को सड़क मार्ग से जोड़ने के लिए किया जाता है. क्योंकि एक शहर से दुसरे शहर जाने के लिए राजमार्ग सुविधाजनक रास्ता उपलब्ध कराते हैं. लेकिन यही राजमार्ग शहरों के बीच से होकर गुजरते हैं तो इनके बगल से सर्विस रोड का होना आवश्यक हो जाता है. ताकि राहगीरों को रोजाना के कार्यों के लिए राजमार्ग को पार करने या उनका इस्तेमाल करने की जरुरत ना पड़े.

लेकिन जब राष्ट्रीय राजमार्ग या राज्य राजमार्ग के किनारे बनाये गये इन सर्विस रोड कि हालत खराब होगी तो लोग इसका इस्तेमाल कैसे करेंगे. मज़बूरी में उन्हें हाईवे पर जाने का खतरा उठाना होगा.

राजधानी पटना में बाइपास के किनारे बनी सर्विस लेन जर्जर अवस्था में पहुंच चुका है. इसे सड़क कहना भी मुश्किल है क्योंकि सड़क तो उसे कहा जाता है जो कंक्रीट से बनी सपाट होती है और जिनपर राहगीर या वाहन बिना किसी बाधा के गुजर सकते हैं. लेकिन इस सड़क में केवल मिट्टी-बालू और छोटे-बड़े गड्ढ़े दिखाई पड़ते हैं. जिनपर चलना ऐसे तो किसी भी मौसम में हादसों को न्योता दे सकता है लेकिन बरसात में यहां से गुजरना किसी जंग जीतने से कम नहीं है.

सर्विस लेन की यह बदहाल स्थिति मीठापुर से ट्रांसपोर्ट नगर तक करीब छह किलोमीटर में हैं. NH-30 के किनारे केवल सर्विस लेन का ढांचा तैयार कर दिया गया है. कहीं-कही पिच करा दिया गया है लेकिन ज्यादातर हिस्सों में पिच उखड़ चुका है. सड़क की सीमेंट से ढलाई भी नहीं हुई है. वहीं मीठापुर से ट्रांसपोर्ट नगर तक एनएच के लगभग दस अंडरपास भी जर्जर हैं.

100 से ज्यादा मोहल्ले प्रभावित

बाइपास किनारे बने इस सर्विस लेन के किनारे करीब 100 मोहल्ले और कॉलोनियां बसी हैं. कंकड़बाग 90 फीट बाईपास से दक्षिण में स्थित खेमनीचक, आदर्श कॉलोनी, गोकुल कॉलोनी, एडीएम कॉलोनी, मंगल चौक, बैंक कॉलोनी, शिवनगर, विश्वकर्मा कॉलोनी, तेतर पथ, इमान टोला, जगनपूरा, रामकृष्णा नगर, चमनचक   जैसे लगभग 100 मोहल्ले बाइपास के किनारे बसे हैं. इन मोहल्लों में लगभग  पांच लाख की आबादी रहती हैं जो रोजाना अपना जीवन खतरे में डाल इन रास्तों का इस्तेमाल करते हैं.

खराब सर्विस लेन के अलावे खेमनीचक और जगनपुरा स्थित अंडरपास भी बदहाल हैं. हल्की बारिश के बाद भी इनमें जलजमाव हो जाता है. वहीं गाड़ियों के भीड़ के कारण पैदल यात्रियों को इससे से गुजरने में परेशानी होती है. मज़बूरी में लोग जान जोखिम में डालकर बाइपास के उपर से गुजरने का फैसला लेते हैं.

राजधानी पटना में बीते एक सप्ताह से बारिश नहीं हुई है जिसके कारण सड़कों पर जमा पानी और कीचड़ फ़िलहाल सूख गया है. सर्विस लेन से पैदल गुजरने वाले लोग फिलहाल आराम से आ जा रहे हैं लेकिन गाड़ियों की समस्या जस से तस बनी हुई है.

ख़राब सड़के

जगनपूरा जाने वाले मुख्य मार्ग पर सीमेंट की दुकान में काम करने वाले उदय सिंह सड़क की बदहाली पर बताते हैं “बारिश के समय इधर नर्क बन जाता है. सड़क और अंडरपास में घुटने तक पानी भर जाता है. लेकिन रोजगार है तो आना ही पड़ेगा. उसी पानी घुसकर आते हैं. केवाल मिट्टी है इसमें फिसलन और चिकनाई ज्यादा है. बगल में स्कूल है, कितना बार बच्चा सब साइकिल के साथ कीचड़ में फिसल जाता है. छुट्टी के समय अंडरपास में जाम लग जाता है तो बहुत लोग बाइपास पर चढ़कर भी सड़क पार कर लेते हैं.” 

उदय सिंह का कहना है कि बारिश के बाद सड़क पर उड़ने वाला बालू और धूल जमीन से चिपक गया है. गड्ढे भी थोड़े समतल हो गये हैं. लेकिन बरसात से पहले स्थिति ज्यादा खराब थी.

दरअसल, सर्विस लेन पर बालू लदे ट्रैक्टर खड़े रहना भी सामान्य स्थिति बन गयी है. सड़क किनारे बालू के ढेर खड़े कर उनकी खरीद-बिक्री की जाती है. इसके कारण पहले तो सड़क की चौड़ाई कम हो जाती है जिससे पैदल यात्रियों और वाहनों के गुजरने के लिए जगह कम हो जाता हो. वहीं दूसरी समस्या बालू के सड़क पर बिखरे रहने से दो पहिया वाहनों के फिसलन का बना रहता है. स्थानीय दूकानदार बताते हैं कई बार बाइकसवार बालू पर फिसलकर यहां गिर चुके हैं.

खेमनीचक बाइपास स्थित एक कमर्शियल बिल्डिंग में काम करने वाले गार्ड बताते हैं कैसे सड़क पर उड़ने वाली धूल उनके लिए समस्या का कारण बन गई है. वे कहते हैं “यहां काम करते हुए एक साल होने वाला है. जगनपुरा से साईकल से आते हैं. रोड इतना खराब है एक दिन गड्ढा में गिर गये. अभी जब पानी सूखा है तब कुछ ठीक है लेकिन फिर पूरा दिन धूल से परेशान रहते हैं.”

धूल मिट्टी के लिए वे बाइपास में चलने वाली गाड़ियों के के साथ-साथ कच्ची सर्विस लेन को भी जिम्मेदार ठहराते हैं.

मेट्रो कार्य भी बना समस्या

राजधानी पटना के निवासी शहर में मेट्रो ट्रेन परिचालन की आस में ना जाने कितनी परेशानियां झेलेंगे. राजधानी पटना की सड़के ऐसे भी अतिक्रमण और कम चौड़ाई के कारण जाम से कराहती रहती थी. लेकिन रही-सही कसर पिछले चार साल से चल रहे पटना मेट्रो प्रोजेक्ट ने पूरा कर दिया है.

पटना मेट्रो प्रोजेक्ट के कारण सिंगल लेन सड़क को भी डबल लेन में बदल दिया. कहीं पूरा रास्ता ही बंद कर दिया गया. तो कहीं सड़क पर हुए कंस्ट्रक्शन के काम ने सड़क को जर्जर कर दिया है. साल 2020 में शुरू हुए पटना मेट्रो प्रोजेक्ट को शुरुआत, में 2024 में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था लेकिन बाद में इसे 2027 तक बढ़ाया गया है. इससे जाहिर है कि अगर सभी काम अपने तय समय और गति से पूरे किये गये तब भी तीन साल और पटना वासियों को जाम और असुविधा से गुजरना होगा. 

खेमनीचक से पूर्व चमनचक की ओर मेट्रो पिलर बनाने का काम सड़क पर चल रहा है. इसके लिए सर्विस लेन का भी आधा हिस्सा घेर लिया गया है. बाकि बचे हिस्से से लोग अप और डाउन कर सकते हैं. लेकिन इस बाकि बचे हिस्से में सड़क के बजाए केवल गड्ढा है जिनमें पानी भरा हुआ है.

फोर्ड हॉस्पिटल से आगे पान की दुकान चलाने वाले संतोष कुमार बताते हैं “मैं यहाँ चार साल से गुमटी लगा रहा हूं. लेकिन जबसे मेट्रो का काम शुरू हुआ रोड ज्यादा खराब हो गया है. अभी जो पानी रोड पर देख रहे हैं यह बरसात के साथ-साथ बगल वाले बैंक्वेट हॉल का है. वे लोग सड़क पर पानी बहाते हैं. कोई बोलने वाला नहीं है. पानी लगने के कारण मेरा दुकानदारी भी मंदा हो गया है.”

सडको में लगी कारें

वहीं खेमनीचक अंडरपास के पास मछली बाजार, सब्जी मंडी और अवैध ऑटो स्टैंड बन जाने के कारण लोग बाइपास के ऊपर से गुजरने का जोखिम उठा लेते हैं. अंडरपास के नजदीक कूड़ा डंपिंग पॉइंट भी बना हुआ जिसके कारण यहां हर समय गंदगी और बदबू पसरा रहता है.

तीन वर्ष पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री जनरल वीके सिंह ने पूर्व सांसद रामकृपाल यादव  को पत्र लिखकर राष्ट्रीय राजमार्ग 30 (NH-30) से लगने वाले खेमनीचक और रामकृष्णा नगर में अंडरपास और जगनपुरा में फूटओवर ब्रिज बनाने की मंजूरी दी थी. दरअसल रामकृपाल यादव ने लोकसभा में इन क्षेत्रों में लगने वाले जाम से निजात के लिए फ्लाईओवर बनाए जाने की मांग रखी थी. जिसके बाद जाम की समस्या के तत्काल निदान के लिए दो अंडरपास और एक फूटओवर ब्रिज बनाए जाने की मंजूरी दी गयी थी.

दैनिक भास्कर में छपी खबर के अनुसार इसका काम भी उसी वर्ष अक्टूबर में शुरू होने वाला था लेकिन आजतक यह स्वीकृति फाइलों में बंद है. लोग आज भी जाम, असुरक्षा, गंदगी और टूटे सर्विस लेन का उपयोग करने को मजबूर हैं.

बाइपास किनारे स्थित स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे, अस्पताल में इलाजरत लोगों के परिजन, दुकानदार और स्थानीय लोग इस कच्ची सड़क, जर्जर अंडरपास या हाईवे के ऊपर से होकर गुजरते हैं. ऐसे में दुर्घटना होने पर इसकी ज़िम्मेदारी किसकी होगी- सरकार, प्रशासन या उस राहगीर की?