राजधानी पटना के बोरिंग रोड इलाके में स्थित नागेश्वर कॉलोनी में आए दिन बंदरों का ख़ौफ़ बढ़ता जा रहा है. दरअसल पिछले कुछ महीनों से इस इलाक़े में बंदरों की तादाद बढ़ती जा रही है. बोरिंग रोड जैसे भीड़-भाड़ वाले इलाक़े में बंदरों का अधिक संख्या में होना चिंता का विषय बन चुका है.
इस इलाके में ज़्यादातर गर्ल्स हॉस्टल ही हैं और लड़कियां हर रोज़ बंदरों के ख़ौफ़ से होकर गुज़र रही हैं. ये बंदर अक्सर 4 से 5 दिन में आते हैं और सबको परेशान करते हैं. बंदरों का एक बड़ा समूह इस इलाके में उत्पात मचा रहा है, जिससे लोग दहशत में जी रहे है. वैसे भी देश भर में मंकी पॉक्स के केस में बढ़ोतरी हो रही है जो कि बंदरों के काटने की वजह से होती है.
भारत में 14 जुलाई 2022 से 27 मार्च 2024 तक मंकी पॉक्स के कुल 30 केस आ चुके है जिसमें से केरल से 15 और दिल्ली से 15 केस दर्ज किए गए है.
बंदरों से आम लोगो को परेशानी
बंदर ज़्यादातर घरों में या हॉस्टल में खिड़की- दरवाजों से घुस जाते है. ये बंदर लगभग 9-10 की संख्या में रहते है जिनसे डरना वाजिब सी बात है. वो घरों में घुसकर उत्पात मचाते हैं. घर में रखे खाने की चीजों को तहस - नहस कर देते है. बालकनी में टंगे कपड़े पर झूलकर उन्हें ज़मीन पर गिरा देते है और उन्हें गंदा भी कर देते है. इंसानों पर और साथ ही साथ पालतू जानवरों पर भी हमला कर देते है.
हाल ही में कुछ बड़ी घटनाएं भी सामने आई है. उस इलाक़े में रह रहे एक पालतू कुत्ते पर बंदरों ने हमला कर उसके कान पर काट लिया. उसके साथ ही रक्षा बंधन के दिन एक हॉस्टल में रह रही रिया नामक लड़की को बंदरों ने पैर पर कांट लिया. डेमोक्रेटिक चरखा से बातचीत के दौरान उसने बताया कि वो हॉस्टल से बाहर निकल रही थी, उसी दौरान बंदरों ने पीछे से आकर उसके पैर पर काट लिया. उस दिन डॉक्टरों की हड़ताल होने के कारण उसे वैक्सीन लेने में भी काफ़ी कठिनायों का सामना करना पड़ा. साथ ही एक बुज़ुर्ग पर भी बंदरों ने आक्रमण कर दिया जब वो डंडे से बंदरों को भगा रहे थे.
हॉस्टल की लड़कियों से बातचीत के दौरान लड़कियों ने बताया कि जब वो कॉलेज या कोचिंग में रहती है तब बंदरों का बड़ा हुजूम आकर बाहर रखे उनके दोपहर के खाने पर टूट पड़ते है और खाने को तहस नहस कर देते है. कुछ लड़कियों ने कहा कि वो सुबह सोई रहती हैं और बंदर खिड़की से उनके रूम में घुस जाते है और उन्हें रूम से बाहर भागना पड़ता है.
लगातार बढ़ रही हैं घटनाएं
बंदरों का शिकार बच्चे, महिलायें और बुज़ुर्ग हो रहे हैं और ऐसी घटनाएं निरंतर हो रही है. इसी संदर्भ में डेमोक्रेटिक चरखा की टीम ने पटना वन विभाग और नागेश्वर कॉलोनी के वार्ड परिषद् से बातचीत की जिसमें पटना वन विभाग से फ़ोन पर संपर्क करने में टीम असफल रही. पटना वन विभाग से मेल के द्वारा भी संपर्क बनाने की कोशिश की पर सामने से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी.
नागेश्वर कॉलोनी जो कि वार्ड नंबर 25 में आता है उसके वार्ड परिषद रजनीकांत से बातचीत हुई जिसमें उन्होंने बताया कि उन्हें या बात मालूम थी और उनके घर पर भी बंदरों की आवाजाही रहती है. पर उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी कि बंदरों ने इंसानों पर भी हमला किया है. उनसे शिकायत के बारे में पूछे जाने के बाद उन्होंने कहा कि उन्होंने मौखिक शिकायत दर्ज करायी थी पर लिखित नहीं करवायी. पर उनका कहना है कि अब वो इस आतंक के ख़िलाफ़ लिखित शिकायत दर्ज करवायेंगे.
डेमोक्रेटिक चरखा की टीम ने स्थानीय लोगो से भी बातचीत की. उनका कहना था कि बंदर आते है, जाते है और हम कुछ कर नहीं पाते क्यूंकि वो ज़्यादा संख्या में होते है. वो हमारे कमरों से सामान उठाकर ले जाते है और हम देखते रहते है. किसी ने कहा कि इलाक़े के पदाधिकारी को इस मामले में कुछ करना चाहिए. वो भी इस मामले को देख रहे होंगे तो उन्हें कुछ करना ज़रूर चाहिए.
बंदर के काटने पर क्या करना चाहिए?
बंदरों के काटने से रेबीज होने का खतरा सबसे ज़्यादा होता है. अगर बंदर, बिल्ली या कोई जानवर इंसान को काँट ले तो रेबीज का टीका लेना अनिवार्य है. बंदरों के काँटने के बाद सबसे पहले साबुन और पानी का इस्तेमाल करके कम से कम 5-10 मिनट तक घाव धोना चाहिए और डिटॉल जैसे एंटीसेप्टिक का इस्तेमाल करना चाहिए. डॉक्टर भी रेबीज और टेटनेस का टीका लेने की सलाह देते है और चोट की गहरायी के हिसाब से उसका डोज़ तय करते है.